लॉकडाउन भले हट गया परन्तु कोरोना का खतरा नहीं हटा

Lockdown
आखिर केंद्र सरकार ने कोरोना कोविड-19 के मद्देनजर देश में लॉकडाऊन को अनलॉक करने का निर्णय लिया है। आठ जून के बाद धार्मिक स्थान भी खुल जाएंगे, ऐसे में सावधानी रखना महत्वपूर्ण होगा वहीं चुनौतीपूर्ण भी। हालांकि जिस प्रकार की उम्मीद की जा रही थी कि लोग दो महीने के लॉकडाउन में सावधानियां बरतने के आदी हो जाएंगे और स्वच्छता एवं संक्रमण से बचाव को अपनी जीवनशैली का अंग बना लेंगे, ऐसी उम्मीद व्यवहार में बदलती नजर नहीं आ रही। रोजाना देश भर में मास्क न पहनने और सार्वजनिक स्थानों पर थूकने वालों के चालान काटे जा रहे हैं।
पंजाब के फाजिलका जिला में मास्क न पहनने पर 9 लाख रुपए के चालान और थूकने पर 28 हजार रुपए के चालान काटे गए हैं ऐसे में पूरे देश में मास्क न पहनने एवं थूकने को लेकर कटे चालानों का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं। चालान का सीधा सा अर्थ है कि लापरवाही है और लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे। बैंक, अस्पतालों की मैनेजमेंट भी सावधानिों के प्रति लापरवाही कर रही है। अधिकतर बैंकों और अस्पतालों में आने वाले लोगों के हाथ सैनेटाईज नहीं करवाए जा रहे। बैंक के गार्डों के हाथ पकड़ी सैनेटाईजर की बोतल केवल दिखावा मात्र है ताकि पुलिस कहीं चालान न काट दे। एक भी व्यक्ति सैनेटाईजर के बिना इमारत में दाखिल न हो, इसे लेकर किसी को कोई परवाह नहीं। यूं भी वर्तमान महामारी से अनजान नहीं बना जा सकता। लॉकडाउन शुरू होने पर देश में कोरोना के 500 मरीज थे, जिनकी संख्या आज ढाई लाख को पार करने वाली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी स्पष्ट कर चुका है कि भारत में वायरस तेजी से नहीं फैल रहा लेकिन इसका खतरा अभी टला नहीं। आठ महीने के बाद भी कोरोना वायरस के लिए कोई वैक्सीन नहीं बन सकी इसीलिए सावधानी ही एकमात्र समाधान है।
कोरोना से जूझ रहे देशों में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भारत ही है, यहां बीमारी का सामाजिक फैलाव घातक हो सकता है। रोजाना 50-100 मरीज आने के दिन गुजर गए हैं और अब रोजाना दस हजार के आसपास मरीज आ रहे हैं। ऐसे में कोरोना वायरस के प्रति लापरवाही की मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है। अब ये मानसिकता नहीं होनी चाहिए कि पुलिस ही सब कुछ करवाएगी। संस्थानों को भी चाहिए कि सावधानी का महज प्रदर्शन करने की बजाय उसे व्यवहारिक रूप में लागू किया जाए केवल पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए सावधानी का दिखावा जोखिम भरा है। लॉकडाऊन को अनलाक करना जरूरी है लेकिन इससे बीमारी आनलॉक नहीं हो अन्यथा दो महीने की जी तोड़ मेहनत पर पानी फिर जाएगा।

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