जरूरतमंद परिवार को आर्थिक सहायता के रूप में सौंपे 16 हजार 300 रुपए
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लड़की मां परमीत कौर ने पूज्य गुरु जी व साध-संगत का जताया आभार
सरसा। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा शुरू की गई ‘आशीवाई मुहिम’ जरूरतमंद परिवार की बेटियों की शादी में आर्थिक मद्द पहुंचाने का काम रही है। इसी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए ब्लॉक उपकार कॉलोनी की साध-संगत द्वारा एक और बेटी की शादी में आर्थिक सहायता की गई। जानकारी के अनुसार उपकार कॉलोनी ब्लॉक-डी मकान नंबर-36 निवासी परमीत कौर पत्नी नछतर सिंह की बेटी कुलविन्द्र कौर का विवाह श्रीगंगानगर के कपिल कुमार से तय हुआ था।
परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उक्त परिवार ने ब्लॉक भंगीदास परमजीत इन्सां से संपर्क कर मद्द की अपील की। जिसके बाद ब्लॉक भंगीदास परमजीत इन्सां ने साध-संगत के सहयोग से 16 हजार 300 रुपए नगद व शादी में जरूरत का सामान दिया। जिसमें सूट व पैंट शर्ट के जोड़े थे। बता दें कि उपकार कॉलोनी की साध-संगत मानवता भलाई कार्यों में हमेशा अग्रणी रहती है। ब्लॉक में जब भी किसी परिवार को कोई समस्या आती है तो सारी साध-संगत उक्त की मद्द के साथ उनके लिए सामुहिक सुमिरन कर पूज्य गुरु जी से अरदास भी करती है।
पूज्य गुरु जी का नहीं चुका सकती अहसान: परमीत कौर
बेटी के हाथ पीले होने पर मां परमीत कौर से पूज्य गुरु जी का हाथ जोड़कर धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि मेरी तीन बेटियां है दो की शादी हो चुकी है जबकि सबसे छोटी बेटी का विवाह अभी संपन्न हुआ है। जिसमें उपकार कॉलोनी की साध-संगत व ब्लॉक भंगीदास का विशेष सहयोग रहा है। साध-संगत ने जो सहयोग किया है उसके लिए मैं पूज्य गुरु जी व साध-संगत का अहसान कभी नहीं चुका सकती है। बेटी मेरी थी, लेकिन कन्यादान उपकार कॉलोनी की साध-संगत ने मिलकर किया है।
पूज्य गुरु जी ने जो 135 मानवता भलाई कार्यों की जिम्मेवारी सौंपी है उसे पूरा करना हमारा फर्ज: भंगीदास परमजीत
पूज्य गुरु जी ने समाज की भलाई के लिए 135 मानवता भलाई कार्य चलाए हुए हैं, जिनकी जिम्मेवारी हमें ईमानदारी से पूरी करनी है। इसी उद्देश्य को लेकर ही उपकार कॉलोनी की साध-संगत दिन रात जुटी हुई है। उक्त परिवार की बेटी की शादी में साध-संगत ने जो सहयोग किया है। उसकी शिक्षा हमें पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी से ही मिली है। रक्तदान, पौधारोपण, सफाई अभियान, बीमार मरीज का ईलाज करवाना, घायल की मद्द करना सहित अन्य कार्य साध-संगत द्वारा किए जा रहे हैं और आगे भी बढ़ चढ़कर किए जाते रहेंगे।
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