चंडीगढ़ (Sach Kahoon/Anil Kakkar)। डेरा सच्चा सौदा (Dera Sacha Sauda) के पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के केसों संबंधित सही जानकारियां एवं केसों की मौजूदा स्थिति जानने के लिए सच कहूँ के चंडीगढ़ से ब्यूरो चीफ अनिल कक्कड़ ने डेरा सच्चा सौदा के वकील हरीश छाबड़ा से बातचीत की।
एडवोकेट छाबड़ा ने बातचीत के दौरान पूज्य गुरू जी के स्वास्थ्य, उनसे संबंधित केसों की मौजूदा स्थिति एवं पैरवी इत्यादि पर खुल कर बात की। उन्होंने कुछ लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर पूज्य गुरू जी के केसों के संबंधित फैलाए जा रहे भ्रमों पर भी तस्वीर साफ की और पुख्ता और सही जानकारी सामने रखी।
पेश है बातचीत के कुछ अंश… | Dera Sacha Sauda
सवाल: कोरोना के इस दौर में आप कैसे हैं और आपका परिवार कैसा है?
उत्तर- पूज्य गुरू जी की रहमत है, उनके बताए काढ़े को पी रहे हैं और सभी तंदरुस्त हैं और सभी की तंदरुस्ती की कामना करते हैं।
सवाल: आप पूज्य गुरू जी से मिलकर आते हैं पूज्य गुरू जी कैसे हैं?
उत्तर- पूज्य गुरू जी पूरी तरह तंदरुस्त हैं, समय-समय पर जब भी जरूरत होती है, तो पूज्य गुरू जी को केसों की डिटेल देने के लिए जाते रहते हैं। पूज्य गुरू जी पूरी तरह तंदरुस्त हैं और साध-संगत को याद करते रहते हैं।
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सवाल: छाबड़ा जी लोग जानना चाहते हैं कि डेरा सच्चा सौदा के
पूज्य गुरू जी के केसों की मौजूदा स्थिति क्या है?
जबाव- देखिए पूज्य गुरू जी पर तीन झूठे मुकदमें दायर किए गए थे, पहला आरसी-5 जो गुमनाम चिटठी वाला है, आरसी-8 जो रणजीत मर्डर केस है और आरसी-10 राम चन्द्र छत्रपति हत्या केस है। इन तीनों मुकदमों में पूज्य गुरू जी की पैरवी के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के सीनियर वकील एस.के. गर्ग नरवाना को अपॉइंट किया गया। आरसी-5 की बहस उन्हीं द्वारा की गई लेकिन दुर्भाग्य से 25 अगस्त 2017 को सीबीआई की विशेष अदालत ने पूज्य गुरू जी को दोषी करार देकर फैसला गुरू जी के विरुद्व कर दिया था। जो कि गलत फैसला है।
सवाल: आरसी-5 केस यानि गुमनाम चिट्ठी केस में मौजूदा क्या स्थिति है?
जबाव- देखिए, देश के कानून में वैधानिक अपील का प्रावधान इसी लिए दिया गया है ताकि ट्रॉयल कोर्ट का निर्णय गलत भी हो सकता है जो कि पूज्य गुरू जी के केस में भी हुआ है, जिसकी अपील एस.के. गर्ग नरवाना द्वारा ही दायर की गई, जो एडमिट हो चुकी है और सुनवाई के लिए पैंडिंग है। जैसे ही अपील सुनवाई पर आएगी, उस पर बहस की जाएगी।
सवाल- अन्य मुकदमें जैसे छत्रपति हत्याकांड, व रणजीत मर्डर केस के बारे में भी बताएं?
उत्तर- जी, जब आरसी-10 यानि छत्रपति हत्याकांड केस की सुनवाई हुई। इसमें कई अभियुक्त थे, जिसमें बहस से पहले सारी गवाहियों का काम डिफेंस टीम एस.के. गर्ग नरवाना सीनियर एडवोकेट, अनिल कौशिक एडवोकेट अम्बाला जो कि अम्बाला-पंचकुला क्षेत्र से क्राइम फील्ड के विशेषज्ञ वकील हैं और इनके साथ में बंकिम कुलश्रेष्ठ जो दिल्ली से फौजदारी के वकील हैं द्वारा किया गया। इस मुकदमे में डिफेंस के कुल 32 गवाह पेश किये गए जिनमें 5 आई.ए.एस. आॅफिसरों द्वारा भी पूज्य गुरू जी के हक में गवाही दी गई।
इस केस की फाइनल बहस के दौरान खट्टा सिंह ने दोबारा गवाही देने की इजाजत मांगी, जो सीबीआई कोर्ट, पंचकुला की अदालत से खारिज हो गई। खट्टा सिंह द्वारा हाईकोर्ट में रिविजन की गई जहां पर डिफेंस की तरफ से पैरवी एस.के. गर्ग नरवाना एडवोकेट व विनोद घई एडवोकेट द्वारा की गई, लेकिन खट्टा सिंह को दोबारा गवाही का मौका मिल गया, जिसके विरूद्व माननीय सुप्रीम कोर्ट में एस.एल.पी. डाली गई, लेकिन खारिज हो गई।
खट्टा सिंह की दोबारा गवाही के दौरान करीब एक सप्ताह तक लगातार जिरह की गई तथा सभी दस्तावेजों व सबूतों के साथ मुकाबला किया गया। इस मुकदमे में खट्टा सिंह की गवाही के बाद आई.ओ. को दोबारा बुलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर पटीशन में सुशील कुमार सीनियर एडवोकेट द्वारा बहस की गई और आई.ओ. की दोबारा गवाही करवाई गई।
आरसी-8 व आरसी-10 की तैयारी के लिए बॉम्बे के सीनियर एडवोेकेट माजिद मैनन जोकि क्राइम क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं व सुप्रीम कोर्ट से गोपाल सुब्रमण्यम पूर्व सॉलीसीटर जनरल आॅफ इंडिया से भी केस के लिए तैयारी करवाई गई व कॉफ्रेंस हुई। इस प्रकार डिफेंस की बहस तैयार करने व सफाई के गवाह पेश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गोपाल सुब्रमण्यम, सुशील कुमार सीनियर एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट, माजिद मैनन सीनियर एडवोकेट मुंबई से, विनोद घई सीनियर एडवोकेट, जे.एस. बेदी सीनियर एडवोकेट हाई कोर्ट चंडीगढ़ की सेवाएं ली गई।
खट्टा सिंह के दोबारा ब्यान के बाद 11 डिफेंस के गवाह पेश किए गए जिनमें आई.ए.एस. आॅफिसर तक की गवाही पूज्य गुरू जी के हक में की गई। पूज्य गुरू जी की तरफ से पी.के. संधीर (पम्मी) एडवोकेट, हिसार ने बहस की तथा अन्य अभियुुक्तों की तरफ से एन.पी.एस. वडैच पटियाला व अनिल कौशिक एडवोकेट अम्बाला द्वारा बहस की गई जो कि लगभग ढ़ाई महीने तक चली परन्तु अंत में जनवरी 2019 में फैसला गुरू जी के उल्ट सुनाया गया जो कि बिलकुल झूठे तथ्यों पर आधारित है इसके विरूद्व हाई कोर्ट में विनोद घई सीनियर एडवोकेट के द्वारा गुरू जी की अपील दायर की गई है व अन्य अभियुक्तों की अपील अक्षय भान सीनियर एडवोकेट, मेडम रिंतु पुंज एडवोकेट, वैभव जैन एडवोकेट ने दायर की है जो एडमिट हो चुकी है और सुनवाई के लिए पैंडिग है।
तीसरा केस आरसी-8 रणजीत सिंह मर्डर केस की सुनवाई 06.06.2020 के लिए निर्धारित है इसमें डिफेंस के 31 गवाह पेश किए गए, सीबीआई की तरफ से बहस हो चुकी है लेकिन लॉकडाउन के कारण आगे कोई कार्यवाही नही हो रही। माननीय हाई कोर्ट द्वारा एक कमेटी बिठाई गई है जो कोर्ट में रेगुलर कार्यवाही के बारें में एसओपी यानि स्टैंडर्ड आॅप्रेटिंग प्रोसीज़र जारी करेंगें उसके बाद ही रैग्युलर प्रोसीडिंग शुरू होगी।
वहीं 6 जून को अदालत का आदेश होगा उसी के मुताबिक आगे की प्लानिंग की जाएगी। इसी बीच सीबीआई ने एक चौथा केस आरसी-1 में पूज्य गुरू जी के खिलाफ चार्जशीट फाइल की है जिसमें डॉ एम.पी. सिंह व डॉक्टर पंकज को भी आरोपी बनाया गया है। यह केस सीबीआई मजिस्ट्रेट पंचकुला में चल रहा है इसमें पूज्य गुरू जी की पैरवी तनवीर अहमद मीर एडवोकेट कर रहे हैं जो कि दिल्ली से जाने-माने वकील हंै। इसका अभी पूरा ट्रॉयल पैंडिंग है।
पूज्य गुरू जी के केस के तथ्य बीबी जगीर कौर के केस के जैसे हैं जिसमें खट्टा सिंह की तरह गवाह ने दो बार कोर्ट में अपने ब्यान बदले और हाई कोर्ट में बीबी जगीर कौर की पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट विनोद घई के वकीलों की टीम ने बहस करके ऐसे गवाह को झूठा व धोखेबाज साबित किया। गुरू जी की माता जी के स्वास्थ्य के कारण पैरोल की पैरवी भी हाई कोर्ट में सीनियर एडवोकेट विनोद घई जी द्वारा करवाई गई है जो आम तौर पर सिंगल बैंच के केस नहीं करते क्योंकि डबल बैंच के जाने माने वकील हैं।
पूज्य गुरू जी के केस के लिए जितने भी वकील पैरवी कर रहे हैं वह सभी सबजैक्ट यानि कि क्राइम के केसों में जाने पहचाने हैं सभी ने अपनी तरफ से पूरी मेहनत की है और अपीलों के लिए भी पूरी मेहनत कर रहे हैं। जितने भी सीनियर एडवोकेट्स से पूज्य गुरू जी का केस डिस्कस हुआ है सभी ने एक स्वर में कहा है कि खट्टा सिंह की गवाही पर विश्वास नहीं किया जा सकता और पूज्य गुरू जी के खिलाफ फैसला कानून की नजर में गलत है और वे सभी आश्वस्त हैं कि कानून अपना काम करेगा और हमें न्याय जरूर मिलेगा।
वहीं पंचकुला की घटना के बारें में जो पीआईएल डली हुई है उसमें डेरा सच्चा सौदा की तरफ से अशोक अग्रवाल सीनियर एडवोकेट पैरवी कर रहे हैं जो पंजाब व हरियाणा के एडवोकेट जनरल रह चुके हैं।
सवाल: आपने बहुत डिटेल में सभी केसों के सम्बंध में बताया। मेरा अगला सवाल है कि कुछ लोग यह आरोप लगाते हैं कि पूज्य गुरू जी को डेरा मैनेजमेंट ने वकीलों के साथ मिलकर जानबूझकर सजा करवाई है। इस बारें में आप क्या कहेंगें?
उतर: देखिए जितने भी वकील साहिबान पूज्य गुरू जी की पैरवी कर रहे हैं उनकी स्टैंडिंग व रैप्यूटेशन इस स्तर की है कि किसी पैरोकार की उन्हें ये हिदायत देने की हिम्मत नहीं हो सकती कि वे जान बूझकर अपने क्लाइंट को सजा करवा दें या उसे बाहर ना आने दें। बाकि पूज्य गुरू जी से समय समय पर लगभग सभी वकील पी.के संधीर पम्मी जी, विनोद घई जी सीनियर एडवोकेट जेल में स्वयं मिलकर आते रहे हैं और उन्हे केसों के बारे में अवगत करवाकर उनसे सलाह-मशविरा लेते रहे हैं।
सवाल: कुछ लोग क्लेम कर रहे हैं कि उन्होंने एक पटीशन गुरू जी को बाहर निकालने के लिए हाई कोर्ट में दायर की थी जिसे डेरे की मैनेजमेंट व वकीलों ने ही खारिज करवा दी?
उतर: आप डॉक्टर मोहित गुप्ता की पटीशन की बात कर रहे हैं। जो उन्होने ए.पी. सिंह एडवोकेट के माध्यम से लगाई थी। मैं आपको उस रिट पैटीशन, सैशन जज रोहतक की रिपोर्ट, जिसमें पूज्य गुरू जी का ब्यान भी है व माननीय हाईकोर्ट का आॅर्डर की कॉपी उपलब्ध करवाउंगा।
आप खुद पढ़ना उस रिट पटीशन का पूज्य गुरू जी के केसों से, पूज्य गुरू जी की रिहाई से कोई सम्बंध नही था तथा वह पैटीशन गलत तरीके से पूज्य गुरू जी की आज्ञा के बिना झूठे तथ्यों पर दायर की गई थी जिसका गुरू जी ने विरोध किया। माननीय हाईकोर्ट ने सैशन जज साहब रोहतक को पूज्य गुरू जी के पास भेजा जिन्होंने पूज्य गुरू जी का ब्यान लिया, जिसमें पूज्य गुरू जी द्वारा ब्यान दिया गया कि यह पटीशन गलत डाली गई है इस पर माननीय हाईकोर्ट ने डॉक्टर मोहित गुप्ता को झूठी पटीशन डालने पर 50 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया।
कई बार मैनेजमेंट के सदस्यों द्वारा पूज्य गुरू जी के केसों की पैरवी करने वाले वकीलों के सामने डेरे की संगत द्वारा दिए गए सुझावों को भी रखा गया है और जो सुझाव पूज्य गुरू जी के केसों के हित में रहे उन सुझावों को लागू भी किया गया।
अगर अब भी पूज्य गुरू जी के केसों की बेहतरी के लिए कोई सुझाव साध-संगत में से किसी के द्वारा भी दिया जाता है तो उन्हे पूज्य गुरू जी की पैरवी कर रहे वकीलों के सामने रखा जाएगा और अगर वह गुरू जी के केस हित में पाया जाता है तो उसको लागू भी किया जाएगा।
हमारा तो सभी से अनुरोध है कि ऐसे लोगों से सचेत रहो कि कहीं यह लोग भ्रमित प्रचार करके कोई नया झूठ ना रच दें जिससे गुरू जी के बाहर आने की कोशिशों को झटका लग जाए।
सवाल- छाबड़ा जी, पूज्य गुरू जी द्वारा हाल ही में भेजी गई चिट्ठी को सच कहूँ सहित तमाम मीडिया ने प्रकाशित किया और साध-संगत ने सर-माथे लगाया लेकिन कुछ लोग इसकी सत्यता पर सवाल उठा रहें हैं, आप क्या कहेंगे?
उत्तर- देखिए, वो चिट्ठी पूज्य गुरू जी द्वारा ही भेजी गई है। और उसको सुपरीडैंट सुनारिया जेल ने सैंसर करके भेजा है। बाकि सवाल यह कि चिट्ठी भेजी जा सकती है या नहीं तो आपको बता दूं कि जेल मैनूअल के नियमों के तहत पूज्य गुरू जी को चिट्ठी भेजने का पूरा अधिकार है। वहीं साथ में कहूंगा कि जिस किसी को डेरा सच्चा सौदा के केसों में बारे में जानकारी लेनी है तो वह ईकोर्ट्स वैबसाइट पर जाकर ले सकता है। सारी जानकारी आॅनलाइन मौजूद है।
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