दिव्यांग लड़कों (divyang)के जीवन में खुशियों का उजाला ला रही काबिल एवं पढ़ी लिखी लड़कियां | Women Empowerment
चंडीगढ़। जैसा की आप जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक उपलब्धियों, महिलाओं को आत्मरक्षा और महिलाओं को सशक्तिकरण (Women Empowerment) के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को समर्पित सच कहूँ की विशेष कवरेज | Women Empowerment
इस विशेष अवसर पर ‘सच कहूँ’ महिला उत्थान के विभिन्न कार्यों व उन कार्यों से आए सामाजिक बदलाव की सच्ची कहानियां आपके रूबरू कराएगा। देश व समाज के लिए अपना जीवन न्यौछावर करने वाली मर्दानी वीरांगनाओं (Women Empowerment)का गौरवशाली इतिहास भारतीय नारी की वीरता की अदभुत गाथा है जिसे पढ़कर हर कोई गौरवान्वित महसूस करता है। उन वीरांगनाओं का बलिदान पुरुषों से कम नहीं है। उनकी अमर कथाएं देश के इतिहास की अनमोल धरोहर हैं। उनकी अमर कथाओं से प्रतीत होता है कि ये वीरांगनाएं अब केवल इतिहास का हिस्सा ही बनकर रह गई हंै लेकिन ऐसा कदापि नहीं है।
आज भी ऐसी वीरांगनाओं का जीता-जागता स्वरूप हमारे समाज में मौजूद है जो देश व समाज को एक नई दिशा देने में प्रयासरत है इन वीरांगनाओं को प्रकट किया है पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने। अपने पावन वचनों की ऊर्जा से पूज्य गुरू जी ने इन वीरांगनाओं में ऐसा जज्बा भरा है कि बुराईयां व कुरीतियां उनके सामने टिक नहीं सकतीं। जहां अमर कथाओं की वीरांगनाओं ने देश व समाज के लिए सशस्त्र लड़ाईयां लड़ीं, वहीं आज की ये साहसी वीरांगनाएं अपने गुरू के वचनों पर चलते हुए समाज भलाई कार्यों में पुरूषों की बराबरी करती हुई समाज के सामने अपनी वीरता के नए आयाम स्थापित कर रही हैं।
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गुरू जी की ओर से 134 समाज भलाई कार्य किए जा रहे हैं। इन कार्यों में 100वां भलाई कार्य है (Women Empowerment) ‘दिव्यांग लड़के से शादी करके उसका घर बसाना।’ जिसकी शुभ शुरूआत 23 सितम्बर 2014 को पावन महा-परोपकार दिवस पर हिमाचल प्रदेश में स्थापित परमपिता शाह सतनाम जी सचखंड धाम, डेरा सच्चा सौदा, चचिया नगरी से हो चुकी है। ऐसे लड़को से शादी रचाने वाली लड़की को पूज्य गुरू जी ने ‘मर्दानी भक्त वीरांगना’ के खिताब से नवाजा है। इस मुहिम के तहत अब तक 8 शादियां हो चुकी है।
पूज्य गुरु जी ने इस मुहिम का किया आगाज
23 सितम्बर 2014 को मनाए गए महापरोपकार दिवस पर इस शादी को रचाने वाली सोनिया इन्सां इस निराली मुहिम का ‘रोल-माडल’ बनकर सामने आई जिसने सम्पूर्ण नारी जाति को अपनी वीरता, अपने हौसलों व गुरुजी के प्रति दृढ़ विश्वास से अभिभूत कर दिया! यह साहसिक कदम उठाने वाली सोनिया इन्सां हरियाणा के कैथल जिले के गांव हरिपुरा के निवासी सतपाल इन्सां व रामपती इन्सां की पुत्री है जिसने गांव खजूरी जाटी के निवासी विकलांग युवक गिरधारी लाल को अपना जीवन साथी बनाकर समाज के सामने पूज्य हजूर पिता जी की इस नई मुहिम का आगाज किया है। पूज्य गुरू जी की ओर से निशक्तजनों के हक में चलाई इस मुहिम के तहत 6 नवंबर को दूसरी शादी सम्पन्न हुई। अनामी-ए-सार्इं दिवस पर ‘मर्दानी भक्त वीरांगना‘ किरण इन्सां पुत्री स्व. कुलदीप इन्सां निवासी प्रीत नगर सरसा ने यह शादी रचाकर समाज को नई मिसाल दी।
पूज्य गुरु जी ने अपनी नेक कमाई में से देते हैं 25 हजार रुपये का आर्थिक चेक
‘मर्दानी भक्त वीरांगना’ मुहिम के तहत शादी करने वाले नवविवाहित दंपत्ति को भी पूज्य गुरु जी अपने नेक व कड़ी मेहनत की कमाई में से 25 हजार रुपये का आर्थिक सहायता का चेक भी अपने पावन कर-कमलों से प्रदान करते हैं।
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