कार्यपालिका को किसी का जीवन खतरे में डालने नहीं दिया जा सकता : सीजेआई

CJI

नयी दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शरद अरविंद बोबडे ने कहा है कि कोरोना वायरस ‘कोविड 19’ महामारी या आपदा को कार्यपालिका द्वारा सबसे अच्छा नियंत्रित किया जा सकता है, मगर कार्यपालिका को नागरिकों के जीवन को खतरे में डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जब कभी ऐसा होता है तो अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ता है। न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि इस संकट के समय सरकार के लोकतंत्र के तीनों अंगों को संकट से निपटने के लिए सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। इससे निपटने के लिए कार्यबल, धन, सामग्री – कैसे तैनात किया जाए, क्या प्राथमिकता हो, ये कार्यपालिका को तय करना है।

उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है कि शीर्ष अदालत केन्द्र सरकार की लाइन पर ही चल रही है, अदालत से जो भी हो सकता है, वह अदालत ने किया है। उन्होंने कहा कि जज जनता के बीच ज़मीन पर नहीं हैं लेकिन अदालत ने प्रवासी मज़दूरों के लिए आश्रय और भोजन की व्यवस्था करने के लिए सरकार को निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि लॉकडाउन में अदालतों पर मुकदमेबाजी का दबाव कम हुआ है। उन्होंने बताया कि जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट में रोजाना 205 केस दर्ज हुए, लेकिन अप्रैल में केवल 305 मामले ही ई- फाइलिंग के जरिये दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा कि मुकदमे नहीं होने का कारण इन दिनों अपराधों में आई कमी है, अपराध दर में कमी आई है और पुलिस कार्रवाई भी कम हुई है।

 

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