संगरूर(सच कहूँ/गुरप्रीत सिंह )। नौकरियां हासिल करने के लिए कई बार ‘सरकारी डंडों’ का शिकार हुए बेरोजगार अध्यापक सरकारी स्कूलों में बच्चों को दाखिल करवाने के लिए लोगों के घरों में जाकर दरवाजे खटखटाएंगे। इसके एवज में चाहे उनको कुछ नहीं मिल रहा परन्तु यह बेरोजगार अध्यापक यह मान कर चल रहे हैं कि यह स्कूल किसी के निजी जागीर नहीं बल्कि ‘लोक संपत्ति’ है। हासिल जानकारी मुताबिक टैट पास बेरोजगार बीएड अध्यापकों की ओर से पंजाब के सरकारी स्कूलों में दाखिले बढ़ाने के लिए विशेष -मुहिम चलाने का फैसला लिया गया है। शिक्षा मंत्री वियजइन्द्र सिंगला के शहर संगरूर से यह मुहिम शुरू की जायेगी जहां उनको नौकरियां मांगते को दर्जनों बार ‘सरकारी कहर’ का शिकार होना पड़ा है।
संगठन ने इसलिए लिया यह फैसला
इस संबंधी सच कहूँं के साथ बातचीत करते बेरोजगार अध्यापकों (टैट पास) की बनाई संगठन के पंजाब प्रधान सुखविन्दर सिंह ढिल्लवां ने बताया कि इस बारे संगठन की तरफ से जुबानी और अखबारों के द्वारा पहले भी कई बार बयान जारी किये हैं परंतु अब इस काम के लिए संगठन ने प्रैक्टिकल तौर पर फैसला किया गया है।
उन्होंने बताया कि हमनें जिला बरनाला के गांव ढिल्लवां के सरकारी स्कूलों में बच्चों को दाखिल करवाने के लिए अपने स्तर पर गांव के कुछ सदस्यों को साथ लेकर गांव के लोगों को उत्साहित किया कि वह अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिल करवाएं व उन्हें एक बहुत महत्वपूर्ण बात कहते कहा कि गांव के लोगों ने अपने बच्चों को दाखिल करवाने से पहले उनके सामने कुछ शर्तें रखी थी कि बच्चों को पढ़ाने के लिए अध्यापक पूरे होंगे? किताबें पुरी मिलेंगी? बच्चों से गैर शैक्षिक काम तो नहीं लिए जाएंगे? आदि जिनको उन्होंने गाँव के गणमान्यजनों ने बच्चों के अभिभावकों की शर्तें मान ली और उस सैशन में 100 से ज्यादा बच्चो दोनों सरकारी स्कूलों में दाखिल करवाए गए । इसको आधार बनाकर ही हमारी संगठन ने पूरे पंजाब में यह काम करने का फैसला किया है।
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