Arrogant Crow: हंसों का एक झुण्ड समुद्र तट के ऊपर से गुजर रहा था, उसी जगह एक कौवा भी मौज मस्ती कर रहा था। उसने हंसों को उपेक्षा भरी नजरों से देखा ‘तुम लोग कितनी अच्छी उड़ान भर लेते हो !’ कौवा मजाक के लहजे में बोला, ‘तुम लोग और कर ही क्या सकते हो बस अपना पंख फड़फड़ा कर उड़ान भर सकते हो !!! क्या तुम मेरी तरह फूर्ती से उड़ सकते हो ??? मेरी तरह हवा में कलाबाजियां दिखा सकते हो ? नहीं, तुम तो ठीक से जानते भी नहीं कि उड़ना किसे कहते हैं !’ कौवे की बात सुनकर एक वृद्ध हंस बोला, ‘ये अच्छी बात है कि तुम ये सब कर लेते हो, लेकिन तुम्हे इस बात पर घमंड नहीं करना चाहिए।’ ‘मैं घमंड, ‘वमंड नहीं जानता, अगर तुम में से कोई भी मेरा मुकाबला कर सकत है तो सामने आये और मुझे हरा कर दिखाए।’
एक युवा नर हंस ने कौवे की चुनौती स्वीकार कर ली। यह तय हुआ कि प्रतियोगिता दो चरणों में होगी, पहले चरण में कौवा अपने करतब दिखायेगा और हंस को भी वही करके दिखाना होगा और दूसरे चरण में कौवे को हंस के करतब दोहराने होंगे। प्रतियोगिता शुरू हुई, पहले चरण की शुरूआत कौवे ने की और एक से बढ़कर एक कलाबजिया दिखाने लगा, वह कभी गोल-गोल चक्कर खाता तो कभी जमीन छूते हुए ऊपर उड़ जाता। वहीं हंस उसके मुकाबले कुछ खास नहीं कर पाया। कौवा अब और भी बढ़-चढ़ कर बोलने लगा, ‘मैं तो पहले ही कह रहा था कि तुम लोगों को और कुछ भी नहीं आता..ही.. ही ही… Arrogant Crow
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