भुच्चों मंडी निवासी दो जुड़वां बहनों ने नीट परीक्षा में सफलता प्राप्त कर क्षेत्र व अभिभावकों का नाम किया रोशन
(Twin sisters success in NEET exam)
सच कहूँ/सुखजीत मान बठिंडा। भुच्चो मंडी निवासी कीर्ति गर्ग के घर जब जुड़वां बेटियों ने जन्म लिया था, तब बेटियों की मां किरना देवी ने भीतर ही भीतर थोड़ी मायुस थी। पेरेंट्स ने अच्छे से परविश की तो शिक्षा में होशियार बनकर दोनों जुड़वां बेटियों ने नीट की परीक्षा में एक साथ सफलता का परचम लहरा दिया। अब वही मां अपनी बेटियों पर गर्व महसूस करती हैं। इन जुड़वां बहनों ने दिल के रोगों की विशेष डॉक्टर बनकर लोक सेवा करने का सपना साकार करने की ठानी हुई है। सच कहूँ के साथ बातचीत करते हुए जुड़वां बहनें अर्पिता और अंकिता ने बताया कि उन्होंने नीट परीक्षा में सफलता प्राप्त करन के लिए बहुत मेहनत की, जिसकी बदौलत उन्हें यह फल मिला है। दोनों में से अर्पिता ने 602 और अंकिता ने 629 अंक प्राप्त किए हैं।
दिल की डॉक्टर बनकर करना चाहतीं हैं लोगों की सेवा
यही नहीं, इससे पूर्व दसवीं और बारहवीं की कक्षा में भी दोनों बहनों के नंबर करीब बराबर ही रहे हैं। दसवीं में अर्पिता ने 10 और अंकिता ने 9.4 सीजीपीए प्राप्त किए और बारहवीं में अर्पिता ने 82 और अंकिता ने 80 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। नीट की परीक्षा में सफलता के लिए शिक्षा संबंधी सवाल पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि कोचिंग और घर में वह एक दिन में दस घंटे पढ़ाई करती थीं।
उन्होंने बताया कि एक बार क्लास में दोनों बहनों का एक ही लक्ष्य संबंधी पूछे जाने पर अंकिता ने बताया कि बचपन में हमें जैसा माहौल मिलता है, उसी प्रकार हम लक्ष्य की तरफ बढ़ते हैं इसीलिए बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना है और अर्पिता ने भी इसी क्षेत्र में काम करने की रूचि दिखाई। समाज को संदेश देने के नाम पर इन जुड़वां बहनों ने कहा कि लड़की हो या लड़का दोनों ही मां-बाप का नाम रौशन कर सकते हैं इसीलिए बेटियों को भी बेटों की तरह प्यार करना चाहिए।
बेटियों पर गर्व है: अभिभावक
अर्पिता व अंकिता के पिता कीर्ति गर्ग का कहना है कि वह अपनी बेटियों की सफलता पर गर्व महसूस करते हैं। उनका कहना है कि वह बच्चियों को अच्छी शिक्षा दिलवाने के लिए भुच्चो मंडी से बठिंडा आया था। ताकि उन्हें कोचिंग लेने में कोई मुश्किल न आए। बच्चियों की मां किरना देवी ने भावुक होते हुए कहा कि वह जुड़वां बेटियों के जन्म होने पर रोई थी, लेकिन अब बहुत खुश हूँ। अब मुझे मेरी बेटियों पर गर्व है।
पिता की सर्जरी के बाद दिल की डॉक्टर बनने के बारे में सोचा
दोनों जुड़वां बहनों की उनकी दिल की ही डॉक्टर बनने की इच्छा है। इस संबंधी दोनों का कहना है कि कुछ समय पूर्व उनके पिता का दिल का आॅपरेशन हुआ था, तब उन्होंने यही सोचा कि वे अच्छी पढ़ाई कर दिल की ही डॉक्टर बनेंगी ताकि कोई भी माता-पिता की दिल की बीमारी के कारण उपचार के अभाव में अपने बच्चों से दूर न हों।
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