खरखौदा (सच कहूँ/हेमंत कुमार)। Ahilyabai Holkar Jayanti: रोहतक मार्ग पर स्थित कन्या महाविद्यालय में महिला प्रकोष्ठ द्वारा एक विस्तृत व्याख्यान का आयोजन अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, हरियाणा द्वारा लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के 300वें जन्म जयंती वर्ष के उपलक्ष में आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता प्राचार्य प्रमिला ने की। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राजकीय स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय रोहतक से कॉमर्स विभाग से असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पुष्पदीप डागर का पौधा भेंट कर स्वागत किया गया। मंच संचालन महिला प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. प्रमिला ने किया। डॉ.पुष्पदीप ने कहा कि महारानी अहिल्याबाई का जन्म 31 मई, 1725 को एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। Kharkhoda News
बचपन से ही उनके विलक्षण गुणों से प्रभावित होकर महाराज मल्हार राव होल्कर ने अपने पुत्र खंडेराव से उनका विवाह निश्चित किया। अपने ससुर के संरक्षण में ही अहिल्याबाई होल्कर ने शिक्षा, युद्धाभ्यास,कुशल नेतृत्व, सामाजिक, न्यायिक, धार्मिक, आदि गुणों को और सुदृढ़ता से प्राप्त किया और एक कुशल एवं न्यायप्रिय शासिका के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने कहा कि महारानी अहिल्याबाई जिनको मातोश्री अहिल्याबाई के रूप में भी जाना जाता है, उनके जीवन के अनेक महत्वपूर्ण प्रसंगों को बड़े ही सुंदर और प्रभावशाली रहे हैं। Kharkhoda News
अहिल्याबाई के व्यक्तित्व में समाहित गुणों जैसे उनका एक कर्तव्यनिष्ठ व ममतामयी माँ के रूप के साथ-साथ कुशल राजनेता के रूप में होलकर वंश की शासन व्यवस्था को संभाला तथा जनकल्याण की राह पर चलते हुए उन्होंने बद्रीनाथ, केदारनाथ, महेश्वर, प्रयागराज, रामेश्वरम आदि मंदिरों का पुनर्निर्माण करवाने के साथ-साथ महिलाओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अनेकों घाट भी बनवाये। वे स्वयं विरोचित गुणों से भरपूर थी तथा वीरों का विशेष सम्मान भी करते थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा जीवन सादगीपूर्ण तथा नीतियुक्त शासन से व्यतीत किया। 13 अगस्त 1795 को 70 वर्ष की आयु में उनका स्वर्गवास हो गया था। Kharkhoda News
लोकमाता अहिल्याबाई राजश्री से राजर्षि के रूप में संसार भर में प्रसिद्ध हुई। देवी अहिल्याबाई का निष्ठावान और कर्तव्यप्रायण चरित्र महाराष्ट्र ही नहीं अपितु पूरे देश में आज भी लोकप्रिय है और प्रेरणा का स्रोत है। इस अवसर पर प्राचार्या ने कहा कि आज जहां नारी सशक्तिकरण की गूंज हमें चारों ओर सुनाई देती है वहीं हमारे इतिहास में महारानी अहिल्याबाई, रानी लक्ष्मीबाई जैसे अनेकों आदर्श महिलाओं के उदाहरण हैं। जिन्होंने नारी शक्ति और नारी उत्थान को बढ़ावा देने के लिए जीवन पर्यंत प्रयास किया। हमें उनके जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेकर उनको अपने जीवन में अपनाना चाहिए। इस अवसर पर एक ज्ञानवर्धक वीडियो भी दिखाई गई। सभी स्टाफ सदस्य और 50 छात्राएं इस कार्यक्रम में उपस्थित रहीं l Kharkhoda News
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