अब विसरा जांच से ही सुलझेगी पहेली
हिसार (सच कहूँ न्यूज/संदीप सिंहमार)। सुप्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक गर्ग (Dr. Ashok Garg) की मौत अब तक अनसुलझी पहेली बनी हुई है। उनके सबके पोस्टमार्टम के बाद पेट से निकले डेढ़ लीटर के करीब केमिकल ने पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक बोर्ड व जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों को भी यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि यह आत्महत्या का मामला है या फिर हत्या का? वैसे तो पुलिस ने अभी तक डॉ अशोक गर्ग की पत्नी डॉ अरुणा गर्ग की शिकायत पर 14 लोगों के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला ही दर्ज किया है।
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लेकिन पुलिस इस मामले की गहनता से जांच में जुटी है। जाँच पूरी न होने तक इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी को भी अभी रोका जा सकता है। दरअसल, डॉ. अशोक गर्ग की पत्नी अरुणा गर्ग की शिकायत के अनुसार गर्ग ने व्हाट्सऐप पर मैसेज कर जहरीला पदार्थ खाने की बात कही थी। इसी आधार पर अरुणा गर्ग ने अपने बेटे डॉक्टर को सूचना प्रेषित की थी और यही सूचना पुलिस (Police) को भी भेजी गई। यहां सबसे बड़ी सोचने की बात यह है कि यदि उन्होंने जहरीला पदार्थ ही निगला होता तो अस्पताल व पुलिस को 1 दिन बाद सूचना क्यों मिलती?
यह भी सबसे बड़ा सुलगता सवाल है। दूसरा सवाल जब डॉक्टर अशोक गर्ग के शव का चिकित्सक बोर्ड ने पोस्टमार्टम किया तो उनके पेट से डेढ़ लीटर के करीब केमिकल निकला। इस केमिकल ने पूरे चिकित्सक बोर्ड को चौंका दिया। फिलहाल इस सवाल का जवाब अभी चिकित्सक बोर्ड के पास भी नहीं है।
मधुबन सीएफएसएल लैब रिपोर्ट से होगा असली खुलासा | (Hisar News)
डॉक्टर गर्ग के पेट से निकले केमिकल को विसरा जांच के लिए मधुबन सीएफएसएल लैब में भेजा गया है। लैब की रिपोर्ट में पुलिस जांच पूरी होने के बाद ही उनकी मौत की असली वजह पता चल सकेगी। तब तक उनकी मौत हत्या है या आत्महत्या इसी संशय में रहेगी। फिलहाल पुलिस को बयान देने के बाद डॉ. अशोक गर्ग के परिजन भी इस पूरे मामले में चुप्पी बनाए हुए हैं।
दूसरी तरफ चिकित्सकों का मानना है कि यदि डॉ. गर्ग ने जहरीला पदार्थ निगल कर आत्महत्या की होती तो मौत के बाद उनके पेट में इतना केमिकल (Chemical) नहीं मिल सकता था। उनकी मौत के पहलू में यही एक सबसे बड़ा सवाल है? जिसे पुलिस ने हर एंगल से जोड़कर देखना होगा। यह भी हो सकता है कि उनकी मौत की घटना को अंजाम देने के बाद उनके फोन से किसी और ने ही उनकी पत्नी के पास व्हाट्सऐप पर मैसेज किया हो। इन सभी सवालों को जांच में शामिल किया जा रहा है।
हजम नहीं हो रही परिजनों व चिकित्सकों की चुप्पी
पुलिस इस मामले में डॉ. अशोक गर्ग के परिजनों के साथ-साथ सुसाइड (Suicide) नोट में जिन 14 लोगों के नाम शामिल है, उन सभी से भी पूछताछ कर सकती है। पर अभी तक इस मामले में खुद डॉ. अशोक गर्ग के परिजनों व हिसार के चिकित्सकों की चुप्पी भी किसी को हजम नहीं हो रही है।
कुछ भी हो चाहे यह मामला आत्महत्या से ही क्यों ना जुड़ा हुआ हो? इस मामले की तह तक जाकर जांच होनी चाहिए, ताकि किसी भी सूरत में अन्याय ना हो।
इंसाफ तो मिलना ही चाहिए
इतना जरूर कहा जा सकता है कि सुप्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अशोक गर्ग की मौत की वजह उनकी सामाजिक सेवा में भागीदारी की है। क्योंकि उनके पास जो भी कोई व्यक्ति सामाजिक कार्य से संबंधित आता था तो वह उनको कभी भी पैसों के लिए मना नहीं करते थे। यही एक वजह थी कि उनके पास लोगों का आना-जाना लगा रहता था। चाहे सामाजिक कार्य हो या किसी को किसी कार्यक्रम में चीफ गेस्ट बुलाना हो हिसार (Hisar) शहर में यदि सबसे पहले किसी सामाजिक कार्यकर्ता का नाम आता था तो वह नाम डॉ. अशोक गर्ग था। अब डॉक्टर अशोक गर्ग इस दुनिया में नहीं रहे। पर मौत के बाद तो उनको इंसाफ मिलना ही चाहिए।
करोड़ों का कर्ज अपने आप में एक उलझा हुआ सवाल ?
ध्यान रहे कि अब तक उनकी मौत का कारण करोड़ों रुपए का कर्ज बताया जा रहा है जो उन्होंने बैंक में निजी तौर पर लिया हुआ था। खुद डॉक्टर अशोक गर्ग एक अच्छे डॉक्टर के साथ-साथ नेत्र रोग से संबंधित पुस्तकों के विश्व सत्र के लेखक भी थे। इन्हीं पुस्तकों के आधार पर उनका नाम कई बार लिम्का बुक आॅफ रिकॉर्ड व गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल हो चुका था। इसी काम के आधार पर उनको पुस्तकों की रॉयल्टी भी मिलती थी। उसको की रॉयल्टी से अच्छी खासी इनकम मानी जाती है। दूसरा उनका खुद का हॉस्पिटल भी था।
तीसरा उनकी पत्नी डॉ अरुणा गर्ग प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में अधिकारी के तौर पर नियुक्त हैं वहीं उनका बेटा शहर के एक निजी हॉस्पिटल में चिकित्सक के तौर पर प्रेक्टिस कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में भी करोड़ों रुपए का कर्ज अपने आप में एक उलझा हुआ सवाल है। क्योंकि कर्ज के कारण है अशोक गर्ग को तोशाम रोड (Tosham Road) पर स्थित अपना हॉस्पिटल बेचना पड़ा था। इन सभी पहलुओं को जोड़कर जब जांच पूरी होगी तभी इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है। ऐसा होना भी चाहिए ताकि भविष्य में किसी और व्यक्ति को कर्ज से परेशान होकर जान ना गंवानी पड़े।