पराली जलाने कर प्रशासन सख्त, पराली प्रबंधन को लेकर डीसी ने की चर्चा

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Kaithal पराली जलाने कर प्रशासन सख्त, पराली प्रबंधन को लेकर डीसी ने की चर्चा

कैथल, सच कहूं/ कुलदीप नैन । पर्यावरण प्रदूषण को रोकना सबकी सांझी जिम्मेदारी है। सभी संबंधित अधिकारी गंभीरता से अपनी डयूटी निभाएं और पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाएं। इस कार्य में किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं बरती जाए। नियमों की उल्लंघना करने वालों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाए। डीसी डॉ. विवेक भारती लघु सचिवालय स्थित अपने कार्यालय में पराली प्रबंधन को लेकर संबंधित अधिकारियों की बैठक ले रहे थे। उन्होंने निर्देश देते हुए कहा कि जिला में गठित कमेटियां निरंतर क्षेत्र में रहकर आग लगाने की घटनाओं पर अंकुश लगाएं, वहीं किसानों को निरंतर जागरूक भी करते रहे। कई किसानों ने पराली प्रबंधन करके धनराशि अर्जित करके अपना नाम कमाया है। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में नॉन बासमती की फसल लगी है, वहां पर विशेष निगरानी रखी जाए, क्योंकि उन्हीं क्षेत्रों में पराली में आग लगाने की घटना का अंदेशा बना रहता है। उन्होंने पुलिस विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे लगातार फ्लैग मार्च करते रहें और लोगों को पराली के प्रबंधन के बारे में जागरूक करें।

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ये रहे मौजूद

इस मौके पर एडीसी दीपक बाबू लाल करवा, सहायक आयुक्त प्रशिक्षणाधीन अंकिता पुवार, एसडीएम अजय सिंह, सत्यवान सिंह मान, कृष्ण कुमार, आरटीए गिरिश कुमार, डीडीए बाबू लाल के अलावा अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।

किसान पराली में आग न लगाएं, बल्कि इसका सही तरीके से प्रबंधन करके आय का साधन बनाएं। पराली जलाने से न केवल पर्यारण प्रदूषित होता है, वहीं जमीन की उर्वरा शक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पराली प्रबंधन हेतू सरकार द्वारा किसानों के लिए अनेकों योजनाएं लागू की गई है, जो किसान पराली प्रबंधन करता है, उसको सरकार द्वारा 1 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
डॉ विवेक भारती, डीसी, कैथल

पराली के अवशेष ना जलाने बारे पुलिस भी कर रही जागरूक

पराली के अवशेष ना जलाने बारे जिला पुलिस द्वारा खेतो व गांव में जाकर निरंतर रूप से किसानों को जागरूक किया जा रहा है। सभी डीएसपी व थाना प्रबंधक द्वारा अपने-अपने अधिकार क्षेत्र अंतर्गत के गांवो व खेतों में जाकर किसानों को जागरूक कर रहे है। एसपी राजेश कालिया ने बताया कि किसान धान की फसल के अवशेषों को आग न लगाएं, बल्कि कस्टम हायरिंग सेंटरों व फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्रों की मदद से इन्हें मिट्टी में मिलाएं तथा इन फसल अवशेषों का बेहतर प्रबंधन करें, ताकि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके और भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बनी रहे। जिला प्रशासन द्वारा फसलों के अवशेष जलाने वाले किसानों की सख्त निगरानी की जा रही है तथा फसल अवशेष जलाने का दोषी पाए जाने वालो के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।

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