अनोखी स्टोन रिवर की ये है अजब कहानी, जानिए कहां बहती है
Stone River:नदी! नाम सुनते ही ख्यालों में आने लगता है, जैसे पानी ही पानी तेज बहाव में एक ओर बहता जा रहा है और खासकर होता भी ऐसा ही है। नदियों में तो सिर्फ और सिर्फ पानी ही बहता है। यूं तो नदी में आपने पानी के साथ पत्थर भी देखे होंगे। लेकिन क्या कभी आपने सिर्फ पत्थरों वाली नदी देखी है जिसमें पानी की एक बूंद भी ना हो सिर्फ पत्थर ही पत्थर हों। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह नदी रूस में है। वैज्ञानिकों के लिए ये नदी एक पहेली बनी हुई है, जिसे सुलझाना उनके लिए चुनौती बनी हुई है। Stone River
और बता दें कि प्रकृति के इस अजीबोगरीब रहस्य का नाम ‘स्टोन रिवर’ या ‘स्टोन रन’ है। नदी में लगभग 6 किलोमीटर तक आपको सिर्फ पत्थर ही पत्थर दिखाई देंगे और पत्थर भी ऐसे पड़े मिलेंगे जैसे नदी की धारा बह रही है। 20 मीटर छोटी धाराओं से लेकर कहीं-कहीं यह नदी 200 से 700 मीटर की बड़ी धाराओं का रूप भी ले लेती है। इसमें करीब 10 टन तक वजनी पत्थर 4 से 6 इंच तक जमीन के अंदर धंसे हुए हैं। इस नदी के आसपास देवदार के वृक्षों के घने जंगल भी हैं और इसके पास एक वन क्षेत्र है, जिसमें विविध प्राणियों की एक अद्वितीय जीवन-पद्धति है। Stone River
अब आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि इस जगह पर इतने सारे पत्थर कहां से आए और कैसे इन्होंने एक नदी का रूप धारण कर लिया? वैसे तो इन सवालों का सटीक जवाब आज तक किसी को नहीं मिल पाया है। मगर कुछ वैज्ञानिकों का अंदाजा है कि करीब 10 हजार साल पहले ऊंची चोटियों से ग्लेशियर टूटकर गिरे होंगे, जिन्होंने इस अजीबोगरीब नदी का रूप ले लिया है।
आपने भी देखा होगा कि कुछ नदियाँ विशाल हैं, जबकि कुछ नदियाँ छोटी होती हैं। हर नदी का अपना महत्वपूर्ण इतिहास और महत्व होता है। बहरहाल, आपको दुनिया की इस अनोखी पत्थरों से भरी नदी के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इस लेख के माध्यम से इस नदी के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी आपको दी जा रही है। यह नदी अन्य नदियों से अलग है और इसकी लंबाई भी बताई कि 6 किलोमीटर तक फैली हुई है। वैसे दुनियाभर के देशों में बहुत-सी नदियां बहती हैं। भारत की बात करें, तो यहां प्रमुख नदियों की संख्या 200 के लगभग हैं। इसके अलावा, देश के विभिन्न राज्यों में छोटी से लेकर बड़ी नदियाँ बहती हैं।
लगभग 6 किलोमीटर लंबी इस अनोखी नदी में मौजूद पत्थरों का वजन 10 टन तक होता है और इन पत्थरों का आकार भी अलग-अलग होता है। इसलिए, लोग इस नदी को देखने के लिए विभिन्न भूभागों से यहां पहुंचते हैं। कई वैज्ञानिकों ने भी इस नदी के बारे में अध्ययन किए हैं, लेकिन उन्होंने भी अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। कुछ शोधकर्ता के विचारों के लिहाज से करीब 10,000 साल पहले पर्वतों की ऊंचाइयों से टूटे ग्लेशियर के पत्थर पानी के साथ यहां बहकर जमा हो गए हैं और उन्होंने इस नदी का रूप ले लिया है।
Weather News: पहाड़ों की यात्रा रोक दें! बारिश मचाने जा रही तबाही? मौसम विभाग का अलर्ट