कोविड-19 लॉकडाऊन-5 के दौरान भी हरियाणा सरकार और दिल्ली सरकार ने बार्डर सील करने का कड़ा निर्णय लिया है। पहले हरियाणा ने फरीदाबाद-गुरुग्राम बार्डर सील किया था अब दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने तो हद ही कर दी, उन्होंने कहा है कि दिल्ली के हिसाब से अस्पतालों में मरीज के लिए बेड की पर्याप्त व्यवस्था है लेकिन अगर दूसरे राज्यों के मरीज गए तो दिक्कत हो सकती है। ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए? क्या उन्हें अपनी सीमाएं सील कर देनी चाहिए या फिर सभी राज्यों के लिए खोल देना चाहिए? यह एक संवेदनहीनता व अमानवीय घटना है, जिसे मानवीय विचारधारा वाले देश में कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता।
नि:संदेह कोविड -19 महामारी के दौर में सावधानी रखना, जांच व लॉकडाउन के नियमों की पालना करना अनिवार्य है लेकिन अन्य राज्यों के मरीज, जो पहले से ही दिल्ली के बड़े अस्पतालों में उपचाराधीन हैं, उन्हें दिल्ली में प्रवेश करने से रोकना मरीजों को मौत के मुंह में धकेलना है। मरीजों के लिए भी बॉर्डर सील करना किसी भी तरह से किसानों की गेहूँ का मामला नहीं कि एक किसान दूसरे राज्य में फसल नहीं बेच सकता। कानूनन किसी भी मरीज को देश के किसी भी अस्पताल में उपचार करवाने का अधिकार है। हजारों की संख्या में कैंसर, दिल के मरीज दिल्ली में इलाज करवा रहे हैं। लॉकडाउन में लोगों की घूमने-फिरने व व्यापारिक गतिविधियों की पाबंदी तो जायज है, किंतु इलाज पर पाबंदी एक अमानवीय व्यवहार है। एक तरफ देश लॉकडाउन को ‘अनलॉक’ करने की राह पर अग्रसर है एवं वहीं लोगों को छूट मिल रही है दूसरी तरफ मरीजों को परेशान करना उचित नहीं होगा।
कोरोना की दहशत के कारण कई राज्यों में प्राइवेट अस्पतालों के संचालक सामान्य रोगों से पीड़ित मरीजों की जांच से भी इनकार कर रहे थे, ऐसे में राज्य सरकारों ने संचालकों को कड़े आदेश दिए हैं कि कोई भी मरीज भले ही वह किसी भी राज्य व किसी भी पार्टी से ताल्लुक रखता हो, का ईलाज किया जाए। कम से कम मरीजों के मामले में नेता अपने राजनीतिक हित न साधें। महामारी का वक्त समूह मानवता को बचाने का है, हम विदेशों में फंसे भारतीय लोगों को मौत के मुंह से निकाल लाए हैं, तब अपने ही लोगों को उपचार की सुविधा से वंचित करना नैतिक, सामाजिक व कानूनी गुनाह है। मरीजों के साथ सहानुभूति व मदद भरा व्यवहार होना चाहिए। यूं भी अभी लोग दिल्ली से दूर ही भाग रहे हैं चूंकि दिल्ली भीड़-भाड़ वाला महानगर है। केजरीवाल सरकार ने आपदा की इस घड़ी में दिल्ली ही नहीं दिल्ली में रह रहे बाहरी राज्यों के लोगों के लिए भी बहुत कुछ किया है, अब भी आत्मविश्वास बनाए रखा जाना चाहिए। माना कि सरकार भी एक सीमित संसाधनों का संस्थान है, अत: जब तक, जिस हद तक दिल्ली सरकार के पास देशवासियों की सेवा की सामर्थ्य है, दिल्ली में सबका स्वागत हो।
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