देश केंद्रीय विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा कह रहे हैं कि सरकार ने हवाई यात्रा की सेवाएं इतनी सस्ती कर दी हैं कि हवाई सफर आटो रिक्शा से भी सस्ता है। उन्होंने दलील दी है कि आटो रिक्शा का किराया 10 रुपए प्रति किलोमीटर है और हवाई जहाज का किराया केवल 4 रुपए किलोमीटर। दरअसल यह बात तकनीकी झूठ व देश की जनता जो बसों में भी कई प्रकार की कठिनाइयों में सफर करती है, से भद्दा मजाक है। मंत्री जी शब्दों के हेर-फेर से अपने मंत्रालय की उपलब्धियां गिना रहे हैं। मंत्री जी को यह जानने की आवश्यकता है कि आटो रिक्शा का किराया तो बहुत महंगा होता है। देश के कई शहरों में आधे किलोमीटर से कम सफर के लिए आटो रिक्शा वाले 10 रुपए ले लेते हैं लेकिन जनता को सुविधा बताने के लिए हवाई यात्रा की तुलना आटो रिक्शा से नहीं बल्कि बस या रेलगाड़ी से करने की आवश्यकता होती है। यात्री आटो रिक्शा पर केवल 2-4 किलोमीटर तक जाने के लिए चढ़ता है। 100 -200 किलोमीटर का सफर बस या रेलगाड़ी से तय किया जाता है। दिल्ली से मुंबई तक का सफर आटो रिक्शा पर नहीं किया जाता। यदि लोगों को कहा जाए कि आप आटो रिक्शा पर मुंबई क्यों जा रहे हैं, आप हवाई जहाज पर क्यों नहीं जाते तो ऐसे में उसकी तुलना करना बेतुकी है। बस का किराया देश के विभिन्न राज्यों में करीब एक रुपए प्रति किलोमीटर है। मंत्री जी ने जिस प्रकार हवाई यात्रा के खर्च को खुशखबरी के रूप में बड़ी ही चतुराई से पेश किया है उसके मुताबिक तो दिल्ली से चंडीगढ़ जाने वाले प्रत्येक यात्री को हवाई जहाज पर जाना चाहिए लेकिन इसके बदले उसे चार गुणा अधिक रुपए खर्च करने होंगे। मंत्री का बयान चाहे एक चुटकुला है लेकिन यह बात उन करोड़ों लोगों से भद्दा मजाक है जो तेल कीमतों में वृद्धि के कारण बस की यात्रा करते वक्त अपनी जेब की तरफ देखते हैं। बाकी जिन लोगों को हवाई यात्रा की आवश्यकता है उन्हें किराये के अधिक या कम होने की चिंता या खुशी नहीं। विमानन मंत्री की जिम्मेदारी केवल हवाई जहाज के यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखना है, वह बस यात्रियों से मजाक न करें। अभी यह हालात नहीं बने कि हवाई यात्रा सबके बस की बात है। अभी तक तो देश के अधिकतर गांवों में बस सेवा ही उपलब्ध नहीं है। देश में हजारों कस्बों व छोटे शहरों तथा कुछ जिलों को रेल सेवा से नहीं जोड़ा जा सका। लोगों को सस्ती बस सेवा व रेल सेवा की आवश्यकता है उन्हें हवाई यात्रा के लिए आवाज लगाकर उनका अपमान न किया जाए।
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