शराब जरूरी नहीं, स्वास्थ्य जरूरी

Alcohol is not necessary, health is important
लॉकडाउन से देश बंद होने के चलते सबसे ज्यादा चिंता शराब की बिक्री बंद होने को लेकर जताई जा रही है जोकि बेहद ही दुखद बात है। मुख्यमंत्री पंजाब कैप्टन अमरेंद्र सिंह यूं तो पंजाब से नशों का पूर्ण सफाया करने के लिए जनता से वचनबद्ध हैं लेकिन इस लॉकडाउन में वह केंद्र से पंजाब की शराब की दुकानें खोलने की इल्तजा कर रहे हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार की मांग को सही नहीं माना। कोविड-19 की रोकथाम को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा प्रदेश में दिखाई गई सख्ती की सभी ने सराहना भी की, परंतु शराब की दुकानें खोलने की मांग ने उनकी दूरदृष्टि पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया। उधर महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का जवाब बहुत अच्छा है, जब मनसे नेता राज ठाकरे ने शराब के राजस्व की चिंता जाहिर कर कहा कि शराब बिक्री खोली जाए, तो मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि शराब ही क्यों राज्य की सारी फैक्ट्रीज, कारखाने भी तो बंद हैं उनसे राजस्व का नुकसान नहीं हो रहा? कोविड-19 में डब्ल्यूएचओ एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ साफ चेतावनी दे रहे हैं कि शराब का सेवन कोविड-19 के मरीज को ज्यादा मुश्किल में डालने वाला है, क्योंकि शराब से व्यक्ति की रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता घटती है।
यह कितनी चिंतनीय बात है कि लॉकडाउन के चलते देश की सैकड़ों दवा बनाने वाली फैक्ट्रीज बंद पड़ी हैं, जिन्हें प्रशासन चलाना चाह रहा है। केंद्र व राज्यों की अनुमति भी है लेकिन दवाओं के निर्माण में लगने वाला श्रम दवा फैक्ट्री तक नहीं पहुंच पा रहा, यहां श्रम बल है वहां पर दवाओं की पैकिंग का सामान उपलब्ध नहीं हो रहा। यहां पैकिंग भी है, वहां कई फैक्ट्रीज कोरोना रेड-जोन में फंसी हैं, परंतु किसी को इतनी ज्यादा फिक्र नहीं जितनी शराब की दुकानों को खोलने की चिंता है। पूरा समाज जानता है कि शराब की बिक्री से सोशल डिस्टेसिंग की धज्जियां उड़ जाएंगी। लोग शराब पीकर नहीं पीने वालों पर भी झूमेंगे, शराब पीने के लिए महफिल भी लगाएंगे, सड़कों-गलियों व शराब की दुकानों पर संपर्क बढ़ेगा। शराब निर्माण एक बड़ा प्रदूषण उद्योग भी है, शराब से लाखों घन लीटर पानी बर्बाद होता है, लॉकडाउन में वह प्रदूषण रुका हुआ है।
राज्य सरकारों को शराब ठेकों की बजाय राशन डिपो पर नजर डालनी चाहिए। कैसे इस बुरे वक्त में भी बहुत से डिपो संचालक गरीब व मजबूर लोगों को परेशान कर रहे हैं। राशन कम तोला जा रहा है, राशन डिपो संचालक जान-बूझकर गायब हो रहे हैं, जबकि केंद्र व राज्य सरकारें इस वक्त पुलिस व समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से लोगों के घर राशन पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार अपना राशन वितरण तंत्र सरकार को विफल करने पर तुला है। लॉकडाउन पीरियड में अच्छा हो यदि शराबियों को शराब की लत छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाए, उनके घर शराब छोड़ने की दवा भेजी जाए, शराबियों को भी सीखना चाहिए कि लॉकडाउन में वह बिना शराब के रह सकते हैं, तब जीवन भर भी वह शराब से बिना रह सकते हैं। सौ बातों की एक बात शराब उतनी जरूरी नहीं जितना जरूरी स्वास्थ्य है।
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