गांव में बड़ी संख्या में युवा नशे की चपेट में
- परिजन बोले: महिलाएं भी बेच रही हैं नशा
ओढां, राजू। गांव पक्का शहीदां में बीते दिनों नशे की आवरडोज के कारण हुई 2 युवकों की मौत के बाद गांव में भय का माहौल है। मृतकों के परिजन रोते हुए प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि नशे के कारण हमारे तो चले गए, लेकिन औरों को तो बचा लो। संवाददाता ने जब गाँव में जाकर वस्तुस्थिति देखी तो ग्रामीणों के मुँह से एक ही बात सुनने को मिली कि गाँव में नशे के कारण स्थिति विकट हो गई है। गाँव में नशा युवाओं की जिंदगी लील रहा है। लोग सरकार व प्रशासन से युवाओं को बचाने की गुहार लगाते देखे गए। मृतकों के परिजनों ने रो-रोकर अपना दुखड़ा सुनाया। उनका कहना था कि उन्होंने उन्हें समझाने के साथ-साथ उनका उपचार भी करवाया, लेकिन फिर भी वे नशा नहीं छोड़ पाए।
परिजनों ने स्पष्ट कहा कि गाँव मेें कुछ लोग सरेआम नशा बेच रहे हैं। लेकिन पुलिस कुछ नहीं कर पा रही। मृतक रोहीराम के घर में उसकी पत्नी, 2 बच्चे व एक भाई सहित 4 लोग हैं। रोहीराम का छोटा भाई भी नशे का शिकार है। रोहीराम की पत्नी के समक्ष घर चलाना मुश्किल साबित हो गया है। रोहीराम के परिजनों का कहना था कि जिन 4 लोगों के खिलाफ उन्होंने मुकदमा दर्ज करवाया था वे राजीनामे के लिए धमकियां दे रहे हैं।
नशे के कारण खोया अपना बेटा
वहीं नशे के कारण मारे गए एक और युवक कुलविंदर सिंह के परिजनों का कहना है कि उन्होंने कुलविंदर को बहुत समझाया था कि वह नशा छोड़ दे, लेकिन उसने नहीं सुनी। इसके अलावा उसे नशा मुक्ति केन्द्र में भी भेजा गया था। नशे के कारण उन्होंने अपना बेटा खो दिया। इस दौरान वहां शोक व्यक्त करने आई परमजीत कौर ने भी कहा कि 2 वर्ष पूर्व उसके बेटे की भी नशे के कारण मौत हो गई थी। इसी प्रकार अन्य लोगों ने भी अपनी-अपनी दास्तां सुनाते हुए कहा कि उनका हर दिन भय के साथ शुरू होता है और भय के साथ ही खत्म हो जाता है।
1. नशे ने हमें बर्बाद कर दिया। मेरा पति रोहीराम पिछले 7 वर्ष से नशे का आदी था। नशे की पूर्ति के लिए वह घरेलू सामान भी बेचने लगा था। पैसे न मिलने पर वह हमारे साथ मारपीट भी करता था। हमने उसकी ये लत छुड़वाने के लिए उसे जैसे-तैसे कर नशा मुक्ति केन्द्र में भी रखा जहां वह एक वर्ष तक तो ठीक रहा, लेकिन वह वापस आते ही फिर से गलत संगत में पड़ गया। इस नशे ने हमारे परिवार को बिखेर दिया। मैंने गाँव के कुछ लोगों के समक्ष हाथ भी जोड़े थे कि वे मेरे पति को नशा न दें, लेकिन उन्होेंने उसकी नहीं सुनी। मेरे परिजनों ने रोहीराम को बहुत बार समझाया, लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी। मेरा देवर भी नशे का शिकार है। जिन लोगों के खिलाफ हमने मुकदमा दर्ज करवाया था, वे राजीनामे के लिए धमकियां दे रहे हैं। मैं सरकार व प्रशासन से यही कहती हूँ कि हमारा तो घर उजड़ गया, लेकिन औरों को तो बचा लो।
– कुलवीर कौर (मृतक रोहीराम की पत्नी)।
2. नशे ने मेरा बेटा निगल लिया। हमने उसके सामने बहुत हाथ जोड़े और उसका इलाज भी करवाया, लेकिन फिर भी उसने नशा नहीं छोड़ा। वह नशे के लिए घरेलू सामान के अलावा अनाज तक बेच दिया करता था। हमारे गाँव में नशे की भरमार है। नशा युवाओं को निगल रहा है। हमारा घर तो उजड़ गया, लेकिन और किसी का तो न उजड़े। इसलिए मैं प्रशासन से मांग करती हूँ कि हमारे गाँव को बचाएं। जो नशा तस्कर हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करें। गाँव में कई लोग यहां तक की महिलाएं भी नशा बेच रही हैं। तस्करों को जब रोकते हैं तो वे धमकियां देने पर उतारू रहते हैं। र्
– सर्वजीत कौर (मृतक कुलविंदर सिंह की मां)।
3. नशे का दंश क्या होता है मैं इसकी भुगतभोगी हूँ। 2 वर्ष पूर्व मेरा 22 वर्ष का बेटा इसकी भेंट चढ़ गया था। गाँव में युवा पीढ़ी नशे की दलदल में धंस रही है। कुछ लोग गाँव में सरेआम नशा बेच रहे हैं। हमारे गांव में 2 दिनों के अंतराल में 2 मौतें हो चुकी हैं। पता नहीं कब और कोई अनहोनी हो जाए। हर समय इसका डर लगा रहता है। प्रशासन को चाहिए कि हमारे गाँव में बचाए और नशा तस्करों पर नकेल कसें। अगर देर हुई तो युवा पीढ़ी खत्म हो जाएगी। युवा नशे के लिए दिनभर भटकते रहते हैं। गाँव का माहौल बहुत खराब हो गया है।
– परमजीत कौर।
4. हमारे गाँव में नशा नासूर बन चुका है। नशा युवाओं को चपेट में ले रहा है। मैं खुद नशे का दंश झेल रहा हूँ। मेरे 3 बेटे हैं। जिनमें से 2 नशे का शिकार हैं। समझ नहीं आ रहा कि क्या होगा? गाँव में चिट्टा सरेआम बिक रहा है। हम पुलिस प्रशासन से अनेक बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। मैं सरकार से मांग करता हूँ कि हमारे गाँव को बचा लो। गाँव में चंद लोग हैं, जो नशे का कारोबार कर युवाओं को नशे की दलदल में धकेल रहे हैं। गाँव में सुधार नहीं हुआ तो हर रोज कोई न कोई अनहोनी होगी।
– हरचंद सिंह (ग्रामीण)।
5. गाँव का माहौल बहुत खराब हो गया है। हर समय अपने बच्चों को लेकर चिंता लगी रहती है। गाँव में बड़ी संख्या में युवा नशे की इस दलदल में हैं। यहां पर नशे का सेवन करने वाले भी बहुत हैं और बेचने वाले भी। अगर पुलिस ईमानदारी से कार्रवाई करे तो परिंदा भी पर नहीं मार सकता। हमने अपने सरपंची के कार्यकाल में नशे के खिलाफ आवाज उठाई थी, लेकिन तस्कर अपनी पहुंच व पैसे की धौंस दिखाते। मैं प्रशासन से मांग करता हूँ कि कोई समाधान करें अन्यथा गाँव के हालात ये हो जाएंगे कि हर रोज कोई न कोई अनहोनी होगी।
– जंटा सिंह, पूर्व सरपंच।
6. हमारा गांव नशे का गढ़ बन चुका है। हर रोज भय लगा रहता है कि गाँव में कोई अनहोनी न हो। गाँव में 2 दिनोें के अंतराल में हुई 2 मौतों के बाद सभी सहमे हुए हैं। गांव का माहौल खराब है। तस्कर हावी हो रहे हैं। नशे के कारण मेरा बेटा खुद मरते-मरते बचा है। अपने बच्चों की कहां-कहां ध्यान रखेंगे? नशे का धंधा करने वाले तो यही चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा युवा नशा करें। मैं पुलिस प्रशासन से मांग करती हूं कि इन तस्करों पर शिकंजा कसें, अन्यथा गाँव से हर रोज कोई न कोई युवक की अर्थी उठेगी।
– सुखपाल कौर।
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