सच कहूँ कैरियर डेस्क। अगर आप जानवरों से विशेष लगाव रखते हैं, उनसे प्यार करते हैं तो आप जूलॉजिस्ट बनकर अपना करियर संवार सकते हैं। जीव विज्ञान का अध्ययन और उसमें शोध करने वाले विशेषज्ञों को जूलॉजिस्ट या जीव विज्ञानी कहा जाता है। इन्हें एनिमल बायोलॉजिस्ट नाम से भी जाना जाता है। जूलॉजिस्ट पशुओं के व्यवहार और उनसे जुड़ी तमाम प्रक्रियाओं जैसे रहने, खाने की आदत, उत्पत्ति, विकास और जीवन चक्र आदि का अध्ययन करते हैं। जीव विज्ञानी बनने के लिए आपका मुख्य फोकस साइंस सब्जेक्ट पर ही होना जरूरी है।
इसके अलावा आपको जीव विज्ञानी या जूलॉजिस्ट बनने के लिए जूलॉजी या संबंधित विषयों में मास्टर डिग्री लेने जरूरी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसमें उन्हीं छात्रों को प्रवेश मिलता है, जो बैचलर डिग्री में बायोलॉजी पढ़ चुके हों। इसके साथ ही ग्रेजुएशन में इंवायरंमेंटल साइंस, नेचुरल साइंस और बायोलॉजी के साथ जूलॉजी विषय भी होना चाहिए।
जान सकते हैं जीव-जंतुओं की विशेषताएं और उनकी आदतें
जूलॉजिस्ट का काम मुख्य रूप से विभिन्न प्रजातियों के पशुओं, पक्षियों , स्तनधारियों, कीटों, मछलियों आदि की विशेषताओं और आदतों पर शोध करके रिपोर्ट तैयार करना होता है। इस कार्य में वह लैबोरेट्री में जीवों के डीएनए नमूने लेकर उनका डाटाबेस भी तैयार करते हैं। इससे उन्हें जीवों की विलुप्त हो चुकी प्रजातियों और लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी प्रजातियों पर शोध करने में सुविधा होती है। इसके अलावा वन्य जीवों के स्वास्थ्य और उनके संरक्षण के लिए योजानाएं तैयार करने में भी जूलॉजिस्ट अहम भूमिका निभाते हैं।
स्पेशलाइजेशन का मौका
मास्टर डिग्री स्तर पर पढ़ाई करने के दौरान कई विषयों में से किसी एक को स्पेशलाइजेशन के रूप में चुनने के भी काफी विकल्प उपलब्ध हैं। आप अपनी मनपसंद के जीवों पर शोध करके उस विषय में एक्सपर्ट भी हो सकते हैं। ऐसे विशेषज्ञों को फिर अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उदाहरण के लिए जो जूलॉजिस्ट पक्षियों पर शोध करते हैं उन्हें आॅर्निथोलॉजिस्ट कहते हैं, जो मछलियों पर शोध करते हैं, उन्हें इकथियोलॉजिस्ट, जल और स्थल पर रहने वाले प्राणियों पर शोध करने वालों को हपेर्टोलॉजिस्ट और स्तनधारियों पर शोध करने वालों को मैमोलॉजिस्ट कहा जाता है।
इन पदों पर मिल सकता है रोजगार
- इंवायरन्मेंटल कंसल्टेंट और कंजर्वेशनिस्ट।
- जर्नलिस्ट।
- बायोलॉजिकल लैबोरेट्री टेक्निशियन या जू कीपर।
- शिक्षक और शोधार्थी।
- वाइल्डलाइफ एजुकेटर और रीहैब्लिटेटर।
- सरकारी और प्राइवेट दोनों ही तरह के संस्थानों में नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं।
शैक्षणिक योग्यता
जूलॉजिस्ट बनने के लिए जूलॉजी या संबंधित विषयों में मास्टर्स डिग्री प्राप्त करना जरूरी है। इसमें उन्हीं छात्रों को प्रवेश मिलता है, जो बैचलर डिग्री में बायोलॉजी पढ़ चुके हों।ग्रेजुएशन में इंवायरन्मेंटल साइंस, नेचुरल साइंस और बायोलॉजी के साथ जूलॉजी विषय भी होना चाहिए।
आप में ये होंने चाहिये व्यक्तिगत कौशल
- पर्यावरण और पशुओं में रुचि
- चीजों को वास्तविक संदर्भ में समझने की शाक्ति
- समस्याओं को सुलझाने की काबिलियत
- धैर्य, समर्पण और देर तक काम पर केंद्रित रहने की क्षमता
- शोध परियोजनाओं में मिले तथ्यों व आंकड़ों को सुनियोजित तरीके से सहेजने और -उन्हें विश्लेषित करने की योग्यता
प्रभावी संवाद कौशल और लेखन क्षमता - चीजों को ध्यान से देखने और परखने की काबिलियत
- दबाव की परिस्थितियों में भी अनुशासन के साथ काम करने की लगन।
जूलॉजी कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान
- दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, नई दिल्ली
- गार्डन सिटी कॉलेज, इंदिरा नगर, बेंगलुरु
- साउथ एसएसएमआरवी कॉलेज, जया नगर, बेंगलुरु
- आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, दिल्ली
- देशबंधु कॉलेज, दिल्ली
- सेंट अलबर्ट्स कॉलेज, कोची
- पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज आॅफ साइंस, हैदराबाद
- लोयोला कॉलेज, चेन्नई
- डीजी रूपरेल कॉलेज, मंबई
- विल्सन कॉलेज, मुंबई
- सेंट अन्स कॉलेज, हैदराबाद
- विवेकानंद कॉलेज, कोलकाता
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