Parliament special session: 19 सितंबर 2023 का दिन भारत के राजनीतिक इतिहास का एक स्वर्णिम दिन बन गया है। मंगलवार को देश की संसद की नई और बड़ी इमारत में संसदीय कामकाज शुरू हो गया है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। अनेक खामियों और बाधाओं के बावजूद भारतीय संसदीय व लोकतांत्रिक व्यवस्था ने देश को एक मजबूत राजनीतिक, संवैधानिक और प्रशासनिक ढांचा दिया है। New Parliament Building
अच्छी बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसदीय इतिहास की सराहना की और पार्टीबाजी से ऊपर उठकर दिवंगत प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, शास्त्री से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह को याद किया। नई बिल्डिंग के उद्घाटन के दिन ही लोकसभा में राजनीति में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का बिल भी पेश किया गया है। इस बिल का पेश होना भारत के नव-निर्माण के लिए एक प्रेरणा, ऊर्जा के साथ मिलकर आगे बढ़ने के संकल्प को दर्शाता है।
देश की आधी आबादी यानी महिलाओं की अवधारणा को समाज में समानता तभी मिलेगी जब महिलाएं राजनीति और शासन में बराबर की भूमिका निभाएंगी। प्रशासन, सेना, सिविल सेवा, स्वास्थ्य, शिक्षा, पुलिस सहित सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी सराहनीय है, लेकिन न तो महिलाओं ने राजनीति में पूरी रुचि दिखाई और न ही पुरुषवादी सोच के कारण राजनीतिक दलों ने ‘सरपंच पति’ और ‘विधायक पति’ के कल्चर ने महिलाओं को अपनी योग्यता साबित करने का अवसर दिया। Parliament special session
75 वर्ष में केवल एक महिला प्रधानमंत्री पद तक पहुंची और केवल दो महिलाओं को राष्ट्रपति बनने का अवसर मिला। संसद हो या विधानसभाओं में महिलाओं की संख्या 10 प्रतिशत भी नहीं है। अच्छी बात यह है कि 27 वर्ष बाद महिला आरक्षण बिल दोबारा पेश किया गया और इस बार प्रचंड बहुमत वाली सरकार होने के कारण बिल का पास होना लगभग तय है। देश में आज डीजीपी, आईजी, एसपी के पदों पर कार्य करने वाली महिलाएं कामयाबी से कार्य कर रही हैं, ऐसे में उनके लिए राजनीतिक भूमिका भी कोई कठिन बात नहीं है। New Parliament Building
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