अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष : गांव में महिलाओं की हालत सरकारों के दावों को दिखा रही ढेंगा
( International Women’s Day 2020)
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हमारी चुनावों के समय पर ही आती है याद : गांव की महिलाएं
सच कहूँ/सतपाल थिन्द फिरोजपुर। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं की वास्तव हालत जानने के लिए सीमावृती जिला फिरोजपुर के एक गांव माहू बेगू का दौरा किया गया तो देखने में आया कि गांव में महिलाओं की हालत सरकारों के दावों को ठेंगा दिखा रही है। ( International Women’s Day 2020) परिवार का पेट पालने के लिए गांव की महिलाएं पुरूषों के बराबर कंधा से कंधा मिलाकर खेतों, दिहाड़ी, लेबर, मनरेगा आदि कामों पर साथ जाने को मजबूर हैं।
जब गांव की महिलाओं के साथ बातचीत की तो नसीब कौर, गुरमीत कौर, बलवीर कौर आदि ने बताया जमीन जायदाद न होने के कारण घर की आर्थिक हालत को देखते शरीर भी बुजुर्ग होने बावजूद परिवार का पेट पालने के लिए उन को अक्सर ही घर के पुरूषों के साथ मजदूरी करने गांव से बाहर व अन्य गांवों में भी जाना पड़ता है। जमीन वगैरह न होने के कारण इन महिलाओं द्वारा दिहाड़ी मजदूरी करना ही इनकी आमदन का मुख्य सहारा है। अब जरूर पिछले एक महीने से गांव की कुछ लड़कियां आत्मनिर्भर होने के लिए साथ के गांव में सिलाई सैंटर से प्रशिक्षण हासिल करने जा रही हैं।
दयनीय जिंदगी व्यतीत कर रही गांव की विधवा महिलाएं
आॅपरेशन होने के कारण कई दिनों से बिस्तर पर पड़ी विधवा बलवीर कौर ने आंसू बहाते बताया कि करीब 15 साल पहले नशे करते उसके पति बावा सिंह की मौत हो गई, जिसके बाद उसके दो युवा बेटों की भी मौत हो गई और दो लड़कियां हैं जो विवाहित हैं। बलवीर कौर ने बताया कि स्वास संबंधी बीमारी होने के कारण उसके एक युवा पुत्र गुरप्रीत सिंह के इलाज के लिए उसको अपना घर बेचना पड़ा था, जिस कारण वह घर से बेघर हो गई।
फिर भी मुसीबतों ने पीछा नहीं छोड़ा तो अचानक उसको बच्चेदानी का आॅपरेशन करवाने पड़ा परन्तु सरकारी अस्तपाल में उसका इलाज न होने के कारण उसे प्राईवेट अस्तपाल लेजाना पड़ा परन्तु उस अस्पताल की तरफ से सरकार की तरफ से बनाया गया सरबत सेहत योजना बीमा वाला कार्ड नहीं चलाया गया, जिस कारण उस ने गांव में पैसे माँग कर अपना इलाज करवाया और अब कई दिनों से बिस्तर पर होने से गांव के लोग ही उसे राशन वगैरह देते हैं। इस के अलावा नसीब कौर ने बताया कि उसके पति की मौत हुई को 30 साल हो गए थे परन्तु उसके पल्ले निगुर्णी विधवा पैंशन से सिवा रहने के लिए छत का सहारा भी नहीं और गुजारा करने के लिए बडी उम्र में मजदूरी करने जाना पड़ता है।
गांव में कई घर अभी भी शौचालयों से वंचित
गांव की महिलाआें ने बताया कि गांव में अभी भी कई घर ऐसे हैं जिनमें अभी तक शौचालय भी नहीं बनाऐ गए, जिस कारण महिलाओं को बाहर ही जाना पड़ता है। जब इस संबंधी सरपंच के लड़के साथ बातचीत की तो उन्होंने बताया कि कई बार शौचालय बनाने संबंधी कहा गया है परन्तु अभी तक नहीं बनाए गए।
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