नगर पालिका भूना के 15-वार्डों में कुल 20320 मतदाता
- अनुसूचित जाति वर्ग के 7650 के करीब वोट
- अनुसूचित जाति महिला के लिए पहले थी आरक्षित, अब हुआ चेयरमैन पर ओपन
भूना (सच कहूँ न्यूज)। नगर पालिका भूना के चेयरमैन पद पर अनुसूचित जाति वर्ग का एक सामूहिक उम्मीदवार मैदान में आता है तो वे अपनी सीट कायम रख सकते हैं। अगर अनुसूचित जाति वर्ग के मतों में बिखराव हुआ तो बदल सकते है समीकरण।भूना में जातिगत तौर पर मतदान 12 जून 2010 को ग्राम पंचायत भूना में सरपंच पद के चुनाव में देखने को मिला था। उपरोक्त चुनाव में बनिया समाज के वोटों ने कंबोज बिरादरी के सुरेश कुमार कंबोज की ताजपोशी में मिठास डाल दी थी।
पिछला कार्यकाल विवादों से घिरा रहा
नगर पालिका भूना में मई 2016 को हभी 15 वार्डों के चुनाव शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न हुए थे। चेयरमैन पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित था। इसलिए भाजपा समर्थित राखी बाल्मीकि को 9 पार्षदों ने वोट देकर अपनी प्रधान चुन लिया था। परंतु राखी बाल्मीकि का कार्यकाल विवादों से भरा रहा। नगरपालिका चेयरपर्सन व पार्षदों के बीच लंबे समय तक खिंचातान चलती रही। उसी की बदौलत धरातल पर काम नहीं हुआ आज लोग नगर पालिका नाम से चिढ़ रहे हैं। शहर की गलियां टूटी हुई औरहै लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही। शहर के लोग कहते हैं नगर पालिका से तो पंचायत अच्छी थी।
400 से अधिक मतदाताओं के वोट डबल
शहर में नगर पालिका भूना के 15 वार्डों में कुल 20320 मतदाता है। लेकिन इनमें लगभग 400 से अधिक मतदाताओं के वोट डबल बने हुए हैं। शहर में अनुसूचित जाति वर्ग के 7650 के करीब वोट हैं। जबकि कंबोज बिरादरी व पंजाबी समुदाय के प्रत्याशी मैदान में उतरते हैं तो चुनावी माहौल किसी के भी पक्ष में जा सकता है। क्योंकि त्रिकोणीय मुकाबले में बनिया व कुम्हार बिरादरी के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। वही जट सिख समाज के करीब 870 व बिशनोई जाति के 430 के लगभग मतदाता चुनावी समीकरण बदलने में दमखम रखते हैं। लेकिन अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं पर इनकी पकड़ भी है और यह सेंध भी लगा सकते हैं।
शहर की टूटी-फूटी सड़कें नेताओं को कराएंगे रूबरू
श्याम विहार कॉलोनी निवासी गीता देवी व प्राचीन शिव मंदिर निवासी मंजू देवी तथा नेहरू पार्क निवासी विश्वपति देवी ने बताया कि अब नेताओं को अपनी बदहाल सड़क व गंदगी से उठ रही बदबू और गंदे पानी के भरी हुई सड़क के बीच ले जाकर रूबरू कराएंगे। उन्होंने बताया कि शहर की अधिकतर गलियां टूटी हुई है पैदल चलना भी मुश्किल है। नेहरू पार्क के पास दो से 3 फुट पानी का जलभराव है, अधिकारी सुध नहीं ले रहे है और नेता वोट लेने के बाद वार्ड में नहीं आते। परंतु अब मौका उनके हाथ में आया है।
सीवरेज व जलघर रहेगा चुनावों में हॉट मुद्दा
शहर में पिछले 3 वर्ष पहले से लाखों रुपये की लागत से सीवरेज पाइप लाइन बिछाई गई थी, जो आज तक कई एरिया में अधूरी पड़ी है और काम भी बीच में रुका हुआ है। वही चल घर का काम भी पिछले एक वर्ष से विवादों के चलते काम रुका हुआ है। शहर के दोनों बड़े प्रोजेक्ट पर सरकार व नगरपालिका के अधिकारी कुंभकर्णी की नींद में सोए हुए हैं। क्योंकि विवादों का समाधान करने में देरी के चलते शहर के लोग मूलभूत सुविधाओं से पिछड़े हुए हैं। चुनाव में सीवरेज पाइप लाइन व जलघर तथा गंदे पानी की निकासी को लेकर मतदाता सजग हैं। इसलिए मतदाताओं के पास जाने वाले प्रतिनिधियों को उपरोक्त समस्याओं से दो-चार होना पड़ेगा।
लालडोरे की आवासीय एरिया को बना दिया वैध कॉलोनी
नगरपालिका बनने के बाद चेयरपर्सन व पार्षदों ने अवैध कॉलोनियों को वैध बनाकर मूलभूत सुविधाएं देने के लिए प्रस्ताव पारित करके भेजा था। मगर प्रस्ताव में लाल डोरे एरिया में सात से ज्यादा कॉलोनी के नामकरण सहित मंजूरी सरकार के पास भेज दी थी। सरकार ने उन्हें वैध घोषित कर दिया। जबकि लाल डोरे से बाहर की अवैध कॉलोनियों को वैध करवाने को लेकर कार्रवाई होनी चाहिए थी। इसलिए शहर में प्लाटों एवं घरों की रजिस्ट्रियां तक रुकी हुई है।
शहर की रुकी हुई रजिस्ट्री बनेगी चुनौती
नगर पालिका में प्रॉपर्टी आईडी में हो रही धांधली और शहर की रुकी हुई रजिस्ट्री भाजपा-जजपा उम्मीदवारों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। क्योंकि भूना शहर में पिछले करीब 2 वर्षों से प्लाटों एवं घरों की जमीनों का पंजीकरण रुका हुआ है। उसी के चलते लोग लंबे समय से परेशानी से जूझ रहे। नगर पालिका में भ्रष्टाचार भी चुनाव में हार्ट इश्यू बना हुआ है।
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