सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि एक इंसान जब भी राम-नाम छोड़ देता है तो उसके अंदर की भावना बुरी तरह से मर जाती है। इंसानियत को भूला हुआ इंसान शैतान बन जाता है। वह अपने दिमाग के तंग दायरे में इस तरह कैद हो जाता है कि उसे किसी की भी बात अच्छी नहीं लगती।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि जब मन बुराई पर आता है तो वह सारे दरवाजे बंद कर देता है, जिससे इंसान को रास्ता न मिल सके। समझाने वाले समझाते हैं, लेकिन जिस तरह से औंधे घड़े पर लेश मात्र असर नहीं होता उसी तरह से मन के मारों का भी यही हाल होता है । कई लोगों को यह पता नहीं होता कि गैरत, अणख किसे कहते हैं? इंसान सोचता है कि मैं बड़ा गैरतमंद हूँ, मैं जिस बात पर अड़ गया पता नहीं मैं कितना अच्छा हूँ। अणख-गैरत है तो मन को सीधा करके दिखा, बुराई से हटकर दिखा।अणख-गैरत है तो इस कलियुग में अल्लाह, वाहेगुरु, राम के नाम पर चलकर दिखा और नेक-भले कर्म करके दिखा। इसे अणख कहते हैं। मन के पीछे लगकर संतों के वचनों को काटते रहना अणख नहीं बल्कि अहंकार होता है।
आप जी फरमाते हैं कि जो सच्चे दिल से बुराइयों से तौबा कर लेते हैं, चाहे वह कितना बड़ा गुनाहगार क्यों न हो और संत, पीर-फकीर उसे माफ कर दे तो भगवान भी उसे जरूर माफ कर देते हैं। इसलिए मन की न सुनो, बल्कि मन से लड़ने के लिए आप लगातार काम-धंधा करते हुए सुमिरन किया करो। मन रुक जाएगा और उसकी दया-मेहर, रहमत के काबिल आप बन जाएंगे।
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