दिल्ली में वायु प्रदूषण व कृषि का संकट

Smoke in Punjab

आखिर हमारे देश का हाल भी चीन जैसा होता जा रहा है। प्रदूषण की मार इस हद तक बढ़ गई है कि दिल्ली के स्कूलों में छुट्टी का ऐलान करना पड़ा है। हरियाणा व पंजाब में भी जहां सांस लेने में दिक्कत हो रही है वहीं धुंध के धुंए से हादसे भी हो रहे हैं। यदि यह सिलसिला इसी तरह जारी रहा तो किसी दिन गर्मियों की छुट्टियों व सर्दी की छुट्टियों के साथ प्रदूषण की छुट्टियां भी जुड़ जाएंगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली को गैस चैंबर करार दे दिया है। इस बात को पूरे सिस्टम की नाकामी ही कहा जाएगा कि पिछले 10 सालों से हरियाणा, पंजाब सहित छह राज्यों में धान की पराली को आग लगाने के कारण नवंबर माह के वायु प्रदूषण भयानक समस्या पैदा हुई है। इसके बावजूद सरकारें इस संबंधी सरकारें गंभीर नहीं हुई।

राष्टÑीय ग्रीन ट्रिब्यूनल व अदालतों द्वारा भी इस संबंधी सरकारों को हिदायतें जारी की लेकिन समस्या सुलझाने की बजाए ओर उलझ गई। उलटा इस मुद्दे पर विवाद पैदा होने से टकराव बढ़ गया। पहले केवल किसानों को निशाना बनाकर धड़ाधड़ मामले दर्ज किए। बाद में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने किसानों पर मुकदमेबाजी खिलाफ राज्य सरकारों की खिंचाई की। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को इस बात के लिए भी तलब किया कि पराली की संभाल के लिए किसानों को मुआवजा दिया जाए। ग्रीन ट्रिब्यूनल ने किसानों पर सख्ती बरती तो परेशान हुए किसान ने सरकारी आदेशों को चुनौती देते हुए पराली को आग लगाने की मुहिम ही चला दी। दरअसल पराली के धुंए की समस्या पर स्पष्ट, वैज्ञानिक व संतुलित फैसला न होने के कारण यह मामला पेचीदा बन गया है।

पराली की समस्या कोई सरल समस्या नहीं बल्कि यह कृषि संकट की पैदाइश है। किसानों के पास धान का कोई विकल्प नहीं व न ही पराली को खेत में नष्ट करना या किसी अन्य तरीके से संभालना वित्तीय तौर पर किसानों के वश की बात है। पराली अभी तक किसानों के लिए बोझ बनी हुई है। यदि यही पराली किसानों के लिए कमाई का स्त्रोत बने तो फिर कोई आग लगाएगा ही नहीं। आखिर फैक्ट्रियों का खपतकार धुआं भी निरंतर 365 दिन हवा में मिक्स होता रहता है। वातावरण व कृषि का संकट दोनों मुद्दे अंतर संंबंधित है, जिनमें से किसी एक को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यदि वाकई दिल्ली में सांस लेने में दिक्कत पराली को आग लगाने से होती है तो मुद्दे लटकाने वाली राजनीति छोड़नी होगी।