चेन्नई (एजेंसी)। Aditya-L1 Mission: सूर्य अध्ययन के लिए भेजे गये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पहले सौर खोजी मिशन आदित्य-एल1 ने सफलतापूर्वक तीसरी कक्ष में प्रवेश कर लिया है। इसरो ने आज यहां बताया कि रविवार तड़के 0230 बजे इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) ने आदित्य एल 1 सफलतापूर्वक अगली कक्ष में पहुंचाया। Aditya L1 News
अभियान के दौरान मॉरीशस, बेंगलुरु, एसडीएससी-शार और पोर्ट ब्लेयर में इसरो के ग्राउंड स्टेशनों ने उपग्रह पर नजर बनाये रखी गई। उन्होंने बताया कि नयी कक्ष 296 किमी गुणा 71767 किलोमीटर है। अगली चौथी कक्ष में प्रवेश के लिए 15 सितंबर तड़के दो का समय निर्धारित किया गया है। Aditya L1 News
उल्लेखनीय है कि भारत ने दो सितम्बर को अपने पहले सूर्य मिशन आदित्य एल1 को सूर्य और अंतरिक्ष के अध्ययन के लिए प्रक्षेपित किया था। यह सूर्य मिशन पृथ्वी के सबसे नजदीक इस तारे की निगरानी करेगी और सोलर विंड जैसे अंतरिक्ष के मौसम की विशेषताओं का अध्ययन करेगा।
सूर्य की स्टडी के लिए क्यों भेजा जा रहा है सूर्ययान? Aditya L1 News
बता दें कि सूर्य हमारा तारा है। उससे ही हमारे सौरमंडल को ऊर्जा यानी एनर्जी मिलती है। इसकी उम्र करीब 450 करोड़ साल मानी जाती है। बिना सौर ऊर्जा के धरती पर जीवन संभव नहीं है। दरअसल सूरज की ग्रेविटी की वजह से ही इस सौरमंडल में सभी ग्रह टिके हुए हैं नहीं तो वह कब का सुदूर गहरे अंतरिक्ष में तैर रहे होते। सूरज का केंद्र यानी कोर में न्यूक्लियर फ्यूजन होता है। इसलिए सूरज के चारों तरफ आग उगलती हुई दिखाई देती है। सतह से थोड़ा ऊपर यानी इसके फोटोस्फेयर का तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। सूरज की स्टडी इसलिए ताकि उसकी बदौलत सौर मंडल के बाकी ग्रहों की समझ भी बढ़ सके।
सूर्य की स्टडी से क्या हासिल होगा? Aditya L1 News
दरअसल अंतरिक्ष यान 7 पेलोड लेकर जाएगा यह पेलोड और फोटोस्फेयर (प्रकाशनगर), क्रोमोस्पेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे भारी परत (कोरोना) का जायजा लेंगे। सूर्य में होने वाली विस्फोटक प्रक्रियाएं पृथ्वी के नजदीकी स्पेस एरिया में दिक्कत कर सकती है और बहुत से उपग्रह को नुकसान हो सकता है। ऐसी प्रक्रियाओं का पता पहले चल जाए तो बचाव के कदम उठा सकते हैं, लेकिन तमाम स्पेस मशीनों को चलाने के लिए स्पेस के मौसम को समझना जरूरी है। इस मिशन से स्पेस के मौसम को भी समझने में मदद मिल सकती है और इससे सौर हवाओं की भी स्टडी की जाएगी।
वही इसे पढ़ कर हर किसी के मन में यह सवाल उठेगा कि आखिर सूरज के पास मिशन सुरक्षित कैसे रह सकता है क्योंकि वहां पर इतनी गर्मी है और धरती की कुछ भी वस्तु सूरज के आसपास नहीं रह सकती। तो अब हम आपको बताएंगे कि इस मिशन को सूर्य से कितनी दूरी पर रखा जाएगा ताकि यह सुरक्षित रह सके।