हरियाणा के छह जिलों में गैर पंजीकृत सोशल मीडिया न्यूज प्लेटफार्म्स बैन

Social Media News
Social Media News: ‘सोशल मीडिया की भ्रामक पोस्ट तो होगी कार्रवाई’

सोशल मीडिया को मान्यता देने के आदेशों के तुरंत बाद हुई कार्रवाई  (Unregistered social media news platforms Banned )

  • करनाल में 15 दिन तो सोनीपत, कैथल, चरखी दादरी, नारनौल और भिवानी में अगले आदेशों तक बैन
  • विरोध में लोगों ने सोशल मीडिया पर ही चलाई मुहिम
सच कहूँ/अनिल कक्कड़ चंडीगढ़। प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार ने हाल ही में हुई कैबिनेट की बैठक में सोशल मीडिया पर आधारित पत्रकारिता को मान्यता देने का फैसला किया था, लेकिन इस फैसले के तुरंत बाद प्रदेश के छह जिलों में सोशल मीडिया आधारित पत्रकारिता पर बैन लगा दिया गया है। यह बैन उपायुक्त स्तर पर जिलों में लिखित आदेशों के बाद लगाया गया है। बैन लोगों ने सोशल मीडिया पर ही अपनी मिली-जुली प्रतिक्रियाएं दी हैं। बता दें कि प्रदेश के 6 जिला उपायुक्तों ने अपने अधिकार क्षेत्र में हरियाणा में सोशल मीडिया समाचार प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसमें कहा गया है कि ऐसे प्लेटफार्मों से असत्यापित और भ्रामक समाचारों का प्रसार समाज में शांति भंग कर सकता है और कोरोना वायरस महामारी के दौरान आम आदमी के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। हरियाणा में विपक्ष व मानवाधिकार संगठन के कार्यकर्ताओं ने इसे अघोषित आपातकाल और सोशल मीडिया की आवाज को चुप कराने का प्रयास बताया है। साथ ही बैन हटाने की मांग भी की है।

इन सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर आधारित रिपोर्टिंग पर लगा बैन

रिपोर्टों के अनुसार व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक, टेलीग्राम, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, पब्लिक ऐप और लिंक्डइन पर आधारित सभी सोशल मीडिया समाचार प्लेटफॉर्म को बैन किया गया है। सोनीपत, कैथल, चरखी दादरी, करनाल, नारनौल और भिवानी के डीसी द्वारा ये बैन लगाया गया है। इसमें भी करनाल डीसी ने 15 दिनों के लिए प्रतिबंध लगाया है, जबकि अन्य पांच ने अगले आदेश तक प्रतिबंध लगा दिया है।

सबसे पहले चरखी दादरी में लगा था बैन

बता दें कि इसी तरह का पहला आदेश चरखी दादरी डीसी ने इस साल 12 मई को जिला मजिस्ट्रेट के रूप में अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किया था। इसके बाद अब ताजा आदेश 10 जुलाई को करनाल डीसी ने जारी किया है। जानकारी के मुताबिक सोनीपत में किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने समाचार चैनल के रूप में कार्य करने की अनुमति नहीं ली है। उन्हें न तो हरियाणा सरकार के सूचना और जनसंपर्क निदेशालय से पंजीकरण मिला और न ही केंद्र सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय से कोई अनुमति दी गई है। प्रतिबंध आईपीसी की धारा 188, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और महामारी रोग अधिनियम, 1957 के तहत लगाए गए हैं। यह भी उल्लिखित किया गया है कि इन कानूनों का उल्लंघन करने पर जेल की सजा और जुर्माना भी लग सकता है। वहीं कुछेक सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इन धाराओं को मनमाना और असंवैधानिक करार दिया है।

भ्रामक जानकारियां फैलने से रोकने के लिए जारी हुए आदेश

बैन लगाने के पीछे तर्क भी दिया गया है। इसके तहत सोशल मीडिया के समाचार चैनलों से जानबूझकर या अनजाने में फर्जी समाचार या गलत रिपोर्टिंग के कारण कोरोना वायरस महामारी की इस असामान्य परिस्थिति में समाज के एक बड़े वर्ग के बीच भ्रामक जानकारी फैलने की आशंका है। इसलिए इसे पंजीकृत करवाना आवश्यक है।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।