लॉकडाउन के चलते वाहनों का आवागमन है बंद, परिजनों के पास सुरक्षित रखने के अलावा नहीं चारा (Traffic of vehicles is closed)
अनिल कक्कड़ / सच कहूँ चंडीगढ़ । प्रदेश में कोरोना और लाकडाउन से जहां जीवन के हर क्षेत्र में ठहराव आ गया है और लोग घरों में कैद हैं। वहीं इन दिनों में मृत्यु को प्राप्त हो चुके दो हजार से ज्यादा लोगों की अस्थियां अभी भी प्रवाहित होने के इंतजार में हैं। मौजूदा समय में वाहनों की आवाजाही पर लगी पाबंदी के कारण लोग अपने प्रियजनों की अस्थियां हरिद्वार एवं अन्य स्थानों पर प्रवाह करने नहीं जा पा रहे हैं। प्रदेश के सभी जिलों में स्थित शमशान घाटों में मृतकों की अस्थियां कलशों में रखी हैं और मृतकों के परिजन लॉकडाउन हटने के इंतजार में हैं।
बता दें कि 14 अप्रैल को समाप्त हुए लॉकडाउन-1 के तुरंत बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाकडाउन-2 की घोषणा कर दी, जो अब 3 मई तक चलेगा। इस दौरान आम लोगों को केवल राशन सब्जी इत्यादि के लिए ही घर से बाहर निकलने की आजादी होगी। वहीं लाकडाउन-1 की तरह दूसरे लॉकडाउन में भी कोरोना के अलावा अन्य बीमारी, सड़क हादसों या अन्य कारणों से मृत्यु हुए लोगों की अस्थियों को हिंदू धर्म के रीति के अनुसार प्रवाहित किया जाना नसीब नहीं होगा।
रोहतक में अस्थियों के सभी लॉकर फुल
रोहतक के शीला बाइपास स्थित शमशान भूमि के प्रधान सुरेंद्र बतरा ने सच कहूँ से बातचीत में बताया कि फिलहाल रोहतक शहर में पाँच शमशान घाट एक्टिव हैं और यहां लगभग 100 के करीबन अस्थियों के लिए लॉकर हैं। लॉकडाउन की वजह से सभी लॉकर्स फुल हैं और रोजाना तकरीबन 12 से 15 शव शमशान घाटों में अंतिम दाह के लिए लाए जा रहे हैं। बतरा के अनुसार मृतकों के परिजनों को अस्थियां रखने में परेशानी बनी हुई है, लोग फोन कर अस्थियों के लिए लॉकर मांग रहे हैं, लेकिन हमारे पास देने के लिए लॉकर नहीं हैं। इसलिए लोग अपने स्तर पर भी अस्थियों के रखने का इंतजाम भी कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें गंगा जी, या अन्य पवित्र नदियों में प्रवाह करने के लिए जाने की इजाजत नहीं है।
लावारिस लोगों की अस्थियां बोरों में
बतरा ने एक कड़वी सच्चाई भी सांझा की। उन्होंने बताया कि स्थानीय निवासी अपने परिजनों की अस्थियां कलशों/डब्बों में रखकर जाते हैं, या साथ ले जाते हैं लेकिन लावारिस लोग, जिनकी मृतक देह नहरों व अन्य जगहों से प्राप्त होती है, उनकी मृतक देह पुलिस यहां लाती है। और उनके अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियां लेने कोई नहीं आता। ऐसे में उनकी अस्थियां भी प्रवाहित होने के लिए भेजनी होती है, जो अब कट्टों और बोरों में भर कर रखी गई हैं और लॉकडाउन खुलने के बादे उन्हें भी गंगा जी में प्रवाहित किया जाएगा। बतरा ने बताया कि लॉकडाउन से पहले दिल्ली से एक सज्जन अपनी गाड़ी लेकर आता था और इन लावारिस लोगों की अस्थियां गंगा जी में प्रवाहित कर आता था, लेकिन अब लॉकडाउन के कारण वो आ नहीं पा रहा। ऐसे में लावारिस लोगों की अस्थियां बोरों में प्रवाहित होने का इंतजार कर रही हैं।
हरिद्वार में भी नहीं की जा रही अस्थियां प्रवाहित
वहीं बताया जा रहा है संपूर्ण लॉकडाउन के कारण मुख्यतौर पर हरिद्वार में हर की पैड़ी पर भी अस्थियां प्रवाहित नहीं की जा रही। जिस वजह से वहां गंगा जल की धारा भी एक दम साफ नजर आ रही है और लोगों की भीड़ भी बिल्कुल नहीं है।
सरसा व हिसार में 100 से ज्यादा की अस्थियां रखी सुरक्षित
वहीं सिरसा व हिसार शहर की बात करें तो दोनों शहरों में 200 से ज्यादा लोगों की अस्थियां यहां प्रवाहित होने के इंतजार में हैं। मृतकों के परिजन अभी लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे हैं वहीं फतेहाबाद शमशान भूमि के सचिव सुनील सचदेवा ने बताया कि मौजूदा समय में फतेहाबाद में 30 से ज्यादा मृतक लोगों अस्थियां कलशों में रखी हुई हैं।
लॉकडाउन के कारण शिवपुरियों, शमशानघाटों में ही रखी अस्थियां
पूरे प्रदेश में लगभग दो हजार लोगों की अस्थियां फिलहाल सभी जिलों के रामबागों, शिवपुरियों एवं शमशानघाटों में प्रवाह के इंतजार में हैं। तीन मई तक चलने वाले लॉकडाउन-2 में यह आंकड़ा बढ़कर और ज्यादा होगा। जिससे सभी शमशानघाटों में अस्थियां रखने की किल्लत बढ़ जाएगी। वहीं मौजूदा समय में प्रदेश के कुरुक्षेत्र, कैथल, अंबाला, पंचकूला, भिवानी, रोहतक, सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, सोनीपत, पानीपत, जींद इत्यादि जिलों में मृतकों की अस्थियां शमशान घाटों में रखी हुई हैं।
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