डेरा सच्चा सौदा ने मानवता भलाई कार्यों को दी रफ्तार

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आयोजन। पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज का 60 महारहमोकर्म दिवस मनाया

(Maha Rehmokaram Diwas)

  • 1415 यूनिट रक्तदान, 968 मरीजों की हुई जांच

  • जरूरतमंदों को राशन, बच्चों को पाठ्य सामग्री, दिव्यांगों को ट्राइसाइकिल और निराश्रयों को दी गई मकानों की चाबियां

सरसा (सुनील वर्मा/सच कहूँ )। पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के 60वें महारहमोकर्म दिवस पर डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने एक बार फिर मानवता भलाई कार्यों को नई रफ्तार दी। इस पावन अवसर पर जरूरतमंदों को राशन, बच्चों को स्टेशनरी, दिव्यांगजनों को ट्राइसाइकिल और निराश्रयों को मकानों की चाबियां सौंपी गई। वहीं जन कल्याण परमार्थी शिविर में 968 मरीजों की नि:शुल्क जांच की गई तथा रक्तदान शिविर में 1415 लोगों ने रक्तदान किया। बता दें कि पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन आशीर्वाद से डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत नेकी-भलाई में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं।

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रक्त संग्रहण पहुंची टीमों के सदस्य भी डेरा श्रद्धालुओं के इस ज़ज्बे को देखकर हैरान थे

शुक्रवार को पावन महारहमोकर्म दिवस के अवसर पर शाह सतनाम जी धाम में रक्तदान और शाह सतनाम जी स्पेशेलिटी अस्पताल में जन कल्याण परमार्थी शिविर का आयोजन किया गया। शिविरों का शुभारंभ आदरणीय शाही परिवार, डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधकीय कमेटी सदस्यों व साध-संगत ने इलाही नारा लगाकर व विनती बोलकर किया।

जन कल्याण शिविर में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने 968 मरीजों की नि:शुल्क जांच के साथ-साथ आवश्यक परामर्श और दवाइयां भी दी गई, जिनमें एलोपैथिक में पुरुष 377 और महिलाएं 432 तथा आयुर्वेदा में पुरुष 76 और महिलाएं 83 शामिल हैं। रक्तदाताओं ने भी भारी उत्साह के साथ रक्तदान किया। रक्त संग्रहण पहुंची टीमों के सदस्य भी डेरा श्रद्धालुओं के इस ज़ज्बे को देखकर हैरान थे। इस दौरान हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली से रक्त एकत्रित करने के लिए आठ टीमें पहुंची। रक्तदान शिविर में 1415 लोगों ने रक्तदान कर जरूरतमंद मरीजों का जीवन बचाने का संदेश दिया।

नामचर्चा में भक्तयोद्धा सहित अनेक युगल विवाह बंधन में बंधे

इस पावन अवसर पर शाह सतनाम जी धाम में नामचर्चा का आयोजन किया गया। नामचर्चा में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों से भारी संख्या में शिरकत करके सच्चे दाता रहबर को सजदा किया। वहीं डेरा सच्चा सौदा के मानवता भलाई कार्यों के कारवां को दर्शाती डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई। इस अवसर पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के रिकॉर्डिड वचन बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से चलाए गए। साध-संगत ने एकाग्रचित होकर पूज्य गुरु जी के वचनों को श्रवण किया।

नामचर्चा में 28 जरूरतमंद गर्भवती महिलाओं को एक-एक माह का राशन, 28 बच्चों को स्टेशनरी व बैग, दिव्यांगों को ट्राईसाइकिल, निराश्रयों को डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत द्वारा बनाकर दिए गए नव निर्मित दो मकानों की चाबियां सौंपी गई। नामचर्चा में भक्तयोद्धा सहित अनेक युगल विवाह बंधन में बंधे। इसके पश्चात आई हुई साध-संगत को कुछ ही मिनटों में लंगर भोजन खिला दिया गया। इस अवसर पर डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन कमेटी ने साध-संगत की सुविधा के लिए पानी की छबीलें, ट्रैफिक सहित विभिन्न सराहनीय व्यवस्थाएं की हुई थी।

इन डॉक्टरों ने दी सेवाएं

जनकल्याण परमार्थी चिकित्सा जांच शिविर में शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल के ज्वाइंट सीएमओ डॉ. गौरव अग्रवाल, डॉ. मीनाक्षी चौहान, डॉ. पुनित महेश्वरी, डॉ. दीपिका सिडाना, डॉ. सागरवीर सिंह, डॉ. पंकज कंसोटिया, डॉ. इकबाल सिंह, डॉ. नरेन्द्र कांसल, डॉ. मोनिका गर्ग, डॉ. दीपिका, डॉ. ललित मिढा, डॉ. विक्रम नैन, डॉ. मनु सिंगला, डॉ. गौरव गोयल, डॉ. दिनेश चौहान, डॉ. विकास कंबोज, आयुर्वेदा विशेषज्ञ डॉ. मीना गोपलानी, डॉ. शशिकांत सहित शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल के पैरामेडिकल स्टाफ सदस्यों ने सेवाएं दीं।

‘‘हम थे, हम हैं, हम ही रहेंगे’’

सरसा। पावन महारहमोकर्म दिवस के अवसर पर बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के रिकॉर्डिड वचन चलाए गए। रिकॉर्डिड वचनों में पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने परम पिता शाह सतनाम जी महाराज को अपना रूप बनाया। फिर शाह सतनाम जी दाता ने वचन फरमाया कि हम थे, हम हैं और हम ही रहेंगे। आपजी ने फरमाया कि रूहानियत, सूफियत बहुत गहरी बातें हैं। सूफीयत रूहानियत में ऊंचा दर्जा प्राप्त करना समझो दोनों जहान का गोल्ड मैडल प्राप्त करना है। इतनी गहरी है, जितने अंदर जाते जाओ, उतनी गहराई का पता चलता है और उतनी ही आनंद, लज्जतें इन्सान को महसूस होती हैं। ऐसी खुशिया मिलती हैं, जिसकी लिख बोलकर कल्पना नहीं की जा सकती।

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आज का दिन सिखाता है गुरु-शिष्य की मर्यादा। आज के दिन जो शिष्य बना, वो गुरु में समाया और गुरु, शिष्य में समाया। जब पूजनीय परम पिता जी को गुरुगद्दी पर बैठना था तो सार्इं जी ने आपजी को वचन किए कि भाई सब कुछ छोड़कर आश्रम में आ जाओ। वे आश्रम में आ गए। जब सेवा करने को कहा तो सेवा करने लगे। श्री जलालआणा साहिब के जैलदार, पूरे गाँव के हैड और गाँव के सबसे बड़े जमींदार अपने ही गाँव में कच्ची र्इंटें बना रहे थे, उनके साथ जिनको वे अपने खेत में नौकर रखते थे, जिनके साथ वो काम करते थे। पूरा गाँव देख रहा था। पर वे र्इंटें बनाते रहे, जिन्हें कहा जाता था पाली दीयां र्इंटा। वे र्इंटें बनवार्इं, फिर आश्रम बनवाया। मस्ताना जी महाराज ने वचन फरमाया कि अब अपना घर ढहा दे भाई। परम पिता जी गए और अपना घर ढहाने लगे तो किसी ने ताना दे दिया कि देखो इसका घर बर्बाद कर दिया।

लेकिन किसी की परवाह किए बिना घर ढहा दिया गया, सारा सामान सरसा आश्रम में मंगवा लिया गया। सामान आश्रम में पहुंचा दिया गया। इसके बाद पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने दाता रहबर के कहने पर सारा सामान लोगों में बांट दिया। सार्इं जी बहुत खुश हुए। इसके बाद वो दिन आया 28 फरवरी 1960 का, जब बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज को अपना रूप बनाया। सच्चे दाता रहबर ने पहले सैकड़ों, फिर हजारों और लाखों लोगों को राम-नाम देकर मोक्ष मुक्ति का अधिकारी बनाया।

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