नई दिल्ली (एजेंसी)। सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत विकास को गति देने वाले आठ नये क्षेत्रों में सुधार पर जोर दिया है और इसके जरिये कोयला, खनिज, बिजली वितरण, नागर विमानन, रक्षा उत्पादन और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में निजी क्षेत्रों की भागीदारी के माध्यम से तेजी लाने की घोषणा की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर के साथ शनिवार को लगातार चौथे दिन इस अभियान के बारे में संवाददाताओं को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत नीतिगत सुधारों के माध्यम से निवेश में तेजी लायी जायेगी। इसके लिए निवेश को मंजूरी प्रदान में तेजी लाने के उद्देश्य से सचिवों का उच्चाधिकार समूह बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि सभी मंत्रालयों में निवेश योग्य परियोजनायें तैयार करने, निवेशकों के साथ संयोजन के लिए केन्द्र और राज्य स्तर पर परियोजना विकास प्रकोष्ठ बनाया जायेगा। नये निवेश आकर्षित करने के लिए राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए रैंकिंग की जायेगी। सोलर पीवी विनिर्माण, एडवांस सेल बैटरी स्टोरेज जैसे नये प्रमुख क्षेत्रों को बढ़ावा दिया जायेगा। इसके साथ ही औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर का उन्नयन किया जायेगा।
इस योजना को राज्यों में लागू किया जायेगा और नये निवेश आकर्षित करने के लिए उपलब्ध इंडस्ट्रीयल भूमि, भूमि बैंक आदि को जीआईएस मैपिंग के जरिये इंडस्ट्रीयल इंफोर्मेंशन सिस्टम पर डाला जायेगा। देश में अभी 3376 औद्योगिक पार्क या विशेष आर्थिक क्षेत्रों में पांच लाख हेक्येटर को इंडस्ट्रीयल इंफोर्मेंशन सिस्टम पर उपलब्ध कराया जायेगा। वर्श 2020-21 में सभी औद्योगिक पार्कों की रैंकिंग की जायेगी। शेखर
निजी कंपनियों के लिए खुलेंगे अंतरिक्ष के द्वार
सरकार ने निजी कंपनियों के लिए अंतरिक्ष के द्वार खोलते हुये उन्हें भी उपग्रह अंतरिक्ष में भेजने, प्रक्षेपण करने और अंतरिक्ष आधारित सेवायें देने की अनुमति प्रदान करने का फैसला किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ की चौथी किस्त की घोषणा करते हुये शनिवार को बताया कि भविष्य में निजी कंपनियों को भी अंतरिक्ष कार्यक्रम में समान अवसर दिये जायेंगे। अभी देश में अंतरिक्ष क्षेत्र पूरी तरह से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पास है।
इसरो ही उपग्रहों का प्रक्षेपण करता है। भविष्य में निजी क्षेत्र को भी अपना उपग्रह बनाने और उसे अंतरिक्ष में भेजने तथा अंतरिक्ष आधारित सेवायें देने की अनुमति होगी। इसके लिए उचित नीति और नियामक वातावरण तैयार किया जायेगा। निजी कंपनियों को इसरो के सुविधा केंद्रों के इस्तेमाल की अनुमति दी जायेगी। आगे चलकर भू-मापन गतिविधियों के लिए अपने उपग्रह भेजने और बाहरी अंतरिक्ष में यान भेजने की भी उन्हें अनुमति मिलेगी।
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