ग्रामीणों ने जूम ऐप पर रखी समस्याएं, पंचायत ने पारित किए प्रस्ताव (First Digital gram sabha)
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सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन ने नयागांव में लागू किया बीबीपुर मॉडल
संजय मेहरा/सच कहूँ गुरुग्राम। बेशक कोरोना के वार से लॉकडाउन में देश और दुनिया संकट में हैं, लेकिन इस कोरोना ने सुपर पावर अमेरिका से लेकर गांव की छोटी सरकारों को नए तरीके से जीना और काम करना सिखा दिया है। बुधवार को गुरुग्राम जिला के नयागांव में देश की पहली डिजिटल ग्राम सभा हुई। इस दौरान जूम ऐप के माध्यम से न केवल ग्रामीणों ने अपनी समस्याएं रखी, बल्कि पंचायत ने कई प्रस्ताव भी पारित किए। कोरोना में यह एक बड़ा बदलाव यहां देखने को मिला।
सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन ने यह अनोखी पहल की। इस ग्राम सभा में जहां पंचायत सदस्यों ने अपने-अपने वार्ड की समस्याएं रखी। वहीं सरपंच की मौजूदगी में इस प्लेटफार्म पर कई प्रस्ताव भी पारित किए गए। टेक्नॉलोजी के जरिए पूरी ग्राम पंचायत के सदस्य जहां अपने-अपने घरों से जूम ऐप के माध्यम से जुड़े थे। वहीं ग्रामीण भी अपने-अपने घरों से इस सभा से जुड़े रहे। सरपंच सुरज्ञान सिंह की अध्यक्षता में हुई इस ग्राम सभा में पंच शिशिर कुमार ने जहां कच्ची गलियों को पक्का करने की समस्या को उठाया, वहीं वार्ड नंबर पांच के पंच विनय दुबे ने राशन कार्ड नहीं बनने, पानी की निकासी जैसे कई मुद्दे उठाए। ग्राम सभा के दौरान सदस्यों ने शमशान घाट, स्ट्रीट लाइट आदि जैसे मुद्दे उठाए।
ग्राम सचिव गंगाराम ने अपने कार्यालय से इस सभा की कार्यवाही लिखी। इस आॅनलाइन बैठक में पंचायत विकास विभाग के पूर्व उपनिदेशक आरके मेहता ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में इस तरह से ग्राम सभाओं का आयोजन किया जाना जरूरी है। सरकार को इस तरह का मॉडल सभी गावों में लागू करना चाहिए। यह बड़ा बदलाव है और समय के साथ चलते हुए यह जरूरी भी है।
ग्रामीणों को आईटी से जोड़कर विकास को दी गति
सेल्फी विद डॉटर फांउडेशन के अध्यक्ष सुनील जागलान कहते हैं कि सामाजिक दृष्टि से उत्थान के लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी फांउडेशन द्वारा हरियाणा के 100 गांवों को गोद लिया गया है। इन गावों में बीबीपुर मॉडल को लागू करने के लिए पिछले कई वर्षों से काम हो रहा है। फांउडेशन द्वारा ज्वलंत मुद्दों पर जहां वैबीनार का आयोजन किया जा रहा है, वहीं देश में सबसे पहला प्रयास करते हुए आज गुरुग्राम के सोहना उपमंडल के गांव नयागांव में डिजिटल ग्रामसभा का आयोजन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को आईटी तकनीक के साथ जोड़ते हुए लॉकडाउन में सरकार के निर्देशों का पालन करना तथा उनके रूके हुए विकास कार्यों को गति देना था।
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