- धान पाबंदी मामला: लॉकडाउन.4 के बीच हरियाणा में सियासत तेज
एक जून तक धान बुआई पर पाबंदी न हटी तो होगा प्रदेशव्यापी प्रदर्शन
चंडीगढ़(अनिल कक्कड़/सच कहूँ)। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा और कांग्रेस नैशनल प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला द्वारा धान बुआई पर लगाई गई पाबंदी के विरोध में किसानों के साथ धरनों की शुरूआत के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा किसानों के समर्थन सड़कों पर उतरेंगे। हुड्डा ने प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार को एक जून तक का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि 31 मई तक लगे लॉकडाउन के बाद भी अगर सरकार एक जून तक धान पर पाबंदी के फैसले को वापस नहीं लेती है तो वो किसानों के बीच जाकर इसका विरोध करेंगे। कुरुक्षेत्र में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके प्रदेशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया जाएगा। चंडीगढ़ में जारी एक ब्यान के तहत हुड्डा ने कहा कि कुरुक्षेत्र, फतेहाबाद समेत धान पाबंदी वाले तमाम इलाकों के किसानों से मुलाकात की जाएगी।
उन्होंने कहा कि बार-बार गुहार लगाने के बावजूद सरकार अपनी जिद्द पर अड़ी हुई है। सरकार को किसान की हालत और हालात की गंभीरता को समझना चाहिए। महामारी के दौर में खेती व किसान के साथ नए-नए प्रयोग करने के बजाय उन्हें राहत देनी चाहिए। हुड्डा ने कहा कि कोई भी किसान सरकार की थोपी गई शर्तों को मानने के लिए तैयार नहीं है। उन्हें बेझिझक होकर धान की बुआई करनी चाहिए। किसान के हर संघर्ष में हम उनके साथ खड़े हैं। सरकार को कोई अधिकार नहीं बनता है कि वो किसान द्वारा बोई गई फसल को एमएसपी पर खरीदने से इंकार कर दे। अगर सरकार ऐसा करती है तो हम निश्चित तौर पर इसका विरोध करेंगे।
किसानों और भूजल दोनों का बचाना जरूरी
उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते हमें किसान और भूजल दोनों की चिंता है। इसलिए हम लगातार सरकार को सुझाव दे रहे हैं कि कैसे किसान और भूजल दोनों को बचाया जा सकता है। सरकार को भी भूजल संरक्षण की योजनाओं के प्रति सकारात्मक रुख अपनाते हुए उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए। उसे डीएसआर पद्धति और हाईब्रिड बीजों से धान की खेती को बढ़ावा देना चाहिए। इससे कम वक्त और कम पानी में धान की अच्छी फसल ली जा सकती है।
कांग्रेस कार्यकाल की दिलाई याद
कांग्रेस कार्यकाल के दौरान भी सरकार के सामने भूजल की चुनौती थी। लेकिन उस वक्त सरकार ने किसानों पर कोई पाबंदी नहीं लगाई थी। हमने दादूपुर नलवी, हांसी बुटाना नहर परियोजना चलाने, राखसी नदी, खंड नाला को पुनर्जीवित करने, सरसा में ओटू,मेवात में कोटला झील बनवाने, इजराइली ड्रिप सिस्टम से सिंचाई को बढ़ावा देने जैसे कदम उठाए थे। ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए फव्वारा सेट के 12 से 22 हजार रुपये तक और पाइप लाइन के लिए 60 हजार रुपये किसानों को अनुदान दिया जाता था। लेकिन बीजेपी सरकार ने उसे भी अभी लगभग बंद कर दिया। हमने ज्यादा पानी लेने वाली साठी धान ना बोने के लिए किसानों को प्रेरित किया। दूसरी धान के ऊंचे रेट दिए। इस वजह से आज कोई किसान साठी धान नहीं बोता।
सैलजा और सुरजेवाला ने फतेहाबाद में किसानों के हक में दिया धरना
फतेहाबाद में किसानों के हक में धरना देते हुए कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 25 मई को रतिया के हजारों किसान सैकड़ों ट्रैक्टरों के साथ ‘धानबंदी की नादरशाही’ के खिलाफ संघर्ष व विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे थे। जहां प्रदेश के उपमुख्यमंत्री, दुष्यंत चौटाला ने सरेआम झूठ बोलकर उन्हें बरगलाया व कहा कि निजी भूमि पर धान लगाने का कोई प्रतिबंध नहीं है। लेकिन यह प्रतिबंध तो रतिया से शुरू कर पीपली तक उनकी खुद की सरकार द्वारा 9 मई, 2020 को लगाया गया है। किसानों को बरगलाने व गुमराह करने की खट्टर-चौटाला सरकार की साजिश साफ है।
उन्होंने मांग की कि 9 मई, 2020 को जारी धान की खेती पर पाबंदी लगाने वाला हिटलरशाही हुक्मनामा फौरन खारिज हो। वहीं खट्टर सरकार का पंचायती जमीन पर धान की खेती पर रोक लगाने वाला किसान विरोधी आदेश फौरन वापस करे। साथ ही किसान के 50 बीएचपी की मोटर वाले ट्यूबवेल कनेक्शन काटने का आदेश फौरन खारिज किया जाए। इसके अलावा किसान की सब्सिडी वापस लेने व अन्नदाता किसान को परेशान करने वाले भिन्न भिन्न आदेश फौरन वापस हों।
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