नशा छोड़ने के बाद माता पिता को बनाकर दिया तीन मंजिला मकान
लुधियाना (सच कहूँ/जसवीर सिंह गहल)। Ludhiana News: नशा आज समाज को घुन की तरह अन्दर-अन्दर से खा रहा है, जो सिर्फ शारीरिक तौर पर ही बर्बाद नहीं कर रहा, बल्कि यह आर्थिक तौर पर भी कंगाल कर रहा है। जिसका प्रमाण अनेक लोगों की तरह महानगर लुधियाना (पंजाब) के एक युवक की आपबीती से प्रत्यक्ष देखने को मिलता है। जिसका नशे की पूर्ति के लिए लाखों रुपये का कीमती घर सहित एक करोड़ रुपया बर्बाद हो गया। आखिर परिवार भी उसे अकेले छोड़कर चला गया।
37 वर्षीय जसविन्द्र पाल जो युवावस्था में काम सीखते हुए लकड़ी के काम का अच्छा कारीगर बनकर काम के ठेके लेने लगा। घर में कोई भी किसी भी तरह का नशा न करते होने के बावजूद भी वह 20 साल की आयु में शराब पीने का आदी हो चुका था। हालात यह बन चुके थे कि जसविन्द्र को बिना शराब पिए बैड से उठने में तकलीफ होने लगी थी, लेकिन उसने शराब न छोड़ी। लगातार शराब पीने से न सिर्फ उसका वजन घटने लगा, बल्कि उसका काम भी प्रभावित होने लगा। फिर वह 11 लाख रुपये खर्च कर इटली के अलावा जर्मनी, हॉलैंड, पुर्तगाल व लिबिया भी गया, लेकिन वहां भी वह काम पर जाने की बजाय कमरे में बैठकर शराब ही पीता रहा। Ludhiana News
इस दौरान वह भारत लौट आया और इसके बाद फिर से दुबई चला गया, जहां काम पर भी शराब पीने की उसकी आदत के चलते कम्पनी ने उसे डिपोर्ट कर दिया। जसविन्द्र के मुताबिक इस दौरान उसके नशे की पूर्ति के लिए, आज जिसकी कीमत 3 करोड़ से भी ज्यादा है, अपना घर 2009 में 60 लाख रूपये में बेचना पड़ा। उसने बताया कि जब वह विदेश में था तो उसके माता पिता ने उसे 35-36 लाख रुपये भेजे। इन रुपयों को भी उसने नशे में ही बर्बाद कर दिया। जसविन्द्र ने बताया कि 2017 में उसकी शादी हो गई, लेकिन उसकी शराब की आदत ने उसका पीछा नहीं छोड़ा।
उसने अपनी शराब की बुरी लत में घर का सारा कीमती सामान (फ्रिज, एसी, कूलर, वॉशिंग मशीन आदि) बेच दिया, जिससे परेशान होकर उसकी पत्नी भी उसे छोड़कर चली गई। पूर्णिमा इन्सां ने कहा कि जसविन्द्र भले ही उसका जीवन साथी था, लेकिन शराब के चलते उससे नफरत होने लगी थी और वह उसे छोड़कर मायका में रहने लगी थी, लेकिन तहेदिल से धन्यवाद अपने प्यारे सतगुुरु जी का, जिन्होंने अपनी रहमत करते हुए मेरे पति जसविन्द्र पाल को नशों से दूर कर दिया। आज उसकी जिन्दगी जन्नत का रूप है।
‘उनकी खुशी का नहीं रहा कोई ठिकाना’
गांव भट्टियां की सरपंच डॉ. अर्चना इन्सां ने कहा कि उनकी बेटी पूर्णिमा इन्सां सहित उनकी जिन्दगी भी किसी नर्क से कम नहीं थी, लेकिन ज्यों ही एक दिन सुबह 4 बजे आकर जसविन्द्र पाल इन्सां ने उनके पैरों के हाथ लगाते हुए उन्हें पवित्र शाही नारा ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ लगाया तो, उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होेंने कहा कि वह बहुत खुश हैं कि उनका दामाद अब नशेड़ी नहीं, प्रेमी कहलवाता है।
डेरा सच्चा सौदा के प्रयास से बदली जसविन्द्र पाल इन्सां की जिंदगी
इस दौरान डेरा सच्चा सौदा का श्रद्धालु मनी इन्सां जो कि जसविन्द्र पाल का दोस्त है, ने सच्ची मित्रता निभाई व उसके द्वारा समझाए जाने के डेढ़-दो माह बाद ही उसने सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से सलाबतपुरा दरबार में पवित्र नाम शब्द की अनमोल दात प्राप्त कर ली। जसविन्द्र ने कहा कि नाम शब्द प्राप्त करने के बाद उसने शराब के नशे से तौबा कर ली। नाम सुमिरन से उसका आत्मबल बढ़ा और फिर से वह काम काज करने लगा। अब उसका काम और भी बड़Þे शहरों में फैल रहा है। Ludhiana News
इसके अलावा उसने शराब पीने के लिए बेचे घर की जगह अपने माता-पिता को नया तीन मंजिला मकान बनाकर दिया है। बेटी जो साधारण स्कूल में पढ़ती थी, आज शहर के प्रसिद्ध स्कूल में शिक्षा हासिल कर रही है और वह खुद अब 15 मैंबर की सेवा निभा रहा है। जसविन्द्र पाल इन्सां ने कहा कि पूज्य गुरु जी द्वारा पहनाया गया ‘इन्सां’ का लॉकेट उसे हर समय सोहणे सतगुरु की याद व अच्छे कार्यों के लिए प्रेरित कर रहा है। उसका घर अब किसी जन्नत से कम नहीं।
यह भी पढ़ें:– सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं: मनोज धामा