हमारे देश की संस्कृति ही यह शिक्षा देती है कि मुश्किल वक्त में एक-दूसरे की मदद करें। मुसीबत में जरूरतमंदों लोगों को सहारा देना ही इंसानियत है। आज कोरोना वायरस को हराने के लिए पूरा देश एकजुटता से जुटा हुआ है। सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया है व साथ ही प्रत्येक वस्तु वाजिब दामों पर मुहैया करवाने के प्रबंध किए हैं। दुकानदारों को भी सख्त निर्देश दिए हैं कि वे वाजिब रेटों पर सामान की ब्रिकी करें व जनता से ज्यादा पैसे न वसूल करें। फिर भी कई जगहों पर दुकानदारों ने राशन के दाम बढ़ाए, रसोई गैस सिलेंडरों से गैस निकालने जैसी रिपोर्ट्स आ रही हैं, जो समाज के माथे पर कलंक है। समाज में ऐसे भी लोग हैं जो अपने खर्च पर जरूरतमंद लोगों को सामान मुहैया करवा रहे हैं। इन हालातों में किसी दुकानदार द्वारा वस्तुओं के मनचाहे दाम वसूलना, इंसानियत की शर्मनाक घटनाएं है।
देश के विभिन्न राज्यों में पुलिस ऐसे लालची दुकानदारों के खिलाफ मामले दर्ज कर रही है। इसी तरह मास्क व सैनीटाइजर की कालाबाजारी की खबरें भी आ रही हैं। इसी कालाबाजारी को रोकने के लिए सभी राज्यों सरकारों ने अपने स्तर पर मास्क का उत्पादन करवाना शुरू कर दिया है। दरअसल मुश्किल में फंसे लोगों का शोषण करना कानूनी अपराध है। पिछले वर्षों में उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा के दौरान भी 20 रुपये की पानी की बोतल 100-100 रुपये व 10-15 रुपये वाला ब्रैड का पैकेट 200-200 रुपये तक बेचा गया था। ऐसे लालची लोगों को उन इंसानों से सीखने की आवश्यकता है जो अपने दैनिक कार्यों, नफे-नुक्सान की परवाह किए बिना इंसानियत की सेवा में जुटे हुए हैं। केवल अमीर लोग ही नहीं बल्कि मध्यम वर्ग के लोग भी सरकार के राहत कोष में फंड दे रहे हैं। इसीलिए दुकानदारों व व्यापारियों को भी चाहिए कि वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारी को समझें।
यहां सरकार को आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर विशेष नजर रखने की आवश्यकता है ताकि पहले ही समस्याओं से जूझ रहे लोगों का शोषण न हो। हमारी संस्कृति भूख से तड़प रहे लोगों को भोजन खिलाने की है, न कि किसी की जेब काटने की। डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं व अन्य समाजसेवी संस्थाओं के सदस्य मदद के लिए लोगों को ढूंढकर उन्हें राशन मुहैया करवा रहे हैं। ऐसे जज्बे को सलाम है। इंसानियत के पहरेदारों को देखकर आत्मविश्वास बढ़ता है कि इंसानियत का जज्बा भारत को महामारी से हराने में मदद करेगा।
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