लोगों को चरणबद्ध तरीके से कुछ मिलने वाली छूट के साथ लॉकडाउन-3 का काल 4 मई से शुरू हो गया है। लोगों को मिलने वाली इस छूट में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि देश में ग्रीन-ऑरेंज-रेड सभी जोन में कुछ शर्तों के साथ शराब के ठेकों को खोलने की अनुमति प्रदान कर दी गई है। इस अनुमति के आधार पर जब 4 मई को शराब के ठेके खुले तो वहाँ पर शराब खरीदने के लिए इकट्ठा भारी भीड़ का जमघट सोशल डिस्टेंसिंग के बनाए नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए नजर आया।
सम्पूर्ण विश्व में आजकल मानव सभ्यता का सबसे बड़ा दुश्मन बन गए कोरोना वायरस संक्रमण की गंभीर बीमारी का आपदाकाल का बेहद संवेदनशील दौर चल रहा है। देश में भी आंकड़ों के अनुसार 8 मई को कोरोना के एक्टिव पॉजिटिव मरीजों की संख्या फिलहाल 36667 है, जबकि 15611 मरीज वो अलग है जो ठीक हो गए हैं और जिनको अस्पताल से छुट्टी देकर घर भेज दिया गया है, साथ ही देश में 1803 मरीजों की मृत्यु कोरोना संक्रमण के चलते हो चुकी है। देश में कोरोना संक्रमण सरकार की लॉकडाउन की कवायद चलने के बाद भी अभी तक रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है, वह अभी तक तो दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, लेकिन अच्छी बात यह है कि देश में स्थिति अभीतक पूर्ण रूप से नियंत्रण में है। भयावह आपदा के मद्देनजर बचाव के लिए देश में कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए, गृहमंत्रालय के द्वारा 17 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने का आदेश जारी कर दिया गया था। लोगों को चरणबद्ध तरीके से कुछ मिलने वाली छूट के साथ लॉकडाउन-3 का काल 4 मई से शुरू हो गया है। लोगों को मिलने वाली इस छूट में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि देश में ग्रीन-ऑरेंज-रेड सभी जोन में कुछ शर्तों के साथ शराब के ठेकों को खोलने की अनुमति प्रदान कर दी गई है।
इस अनुमति के आधार पर जब 4 मई को शराब के ठेके खुले तो वहाँ पर शराब खरीदने के लिए इकट्ठा भारी भीड़ का जमघट सोशल डिस्टेंसिंग के बनाए नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए नजर आया। देश के अलग-अलग जनपदों से आई तस्वीरों के अनुसार अधिकांश ठेकों पर कई-कई किलोमीटर लम्बी लाईन लगी हुई थी, कुछ जगह लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हल्के बलप्रयोग का उपयोग तक करना पड़ा। अनियंत्रित भारी भीड़ के रूप में देश में लॉकडाउन के बाद खुले शराब के ठेकों पर लोगों की शराब के प्रति दीवानगी स्पष्ट नजर आ रही है। जिस तरह से लॉकडाउन में 45 दिन के लम्बे अंतराल तक बंद रहने के बाद भी लोगों की शराब पीने की लत नहीं गई, वह डॉक्टरों के साथ-साथ एक आम-आदमी को भी आश्चर्यचकित करती है।
लेकिन कोरोना काल में शराब के ठेकों को खोलने के चलते जिस तरह से सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गयी है, वह स्थिति देश व समाज के लिए बहुत ही चिंतनीय है, यह एक गलती आने वाले समय में देश के लोगों के जीवन पर बहुत भारी पड़ सकती है। वैसे भी हम लोगों के सामने व सरकार के सामने कोरोना काल में लापरवाही के चलते जबरदस्त खामियाजा उठाने के उदाहरण विश्व के अलग-अलग देशों में भरे पड़े हैं। लेकिन शराब के ठेकों पर उमड़ी भीड़ के हालात देखकर लगता है, कि देश की जनता ने उन हालातों से कोई सबक लिया है। जिस तरह से अमेरिका, यूरोप, इटली, जर्मनी और रूस आदि देशों में कोरोना का भयावह प्रहार जारी है। उस वक्त देश में राजस्व बढ़ाने के लिए शराब के ठेकों को खोलने का निर्णय बिल्कुल भी उचित नजर नहीं आता हैं। बहुत सारे लोगों पर राशन तक के लिए पैसे नहीं है, उनका परिवार पेट भरने के लिए सरकार या दानवीर भामाशाहों पर निर्भर है और वो शराब के ठेके खुलने की खबर सुनते ही तड़के सबेरे जाकर ही शराब खरीदने के लिए लाईन में लग गये, यह स्थिति किसी भी परिवार के लिए ठीक नहीं है। इसके चलते देश में पारिवारिक हिंसा, दुर्घटनाओं व अपराधों में जबरदस्त बढोत्तरी होगी।
देश के नीतिनिमार्ताओं को यह सोचना चाहिए की शराब के ठेके खोलकर राजस्व बढ़ाने की यह कवायद, आपदाकाल में लोगों को संक्रमित करके देश के राजस्व पर उल्टा भारी बोझ न डाल दे। कोरोना के इस बेहद खतरनाक वक्त में सरकार का यह निर्णय लोगों की भयंकर लापरवाही के चलते भयानक भूल साबित हो सकता है। सरकार को समय रहते सोचना होगा कि शराब के ठेकों को खोलने की जल्दबाजी घातक कोरोना वायरस संक्रमण के काल में देश में बहुत अच्छे ढंग से चल रही लॉकडाउन की सारी कवायद पर पानी न फेर दे। आपदा के समय में सरकार की यह एक भूल हिन्दुस्तान की जनता को कभी ना भूल पाने वाले ऐसे गहरे जख्म ना दे जाये जिनकी भरपाई करना बेहद मुश्किल हो जाये। सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाकर शराब पीने के लिए उतावले लोगों को भी सोचना चाहिए कि वो जब 45 दिन तक बिना शराब के जिंदा रहे तो थोडा धेर्य रखकर सरकार का सहयोग करने में उनका कुछ नुकसान नहीं हो जाता। सरकार आखिर क्या-क्या करे वो लोगों की रोटी का जुगाड़ करे या शराबियों के लिए लाईन भी पुलिस की देखरेख में लाठी के दम पर लगवाए, देश में रहने वाले लोगों की क्या कोई जिम्मेदारी नहीं है?
हम सभी को ठंडे दिमाग से विचार करना चाहिए कि जिन देशों से यह घातक कोरोना वायरस का संक्रमण आया है, वहां पर लाशों को लेने की लिए उनके परिजन तक तैयार नहीं है, लाशों पर फूल चढ़ाने वाले अपने लोग भी नहीं मिल रहे हैं। वहां लाशों के अंतिम संस्कार करने के लिए मुर्दाघरों में लाशों की लम्बी वेटिंग चल रही है। लेकिन हम लोग हैं कि सरकार हमारी भलाई के लिए जरा सी ढील दे तो हम नियम, कायदे व कानून की धज्जियां उड़ाकर बेहद उद्दंड बन जाते है। दोस्तों मेरा आप सभी से अनुरोध है कि देशहित में स्वयं व अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए कोरोना के इस आपदा काल में सरकार के द्वारा जारी दिशा निर्देशों का अक्षरस: पालन करके जीवन को सुरक्षित करें। इस भयावह आपदा के समय में अन्य देशों में की गयी गलती को मत दोहराएं, समय रहते सजग होकर जिम्मेदार नागरिक बनकर अन्य देशों के कोरोना काल के क्रूर इतिहास से सबक लेकर सुधार जाओ। वरना एक भयंकर भूल के चलते वह क्रूर दिन दूर नहीं है जब एक ही पल में लाशों को गिनना असंभव हो सकता है।
सरकार ने व हम सभी लोगों ने अभी तक देश में मेहनत करके पूर्ण धर्य का परिचय देते हुए घातक कोरोना वायरस के संक्रमण पर बहुत ही अच्छे ढंग से नियंत्रण बनाकर रखा है, उस मेहनत पर शराब पीने के उतावलेपन या अन्य किसी हरकत से अपने ही हाथों से पानी फेरने का कार्य न करें। बेवजह घर से बाहर न जायें अधिक से अधिक समय घर में रहें खुद सुरक्षित रहें व अपनों को सुरक्षित रखें ।
दीपक कुमार त्यागी
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।