नयी दिल्ली। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कोरोना महामारी के मद्देनजर भीमा कोरेगांव घटना के मामले में गिरफ्तार 11 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को फिलहाल रिहा करने और उनके स्वास्थ्य की रक्षा करने की सरकार से मांग की है। गौरतलब है कि आज ही के दिन गत वर्ष सुरेंद्र गाडलिंग, रोना विल्सन, सुधीर धवाले, शोमा सेन और महेश राउत को पुणे पुलिस ने 2018 में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा में कथित तौर पर शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया था। उसके बाद से छह अन्य कार्यकर्ताओं – सुधा भारद्वाज, वरवारा राव, अरुण फरेरा, वर्नोन गोंसाल्वेस, आनंद तेलतुम्बडे और गौतम नवलखा को भी इस मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।
एमनेस्टी ने शनिवार को यहां जारी विज्ञप्ति में कहा कि ये सभी 11 कार्यकर्ता दलितों और आदिवासियों सहित भारत के अत्यंत हाशिये के लोगों के अधिकारों की रक्षा हेतु अपने अथक कार्य के लिए जाने जाते हैं। एमनेस्टी इंडिया के कार्यकारी निदेशक अविनाश कुमार ने कहा , “पिछले दो वर्ष से इन कार्यकर्ताओं को जिस पीड़ा से गुज़रना पड़ा है, वह इस बात का सबूत है कि कानूनी प्रक्रिया ही सजा सामान होती है। इसका सबूत एक जेल से दूसरी जेल में स्थानांतरित किया जाना, पुणे पुलिस से लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को जांच सौंपा जाना सरकार तथा मीडिया द्वारा इन कार्यकर्ताओं पर ‘देशद्रोही’ होने का आरोप लगाकर इन्हें बदनाम करने का अभियान चलाया जाना है।”
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