राहत। मंडियों में भीड़ और किसानों को बेवजह की परेशानियों से मिलेगी निजात
एडिशनल चीफ सेक्टरी पी.के. ने दिए संकेत
कोरोना के चलते अपनाई थी प्रणाली
सच कहूँ/अश्वनी चावला
चंडीगढ़। हरियाणा में कोरोना वायरस के चलते मंडियों में फसल खरीद के लिए अपनाया गया कूपन सिस्टम अब प्रदेश में निरंतर जारी रहेगा। सरकार को यह नई व्यवस्था बेहद रास आई है। हालांकि अभी यह फैसला अधिकारिक तौर पर ऐलान नहीं किया गया है। लेकिन इस मामले में एडिशनल चीफ सेक्टरी पी.के. दास स्पष्ट कर रहे हैं कि अब सरकार को जो भी किसान फसल बेचने के लिए मंडी में आएगा। उसको पहले कूपन के जरिए अपॉइंटमेंट लेनी ही होगी। जिसके पश्चात ही उस किसान की फसल को खरीदा जाएगा। जानकारी अनुसार कोरोना वायरस की महामारी के दौर में मंडियों में किसानों की भीड़ ना लगे और इस वायरस को कंट्रोल में करने के लिए गेहूं की फसल की खरीद के दौरान प्रदेश सरकार के खाद्य व आपूर्ति विभाग की तरफ से कूपन सिस्टम की शुरूआत की गई थी।
जिसके तहत किसान को ई-फसल सॉफ्टवेयर में जाकर अपनी फसल दर्ज करवाने के पश्चात कूपन लेना जरूरी किया गया था। उस कूपन के जरिए ही किसान को पता चलता था कि उसकी फसल किस मंडी में और कौन सी तारीख को कितने बजे बिकेगी। इसलिए किसान तय समय के अनुसार ही अपनी फसल को लेकर मंडी में पहुंचा था। जब यह कूपन सिस्टम शुरू किया गया था तो सरकार की तरफ से यह कहा गया था कि करो कोरोना वायरस की समाप्ति के पश्चात यह कूपन सिस्टम भी समाप्त हो जाएगा। क्योंकि यह कुछ समय के लिए ही लागू किया गया है।
परंतु अब हरियाणा सरकार को यह कूपन सिस्टम इस कदर रास आ गया है कि आने वाले समय में भी इस कूपन सिस्टम के माध्यम से ही खरीद करने का मन बना लिया है। गेहूं की खरीद के समय प्रदेश में मंडियों की संख्या दोगुनी कर दी गई थी। परंतु अब मंडियां पहले जितनी ही रहेंगी। लेकिन किसानों को कूपन सिस्टम के माध्यम से यह बताया जाएगा कि वह कब अपनी फसल को मंडी में लेकर आएंगे।
65 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद होगी 40 दिनों में
प्रदेश सरकार इस बार 65 लाख मैट्रिक टन धान की खरीद 40 दिनों में करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। ऐसे में इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रदेश सरकार कूपन सिस्टम को अहम् मान रही है। खाद्य व आपूर्ति विभाग के वरिष्ठ अधिकारी का मानना है कि अगर धान के खरीद कूपन माध्यम के जरिए सही ढंग से हो गई तो 65 लाख मीट्रिक टन धान 40 दिन में खरीद कर ली जाएगी। उच्च अधिकारी का मानना है कि जब सभी किसानों को तय की गई मंडियों में तय समय अनुसार बुलाया जाएगा तो किसी भी तरह की परेशानी नहीं आएगी और सरकार को पता होगा कि किस मंडी में कितना धान और कब आना है। जिससे अच्छे ढंग से खरीद हो जाएगी।
किसानों के लिए फायदेमंद है कूपन सिस्टम : पी.के. दास
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी पी.के. दास ने कहा कि कूपन सिस्टम किसानों के लिए फायदेमंद साबित रहा है और आगे भी इस कूपन सिस्टम का किसानों का फायदा होने वाला है। पी.के. दास ने कहा कि जब किसान को पता होगा कि उसने किस तारीख को किस मंडी में फसल को लेकर जाना है तो ऐसे में किसान कुछ घंटों में ही अपनी फसल को बेच कर वापस चला जाएगा। जबकि पहले किसान अपनी मर्जी से मंडी में फसल बेचने के लिए पहुंच जाता था और उम्मीद से ज्यादा इकट्ठे किसान मंडियों में आने के चलते फसल की खरीद में देरी होती थी और कुछ किसानों को तो दो-दो दिन तक इंतजार करना पड़ता था। ऐसे में किसानों को मंडियों में कूपन सिस्टम के चलते 1 मिनट भी इंतजार नहीं करना पड़ेगा, बल्कि आढ़ती किसान का इंतजार करता नजर आएगा कि अब किस गांव के किसान का आने का समय हो गया है।
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