128 एकड़ के लगभग जमीन आज भी खाली

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कोरोना काल के दो सालों में 46 लाख रुपये का हुआ घाटा

  • कोशिशों के बावजूद खेतिहर किसान पंचायती जमीन की बोली देने में नहीं हैं तैयार

सच कहूँ/विनोद शर्मा फतेहाबाद। भूना की 29 ग्राम पंचायतों में डीजल की मंहगाई एवं कोविड-19 के चलते ग्राम पंचायतों के फंड पर 2 सालों में 46 लाख का आर्थिक रूप से घाटा हुआ है। जो वित्तीय संकट पैदा होने से कई पंचायतों के विकास कार्यों में विराम लग गया है। इनमें चंद्रावल, ढाणी गोपाल,भूथन खुर्द, गोरखपुर,खासा पठाना, ढाणी सांचला, नाढोड़ी व बुवान शामिल है। जिनमें अब तक लगभग 128 एकड़ जमीन की वार्षिक पट्टा नीलामी तक नहीं हो पाई है। पंचायत विभाग की लगातार कोशिशों के बावजूद खेती हर किसान पंचायती जमीन की बोली देने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन कोविड-19 से पहले उपरोक्त जमीन प्राप्त करने के लिए खेतिहर किसान एक- दूसरे से बढ़कर बोली देते थे, किंतु मंहगाई एवं कोरोना की मार में अब तक करीब 128 एकड़ जमीन की बोली देने वाला भी कोई नहीं है।

128 एकड़ के लगभग जमीन पड़ी खाली

बता दें कि खंड की 29 ग्राम पंचायतों में कृषि उद्देश्य हेतु शामलात भूमि एक वर्ष के लिए पट्टे पर दिए जाने को लेकर पंचायत अधिकारियों की निगरानी में ग्राम सभा की बैठक रखी गई थी। उपरोक्त बैठकों में खंड की लगभग 792 एकड़ जमीन को पट्टे पर देने के लिए ग्रामीणों को प्रचार प्रसार के माध्यम से जागरूक किया गया था। पंचायत अधिकारियों की देखरेख में पहली बैठक में किसी भी पंचायत में जमीन लेने वाले शामिल नहीं हुए थे। जिसके बाद दूसरी व तीसरी बैठक में 663 एकड़ जमीन को एक वर्ष के लिए पट्टे पर दे दिया गया।

मगर 128 एकड़ के लगभग जमीन आज भी खाली पड़ी है। क्योंकि निर्देशक पंचायत विभाग के आदेशानुसार दस प्रतिशत बढ़ाकर खेतिहर किसानों को जमीन पट्टे पर देने के लिखित आदेश जारी किए हुए थे। इसलिए खेतिहर किसानों ने पहले से भी कम दामों पर जमीन की बोली की थी। लेकिन पंचायत अधिकारियों ने बोली को रद्द करके उच्च अधिकारियों को मामले को लेकर प्रेषित किया। लेकिन खरीफ फसलों की बिजाई का समय भी निकल चुका है। जिससे पंचायत विभाग के अधिकारियों की चिंता बढ़ी हुई है।

29 ग्राम पंचायतों के पास 4099 एकड़ जमीन

भूना ब्लॉक के अधीन 29 ग्राम पंचायतों की 4099 एकड़ जमीन में से 792 एकड़ कृषि योग्य जमीन को पट्टे पर वर्षों से दिया जाता आ रहा है। लेकिन वर्ष 2019-20 में जमीन की पट्टा नीलामी से पंचायतों को 2 करोड़ 39 लाख 68400 की आमदनी हुई थी। वर्ष 2020- 21 में जमीन की पट्टा नीलामी से ग्राम पंचायतों को 2 करोड़ 3 लाख 65180 की आर्थिक आय हुई थी। उपरोक्त वर्ष में पंचायती फंड में 39 लाख रुपये का आर्थिक घाटा हुआ था।

परंतु वर्ष 2021-22 में जमीन की बोली से एक करोड़ 96 लाख 58455 की आमदनी हुई है। जबकि 128 एकड़ जमीन पर कोई खेती हर किसान बोली देने को तैयार नहीं है। मगर चालू वर्ष अब तक 706725 रुपए का पंचायती फंड में भारी नुकसान हुआ है। जबकि कोरोना काल के 2 वर्षों का रिकॉर्ड देखा जाए तो 46 लाख रुपये से भी अधिक की आर्थिक मार पड़ी है।

पंचायती फंड में 90 प्रतिशत राशि व पांच-पांच रेडक्रॉस व पंचायत समिति पर होती खर्च

खंड की 29 ग्राम पंचायतों से जमीन की पट्टा नीलामी के बाद प्राप्त होने वाली उपरोक्त राशि पंचायती फंड में जमा होती है। जिसमें से पांच प्रतिशत राशि रेड क्रॉस फतेहाबाद को तथा पांच प्रतिश राशि पंचायत समिति भूना के अकाउंट में ट्रांजैक्शन की जाती है। जबकि 90 प्रतिशत राशि पंचायतों के विकास कार्यों पर खर्च होती है।

क्या कहते हैं एसईपीओ नरेंद्र सिंह कुंडू

समाज शिक्षा पंचायत अधिकारी नरेंद्र सिंह कुंडू ने बताया कि 29 ग्राम पंचायतों की शामलात की कृषि योग्य जमीन को पट्टे पर देने के लिए शेड्यूल बनाया गया है। पंचायत प्रशासक बीडीपीओ नरेंद्र कुमार के नेतृत्व में 15 अप्रैल से लेकर 5 मई तक जमीनों को पट्टे पर देने के लिए बोली हुई। मगर सात गांवो में 128 एकड़ जमीन की अभी तक पट्टा निलामी नहीं हो पाई है। जिसके बारे में उच्च अधिकारियों को प्रेषित कर दिया गया है। पंचायत प्रशासक की कोशिशों के बावजूद खेतिहर किसान जमीन लेने के लिए आगे नहीं आ रहे।

गांवों के विकास कार्य होंगे प्रभावित: पुनीत कुमार

पंचायती राज विभाग के खंड पटवारी पुनीत कुमार सिहाग ने बताया कि कोरोना महामारी के 2 वर्षों में पंचायती फंड पर लाखों रुपये का आर्थिक घाटा हुआ है। जिससे गांवों के विकास कार्य प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होंगे। हालांकि 128 एकड़ खाली जमीन की पुन: पट्टा नीलामी के लिए निर्देशक हरियाणा पंचायती विभाग व उपायुक्त फतेहाबाद से अप्रूवल मांगी हुई है।

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