नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद(Ayurveda) को वैज्ञानिक रुप से प्रमाणिक बनाने पर बल देते हुए रविवार को कहा कि भारत ने अपनी संस्कृति के अनुरुप ही कोरोना महामारी के इस वैश्विक संकट में दुनिया के हर जरुरतमंद देश को दवाईयां उपलब्ध करायी हैं। मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के दूसरे खंड की 11 वीं कड़ी में देशवासियों को संबोधित करते हुुए कहा कि भारत ने अपने संस्कारों और सोच के अनुरूप विदेशों को दवा भेजने का फैसला किया।
उन्होेंने कहा, “ संकट की इस घड़ी में, दुनिया के लिए भी, समृद्ध देशों के लिए भी, दवाईयों का संकट बहुत ज्यादा रहा है। एक ऐसा समय है की अगर भारत दुनिया को दवाईयां न भी दे तो कोई भारत को दोषी नहीं मानता। हर देश समझ रहा है कि भारत के लिए भी उसकी प्राथमिकता अपने नागरिकों का जीवन बचाना है। लेकिन भारत ने, प्रकृति, विकृति की सोच से परे होकर फैसला लिया। भारत ने अपने संस्कृति के अनुरूप फैसला लिया।”
- इस समय दुनिया-भर में भारत के आयुर्वेद और योग के महत्व को भी लोग बड़े विशिष्ट-भाव से देख रहे हैं।
- हर तरफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भारत के आयुर्वेद और योग की चर्चा हो रही है।
- कोरोना की दृष्टि से, आयुष मंत्रालय ने प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सुझाव दिये हैं।
- गर्म पानी, काढ़ा और अन्य दिशा-निर्देश से बहुत लाभ होगा।
उन्होेंने कहा, “ वैसे ये दुर्भाग्य रहा है कि कई बार हम अपनी ही शक्तियाँ और समृद्ध परम्परा को पहचानने से इंकार कर देते हैं। लेकिन, जब विश्व का कोई दूसरा देश ठोस साक्ष्यों के आधार पर वही बात करता है। हमारा ही गुर हमें सिखाता है, तो हम उसे हाथों-हाथ ले लेते हैं।”
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