निगम आयुक्त से आरोपों पर रिपोर्ट सहित अधिकारी तलब
- ठेका रद्द करने का प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजा ही नहीं फाइल गायब करवा दी गई।
- आरोप:- पीएमयू की स्वीकृति के बगैर जेबीएम को 38 करोड़ रूपये की गैर कानूनी पेमेंट की
- जुर्माने के प्रावधान के बावजूद जेबीएम पर नहीं लगाया जुर्माना
पानीपत। नगर निगम के करोड़ों रूपये के कूड़ा घोटाले की जांच डीसी के आदेश पर एडीसी 21 अक्टूबर को करेंगे ।एडीसी ने नगर निगम आयुक्त से शिकयत के आरोपों पर बिंदुवार जवाब व टिप्पणी सहित सम्बंधित अधिकारियों को 21 अक्टूबर को लघु सचिवालय में तलब किया है।
शिकायतकर्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने जिला उपायुक्त कार्यालय पर 7 सितंबर को प्रदर्शन कर डीसी को दी शिकायत में आरोप लगाया कि मेयर अवनीत कौर के कार्यकाल में निगम कार्यालय चम्बल घाटी बन चुका है। हर काम में करोड़ों रूपये के घोटाले व कमीशनखोरी का खेल चल रहा है। भाजपाई विधायक व सांसद धृतराष्ट्र बने हुए हैं।शिकायत में कपूर ने आरटीआई सबूतों सहित आरोप लगाया कि जेबीएम कम्पनी, मेयर, निगम आयुक्तों की मिलीभगत से कूड़ा कचरा उठाने के कार्य में बड़ा घोटाला चल रहा है।
पीएमयू की स्वीकृति के बगैर जेबीएम को 38 करोड़ रूपये की गैर कानूनी पेमेंट की
मेयर अवनीत कौर ने निगम के सदन की बैठक में 4 जुलाई 2019 को पहले तो जेबीएम कम्पनी का ठेका रद्द करने का प्रस्ताव पारित करवाकर जेबीएम पर दबाव बनाया। फिर इस प्रस्ताव को सरकार को भिजवाया ही नहीं न ठेका रद्द कराने के इस केस की कोई पैरवी की। मेयर अवनीत कौर व निगम आयुक्त के मुंह बंद हो जाने के पीछे कमीशनखोरी का बड़ा खेल है या कोई राजनैतिक दबाव, वे खुद ही बता सकते हैं। जनचर्चा अनुसार सौदा दस-दस लाख रूपये प्रति माह मंथली बंध जाने पर घोटाले को दबा दिया गया,ठेका रद्द नहीं होने दिया गया। ठेका रद्द होने पर ये घूसखोरी का खेल बंद होना था।
प्रोजैक्ट मैनेजमैंट यूनिट (पीएमयू) की मॉनिटरिंग व बिलों की वैरिफिकेशन व अप्रुवल के बगैर ही जेबीएम कम्पनी को 38 करोड़ रूपये की पेमेंट गैरकानूनी तरीके से कर दी। टैंडर एग्रीमेंट में जुर्माने का प्रावधान होने के बावजूद जेबीएम कम्पनी के डिफाल्टर होने पर भी जुर्माना नहीं लगाया गया। इस घोटाले के कारण निगम को करोड़ों रूपये की राजस्व हानि व जनता को गंदगी से परेशानी हो रही है। इस घोटाले के सूत्रधार मुख्य सफाई निरीक्षक सुधीर को ईनाम स्वरूप गत माह रिटायर होने पर एक वर्ष का सेवा विस्तार निगम आयुक्त की सिफारिश पर सरकार ने दिया।कपूर ने कहा कि बाईस वर्ष तक चलने वाले इस ठेेके को रद्द ना किया तो नगर निगम दिवालिया हो जाएगा व शहर कूड़े का ढेर बन जाएगा।
शिकयत में मुख्य मांगे:-
(1.) जेबीएम के विरूद्ध 4 जुलाई 2019 को निगम द्वारा पारित प्रस्ताव अनुसार ठेका रद्द हो। ठेका रद्द करने के प्रस्ताव की फाईल गायब कराने के कांड में मेयर, कमिशनर, जेबीएम कम्पनी व मुख्य सफाई निरीक्षक के विरूद्ध एफआईआर दर्ज हो।
(2.) पीएमयू के मॉनिटरिंग व अप्रुवल के बगैर जेबीएम को भुगतान किए गए 38 करोड़ रूपये की वसूली की जाए।
(3.) नगर निगम मेयर अवनीत कौर, निगम आयुक्त सुशील कुमार व पूर्व निगम आयुक्त ओमप्रकाश के विजिलेंस जांच करवाकर भ्रष्टाचार का मुकद्दमा दर्ज कर कारवाई की जाए।
(4.) मुख्य सफाई निरीक्षक सुधीर को रिटायरमेंट के पश्चात दिया गया एक वर्ष का सेवा विस्तार रद्द हो।
(5.) नगर निगम क्षेत्र में कूड़ा उठाने व सफाई कार्य सुचारू हो।
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