नयी दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना (मनरेगा) को लेकर उल्टा सीधा बोलने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोरोना संकट के दौरान इसकी अहमियत ठीक तरह से समझ आयी है और उन्हें पूरा एहसास हो गया है कि गांवों को इस योजना से मजबूत बनाया जा सकता है इसलिए बराबर गरीबों को लाभ पहुंचाने के लिए इसे महत्व देना जरूरी है। गांधी ने कहा कि मोदी ने इस योजना के लिए आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग कर कांग्रेस पार्टी पर लगातार हमला बोलते हुए इसे ‘कांग्रेस की विफलता का एक जीवित स्मारक’ तक कहा था और मोदी सरकार ने मनरेगा को खत्म करने, इसे खोखला करने तथा कमजोर करने की पूरी कोशिश की लेकिन कोविड-19 महामारी और इससे उत्पन्न आर्थिक संकट ने मोदी सरकार को इस योजना की महत्ता का एहसास कराया है।
उन्होंने कहा कि मोदी को पद संभालने के बाद इस योजना का महत्व समझ तो आ गया था इसलिए उनकी सरकार ने स्वच्छ भारत तथा प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे कार्यक्रमों से जोड़कर मनरेगा का स्वरूप बदलने की कोशिश की। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस सरकार की इस योजनाओं का नाम बदलने का भी पूरा प्रयास किया और मनरेगा श्रमिकों को भुगतान करने में अत्यंत देरी की गई तथा उन्हें काम तक दिए जाने से इंकार कर किया गया। कांग्रेस नेता ने कहा कि लॉकडाउन के कारण पूरे देश के मजदूरों में रोजी रोटी को लेकर हाहाकार मचा तो मनरेगा गांव में श्रमिकों के जीवन का संबल बना। इसने मोदी सरकार को आभास दिलाया कि पिछली कांग्रेस सरकार के समय फ्लैगशिप ग्रामीण राहत कार्यक्रमों को दोबारा शुरू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
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