नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को राज्यों से कहा कि कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए वे सात साल तक की सजा काट रहे कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने पर विचार करें। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली दो-सदस्यीय खंडपीठ ने राज्य सरकारों को उच्च अधिकार प्राप्त समिति गठित करने को कहा है, जो यह निर्धारित करेगी कि किस श्रेणी के अपराधियों को या मुकदमों के तहत पैरोल या अंतरिम जमानत दी जा सकती है। खंडपीठ ने सभी राज्यों द्वारा दाखिल हलफनामे पर विचार करने और न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे एवं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के सुझावों के बाद यह निर्णय लिया है। गौरतलब है कि न्यायालय ने कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर देश भर की जेलों में बंद कैदियों की चिकित्सा सहायता के लिए स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की है।
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