योग से निरोग के संदेशवाहक बने पगड़ीधारी प्रदीप पातड़
(Pradeep Patad)
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मयूरासन व वकासन में बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
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आसनों को देख हैरान रह जाते हैं लोग
सच कहूँ/कुलदीप स्वतंत्र
उकलाना।
‘‘खोल दो पंख मेरे,
अभी तो उड़ना बाकी है,
जमीं नहीं है मंजिल मेरी,
अभी तो पूरा आसमान बाकी है,
लहरों की खामोशी को
समन्दर की बेबसी न समझो
जितनी गहराई अन्दर है,
बाहर उतना तूफान बाकी है।’’
ये पंक्तियां उकलाना खंड के गांव बिठमड़ा निवासी प्रदीप पातड़ पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। गाँव में लगे योग शिविर ने उनके सपनों को ऐसी उड़ान दी कि उनके सामने हर लक्ष्य छोटा होता चला गया। उसके बाद तो कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। प्रदीप ने न सिर्फ योग के हर बिन्दू का उत्सुकता से अध्ययन किया। बल्कि गहराई में उतरकर ये भी जाना कि योग मनुष्य के शारीरिक, मानसिक, नैतिक, आध्यात्मिक व सामाजिक विकास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधन है। ये बीमारियों से तो दूर रखता ही है, बल्कि मस्तिष्क की एकाग्रता में भी सहायक सिद्ध होता है।
इसी एकाग्रता और आत्मविश्वास के बल पर प्रदीप पातड़ ने योग में निपुणता हासिल की और एक के बाद एक वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित कर अपने गाँव, जिले, राज्य और देश का नाम रोशन किया। उनके योगाभ्यास को देखकर अच्छे-अच्छे साधक अंगुलियां दबाने को मजबूर हो जाते हैं।
शिष्यों ने भी चमकाया नाम
प्रदीप बताते हैं कि उनके दो शिष्य सोनू सुपुत्र ईश्वर सैन गरुड़ आसन में 5:30 मिनट तक आसन लगाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुका है। वहीं शिष्या मोनू सुपुत्री ईश्वर सैन ने वातायान आसन में 5:00 तक आसन लगाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। इन दोनों के नाम गोल्डन बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो चुके हैं। बता दें कि ये दोनों होनहार योग साधक प्रदीप पातड़ के दिशा-निर्देशन में योगाभ्यास करते हैं।
पगड़ी पहन कर करते हैं योग
प्रदीप ने बताया कि वे राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर अनेक प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं और ये क्रम बदस्तूर जारी है। हर प्रतियोगिता या कार्यक्रम स्थल पर उनका पूरा परिवार पगड़ी पहन कर एक अलग अंदाज में मंच पर विभिन्न योग मुद्राओं का प्रदर्शन करता है। गत दिनों करनाल के पीडब्ल्यू डी रेस्ट हाउस में अंतराष्ट्रीय योग दिवस सम्मान समारोह में हरियाणा योग परिषद् के चेयरमैन डॉ. जयदीप आर्य की उपस्थिति में मेयर रेणुबाला गुप्ता ने उनकी पूरी योग फैमिली को गोल्ड मैडल जीतने पर सम्मानित किया।
जन्माष्टमी के दिन की थी शुरूआत
प्रदीप पातड़ बताते हैं कि सर्वप्रथम 2 सितम्बर 2018 को बिठमड़ा में जन्माष्टमी के दिन योग शिविर का आयोजन किया गया। इसी शिविर में उनके योग गुरु बीर सिंह ने उन्हें योगाभ्यास की बारीकियों से रूबरू करवाया। वो दिन था और आज का दिन फिर कभी योगाभ्यास नहीं छोड़ा। योग के प्रति ऐसी लग्न लगी कि रोजाना योग के बारे में कुछ न कुछ नया सीखने को लालयित रहते और सीखने का प्रयास करते। उसी का परिणाम है कि वे आज एक निपुण योग साधक और प्रशिक्षक बन पाए हैं।
ताऊ कलीराम व बीर सिंह से मिली प्रेरणा
प्रदीप पातड़ ने बताया कि उनका पूरा परिवार योग करता है। पिछले 15 वर्षों से योग साधना का ये क्रम निरंतर जारी है। वे कहते हैं कि परिवार में योग की शुरूआत उनके ताऊ कलीराम ने की और उसके बाद एक-एक कर परिवार के सभी सदस्य योग से जुड़ते चले गए। ताऊ के पद-चिन्हों पर चलते हुए प्रदीप पातड़ ने योग में महारत हासिल की और रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड स्थापित करते चले गए। प्रदीप ने बताते हैं कि उनके ताऊ कलीराम और उनके योग गुरु बीर सिंह उनकी प्रेरणा हैं। प्रदीप आगे कहते हैं कि उनके 75 वर्षीय ताऊ कलीराम के साथ-साथ उनके पिता मनीराम (72), वह खुद, उनका 5 साल का बेटा रजत, 9 वर्षीय बेटी अदिति, 14 वर्षीय अंजू व ढाई साल के बेटे समेत पूरे परिवार में 13 सदस्य रोजाना योगाभ्यास करते हैं।
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