‘‘न्याय हुआ है। महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। हमारी नारी शक्ति ने हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। हमें मिलकर एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है, जहां महिला सशक्तीकरण पर ध्यान दिया जाए, जहां समानता और अवसर पर जोर हो।’’
-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
निर्भया के गुनाहगारों को फांसी पर लटकाया
नई दिल्ली (एजेंसी)। देश को झकझोर देने वाले निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या मामले के चारों दोषियों विनय शर्मा (26), मुकेश सिंह (32), अक्षय ठाकुर (31) और पवन गुप्ता (25) को शुक्रवार तड़के पांच बजकर 30 मिनट पर यहां तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने बताया कि चारों दोषियों को ठीक 5:30 बजे फांसी पर लटकाया गया और करीब 6 बजे यानी आधे घंटे बाद चारों को डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित कर दिया गया। जेल प्रशासन सूत्रों के अनुसार चारों दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाया गया और इसके लिए जेल नंबर-3 की फांसी कोठी में दो तख्तों पर चारों को लटकाने के लिए चार हैंगर बनाए गए थे। इनमें से एक का लीवर मेरठ से आए जल्लाद पवन ने खींचा तथा दूसरे लीवर को जेल स्टाफ ने खींचा।
शुक्रवार तड़के चारों को इनके सेल से जगाया गया। हालांकि, चारों में से कोई भी सोया नहीं था। इसके बाद सुबह की जरूरी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद इनसे नहाने को कहा गया। इसके बाद इनके लिए चाय मंगाई गई, लेकिन किसी ने चाय नहीं पी। इसके बाद उनसे आखिरी इच्छा पूछी गई और फिर सेल से बाहर लाने से पहले चारों को काला कुर्ता-पजामा पहनाया गया तथा हाथ पीछे की ओर बांध भी दिए गए थे। चारों दोषियों को ठीक सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दी गई।
लोगों ने मिठाइयां बांटकर खुशी का इजहार किया
चारों दोषियों के शव को दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए आठ बजे भेजा गया और उसके बाद सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद शव को परिजनों को सौंपने की प्रक्रिया पूरी हुई। फांसी की खबर मिलते ही जेल के बाहर मौजूद लोगों ने तालियां बजाते और भारत माता की जय के नारे लगाते हुए तथा मिठाइयां बांटकर खुशी का इजहार किया। सुरक्षा के मद्देनजर जेल के बाहर इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया था। तिहाड़ जेल में पहली बार चार लोगों को एक साथ फांसी दी गई। यह देश की सबसे बड़ी जेल है, जहां 16 हजार से अधिक कैदियों के रहने की जगह है।
उल्लेखनीय है कि पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दोषियों की ओर से फांसी टलवाने के लिए दायर याचिका वीरवार को खारिज कर दी थी। जिसके बाद दोषियों के वकील ने फांसी की सजा पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसे शीर्ष अदालत ने भी खारिज कर दिया और उसके बाद तय समय पर फांसी दे दी गई।
आज बहुत खुशी महसूस कर रही हूँ, क्योंकि उनकी बेटी को आखिरकार इंसाफ मिल गया। सात साल पहले जो घटना हुई, उससे लोग और देश शर्मसार हुआ था, लेकिन आज न्याय मिला है।
आशा देवी, निर्भया की माँ
देर से ही सही उनको न्याय मिला। उन्होंने कहा कि उन्होंने एक पिता होने का कर्त्तव्य निभाया है। इंसाफ के लिए दर दर की ठोकरें खाई है लेकिन आखिरकार इंसाफ मिला।
-निर्भया के पिता
‘‘सात साल बाद आज निर्भया के दोषियों को फाँसी हुई। आज संकल्प लेने का दिन है कि अब दूसरी निर्भया नहीं होने देंगे। पुलिस, कोर्ट, राज्य सरकार, केंद्र सरकार – सबको संकल्प लेना है कि हम सब मिलकर सिस्टम की खामियों को दूर करेंगे और भविष्य में किसी बेटी के साथ ऐसा नहीं होने देंगे।’’
अरविन्द केजरीवाल, दिल्ली सीएम
‘‘चार दोषियों को फांसी देकर आज एक मिसाल कायम की गई है हालांकि यह सजा और पहले दी जानी चाहिए थी। अब दोषियों को पता चल गया है कि उन्हें सजा दी जाएगी, वे तारीख बढ़ा सकते हैं लेकिन उन्हें सजा जरूर मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस मामले में कानून की कई खामियां भी सामने आयीं जिन्हें दूर करने के लिए सरकार को काम करना चाहिए।’’
-रेखा शर्मा, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष
‘‘7 साल के लंबे इंतजार के बाद आज न्याय की जीत हुई। निर्भया की माँ ने न्याय के लिए दर-दर की ठोकर खार्इं। सारा देश सड़कों पर उतरा, अनशन किया, लाठी खाई। ये सारे देश की जीत है और अब हमें देश में एक कठोर सिस्टम बनाना है। विश्वास है बदलाव आएगा, जरूर आएगा। सत्यमेव जयते।’’
स्वाति मालीवाल, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष
क्या है पूरा मामला:
गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 में दक्षिणी दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में चलती बस में 23 वर्षीय पैरा-मेडिकल छात्रा के साथ छह लोगों ने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए सामूहिक दुष्कर्म किया था। बुरी तरह घायल छात्रा को सड़क किनारे फेंक दिया गया था। कई दिनों तक चले इलाज के बाद छात्रा की सिंगापुर में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद राजधानी दिल्ली समेत देशभर में व्यापक प्रदर्शन हुए थे। दुष्कर्म के दोषियों में से एक नाबालिग था, जिसे तीन साल की सजा के बाद बाल सुधार गृह से 2015 में रिहा कर दिया गया तथा एक आरोपी राम सिंह ने 2013 में तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी। शेष चार दोषियों को शुक्रवार को तड़के तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई।
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