नई दिल्ली। कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandit) ने सरकार से राहुल भट्ट के हत्यारों को सजा देने के लिये आवश्यक कदम उठाने की मांग करते हुए रविवार को जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में कश्मीरी पंडितों ने मांग की कि सरकार कश्मीरियत की तर्ज पर कश्मीरी पंडितों को बली का बकरा न बनाये और जल्द से जल्द नरसंहार बिल पारित करे।
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें थीं कि सरकार कश्मीरी हिंदूओं को नरसंहार का शिकार माने, मामलों को तेजी से ट्रैक करने और नरसंहार के अपराधियों की पहचान करने के लिए नरसंहार आयोग का गठन करे, रोकथाम जनसंहार विधेयक अधिनियमित करे, और 1991 के पनुन कश्मीर प्रस्ताव के अनुरूप ‘कश्मीर में एक जगह बसावट’ बनाए। कश्मीर समिति दिल्ली के अध्यक्ष सुमीर च्रुंगू ने यहां संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि अगर सरकार कश्मीरी पंडितों को घर पहुंचाने के बारे में संजीदा है तो सबसे पहले उसे यह स्वीकारना होगा कि कश्मीरी पंडित नरसंहार के पीड़ित हैं।
प्रदर्शन में पनून कश्मीर के एक वरिष्ठ नेता विठल चौधरी ने मांग की कि राहुल भट्ट को मिलने वाली धमकियों को नजरंदाज करने और उनके तबादले को टालने के लिये बडगाम के पुलिस उपायुक्त के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिये। उन्होंने शोकग्रस्त कश्मीरी पंडितों के खिलाफ लाठियां और स्टन गन इस्तेमाल करने के लिये बडगाम पुलिस अधीक्षक पर कार्रवाई की भी मांग की। रूट्स इन कश्मीर के कार्यकर्ता आशीष राजदान ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने आरोपियों के खिलाफ कदम नहीं उठाए तो कश्मीरी पंडित देश भर में यह दिखाने के लिये प्रदर्शन करेंगे कि किस तरह कश्मीर में हिंदुओं को प्रशासन और आतंकवादी दोनों प्रताड़ित कर रहे हैं।
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