डबवाली (राजमीत इन्सां)। यह दिवस परिवहन के एक सरल, किफायती, भरोसेमंद, स्वच्छ और पर्यावरणीय रूप से फिट टिकाऊ साधनों को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। साइकिल परिवहन का स्वच्छ तथा सस्ता माध्यम है, इससे किसी भी किस्म का पर्यावरण प्रदूषण नहीं होगा और यह फिटनेस की दृष्टि से भी उपयोगी है। इस दिवस का उद्देश्य दैनिक जीवन में साइकिल के उपयोग को लोकप्रिय बनाना है। जून को हर वर्ष विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहला आधिकारिक विश्व साइकिल दिवस 3 जून, 2018 को मनाया गया था।
इसका एक गांव लोहगढ़ में आरएमपी डॉक्टर 70 प्रतिशत हैंडिकैप्ट होने के बावजूद भी साइकिल पर इलाज करने के लिए दूरदराज के गांवों में जाते थे डॉक्टर, और बिना फीस के आज भी कर रहे हैं लोगों की सेवा आजकल के दौर में जहां लोग पैसे के पीछे भाग रहे हैं और हर कोई यही सोचता है कि अच्छी गाड़ी हो है वहीं आज भी इंसानियत खत्म नहीं हुई इसकी एक मिसाल बने हुए हैं आरएमपी डॉक्टर रामनारायण गांव लोहगढ़ में वेद रामनारायण के नाम से मशहूर है।
उन्होंने बताया कि 1970 उस समय गांव के सभी रास्ते कच्चे हुआ करते थे और लोगों के पास साधनों का अभाव होने के चलते वह आस-पास के गांव जोतांवाली, सकता खेड़ा, अबूबशहर, लखआना, मसीतां, राजपुरा 15, 20 किलोमीटर के एरिया में साइकिल पर दवाई देने के लिए जाते थे। उन्होंने बताया कि उस समय गवों में डॉक्टर भी नहीं हुआ करते थे जिसके चलते उन्हें आसपास के सभी एरिया में लोग जानते थे और उनसे ही दवाई लेते थे और आज भी डॉक्टर गांव में नजदीक एरिया में 70% हैंडीकैप्ड होने के बावजूद भी साइकिल पर ही जाते हैं।
वक्त के साथ-साथ सब कुछ बदल गया, परंतु अब लोगों का रुझान दोबारा से साइकिल की ओर
एक दौर था जब लोग साइकिल से मीलों का सफ़र तय किया करते थे। जब कभी किसी के यहां साइकिल आती थी, उसे देखने वालों की भीड़ लग जाया करती थी। पर वक़्त बदला और साइकिल कि जगह दूसरे मोटर वाहनों ने ले ली। लेकिन अब भी साइकिल से चलने वालों की संख्या कम नहीं हैं कुछ लोगों के लिए ये फ़िटनेस पाने का तो किसी के लिए ये रोज़ी-रोटी कमाने का ज़रिया है।
आज 21वीं शताब्दी में जहां पूरी दुनिया ने भागदौड़ की होड़ में बड़ी-बड़ी गाड़ियों व मोटरसाइकिलों को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बनाया हैं वही दूसरी ओर समाज में बुद्धिजीवियों व नौजवानों का एक हिस्सा आज भी कई दशकों से चले आ रहे साइकिल का प्रयोग करता है। हां, यह बात भी सत्य है कि समय-समय पर साइकिल ने अनेक रूप धारण किए हैं जैसे कि आज की तारीख में साइकिल को नए रूपों में देखा जाता है। लेकिन हम इस बात को भी नहीं ठुकरा सकते की साइकिल के महत्व हमारे जीवन मे आज के जमाने में उसी प्रकार है जो आज से लगभग 100 साल पहले था।
15 से 20किलोमीटर साइकिल चलाता हूं : हरदीप सिंह
हरदीप सिंह निवासी सकता खेड़ा ने बताया कि उसने 2 माह पूर्व साइकिल 10 हजार रुपए का लिया है। और हर रोज इस पर लगभग 15 से 20 किलोमीटर जाता है उसने बताया कि साइकिल सेहत के लिए बहुत बढ़िया है। अब साइकिल परिवार का एक सदस्य बन गया है। जहां साइकिल चलाने से स्वस्थ ठीक रहाता है वहीं दूसरी ओर बढ़ते हुए पेट्रोल डीजल के दामों को देखते हुए भी यह मेरे दोस्त वरना के काम फ्री में करने में मेरा बहुत ही सहायक है।
साथ ही हम अगर बात प्रकृति की करें तो यह प्रकृति का बहुत ही अच्छा मित्र है। इससे प्रदूषण नहीं होता पिछले वर्षो की अपेक्षा में इस साल में साइकिल का बहुत ज्यादा प्रयोग हो रहा है और आशा है। कि देश-दुनिया के जागरूक युवा महंगी गाड़ियों व मोटरसाइकिल को छोड़कर साइकिल को अपनाएंगे ताकि स्वास्थ्य के साथ-साथ वह प्रकृति को भी साफ व शुद्ध रखने में देश में अपना योगदान दें। निरोगी और स्वस्थ शरीर रखने के लिए व्यायाम सबसे जरूरी चीज है हजारों सालों से आयुर्वेद में भी व्यायाम के बारे में बताया गया है। नित्य व्यायाम करने से हमारा शरीर ना सिर्फ हल्का चुस्त और तंदुरुस्त रहता है। साइकिलिंग बहुत ही आसान सुलभ व्यायाम है। इससे शरीर के हर एक हिस्से की अच्छी तरह से एक्सरसाइज होती है।
साइकिलिंग से हाथ पैर पेट पीठ गर्दन सभी प्रक सभी प्रकार की मांसपेशियों की अच्छी से हलचल होती है। साइकिलिंग से न सिर्फ शरीर को बल्कि दिमाग की नसों को भी ताकत मिलती है दिमाग की नसों को याने की न्यूरॉन स्कोर बढ़ने के लिए और याददाश्त शक्ति को बढ़ाने के लिए साइकिलिंग एक बहुत ही अच्छा विकल्प है। साइकिलिंग से व्यायाम तो होता ही है साथ ही ताजी हवा मिलने से फेफड़ों की भी शक्ति बढ़ती है और शरीर में ऑक्सीजन भी पूरी तरह से उपलब्ध हो पाता है। इसलिए साइकिलिंग एक बहुत अच्छा व्यायाम माना जाता है।
डॉ. अजय गोप्लानी आयुर्वेदा एमडी
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