Demand of Basil Plants | तुलसी के पौधों की मांग स्थानीय स्तर पर पूरी नहीं हो पा रही
नई दिल्ली। मौसम में आये बदलाव ने प्राकृतिक औषधीय गुणों के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में कारगर तुलसी को भारी नुकसान पहुंचाया है वहीं कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए लोगों में इसके पौधे की भारी मांग हो रही है। इस बार कड़ाके की ठंड और सामान्य से अधिक दिनों तक इस बार सर्द मौसम के बने रहने तथा अधिक वर्षा के कारण न केवल राष्ट्रीय राजधानी बल्कि इससे जुड़े क्षेत्रों और उत्तर प्रदेश में घरों में लगाये गये तुलसी के पौधे सूख गये हैं। उत्तर प्रदेश के मथुरा , वृन्दावन और कई अन्य क्षेत्रों में इसकी व्यावसायिक खेती को भी भारी नुकसान हुआ है और इन क्षेत्रों में इस वर्ष काफी देर से इसके पौधे तैयार हो रहे हैं ।
पौधों की कमी और इसकी बढ़ती मांग के चलते इसकी कीमतों में भारी बढोतरी हुयी है। तुलसी का पौधा अमूमन दस रुपये में मिल जाता था लेकिन इस बार इसकी कीमत 50 रुपये तक पहुंच गयी है। राष्ट्रीय राजधानी में तुलसी के पौधों की मांग स्थानीय स्तर पर पूरी नहीं हो पा रही है जिसके कारण इसे पुणे और कोलकाता से मंगाया जा रहा है । दिल्ली , गाजियाबाद और नोएडा के अधिकांश नर्सरियों में पिछले करीब एक माह से पुणे और कोलकाता से तुलसी पौधों को मंगाया जा रहा है । पुणे से आये पौधे थोक में 25 से 30 रुपये में आ रहे है जबकि कोलकाता के पौधे दस रुपये में मिल रहे हैं । यमुना खादर में चार पांच पत्तों का नवजात तुलसी पौधा थोक में नर्सरियों में आठ रुपये की दर से पहुंचाया जा रहा है। स्थानीय स्तर पर तैयार पौधे कमजोर हैं।
तुलसी के लिए थोड़ी गर्म मौसम और कम पानी की जरुरत होती है
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक , बागवानी ए के सिंह ने बताया कि इस बार निम्न तापमान और लम्बी अवधि तक ठंड के कारण अधिक संख्या में तुलसी के पौधों के नुकसान की सूचना आ रही है। उनके पास भी दो – तीन हजार पौधे थे जो सूख गये हैं। डा़ सिंह ने बताया कि बड़ी संख्या में पौधों के सूखने की वास्तविकता की जानकारी के लिए पौधों की जांच करायी गयी लेकिन उस में कोई बीमारी नहीं पायी गयी। उन्होंने कहा कि तुलसी के मजबूत पौधे में पत्तियों के सूखने के बाद नये पत्ते भी आने लगे हैं। केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ के निदेशक शैलेंन्द्र राजन के अनुसार इस बार उत्तर प्रदेश के अलावा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र , पंजाब और हरियाणा में तापमान में अधिक गिरावट देखी गयी ।
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