नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया मामले में दूरसंचार विभाग (डीओटी) की याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा, न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नज़ीर की खंडपीठ ने विभिन्न निजी टेलीकॉम ऑपरेटरों तथा डीओटी की ओर से विस्तृत दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। डीओटी ने निजी टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर बकाये की रकम को 20 साल तक किस्तों में चुकाने के अनुरोध के साथ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले सुनवाई के दौरान, वोडाफोन-आइडिया ने कहा कि इन सालों में उसने जो भी कमाई की थी, उसे वह खो चुकी है। यह खर्च दूरसंचार ढांचे को सुचारू रूप से चलाने में हुआ है और अब वह बकाये का भुगतान करने की हालत में नहीं है।
कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि बीते एक दशक में उसे राजस्व के तौर पर 6.27 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं, जिसमें से 4.95 लाख करोड़ रुपये ऑपरेशन पर ही खर्च हुए हैं। वोडाफोन-आइडिया ने कहा कि उसकी वास्तविक संपत्ति बैंकों के पास गिरवी है और अब कोई ऋणदाता ऋण नहीं बढ़ा पायेगा। रोहतगी के इस बयान के बाद खंडपीठ ने उनसे पूछा, “जब आप घाटे में बिजनेस कर रहे हैं तो हम आप पर कैसे भरोसा करें? आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि एजीआर बकाये का भुगतान किया जाए। आप विदेशी कंपनी हैं आप पर कैसे भरोसा किया जाये कि आप भागेंगे नहीं?”
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