पंजाब विधानसभा ने आम आदमी पार्टी के एक विधायक द्वारा अमरीकी नस्ल की आवारा गायों के कत्ल का प्रस्ताव रद्द कर दिया है जो कि बहुत ही प्रशंसनीय फैसला है। विधानसभा के उक्त कदम से भारतीय व पंजाबी संस्कृति की जीत हुई है जो अहिंसा में विश्वास रखने के साथ-साथ पशुओं के प्रति उनकी उपयोगिता के लिए कृतज्ञ है। यह फैसला पूरे देश के लिए मार्गदर्शक बन सकता है। गायों को मारने के लिए लाये गए प्रस्ताव की विरोधता ना सिर्फ कांग्रेस तथा शिरोमणि अकाली दल ने की बल्कि आम आदमी पार्टी ने भी इस की निंदा की जिस के विधायक द्वारा प्रस्ताव लाया गया था। आम आदमी पार्टी का यह विचार भी बड़ा महत्वपूर्ण है कि पशुओं के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। जो पशु मानवीय समाज को दूध देकर सहयोगी बनते हैं, उन पशुओं को अनउपयोगी होने पर मारना गलत है।
यूं भी यह सामाजिक सिद्धांत है कि जिस तरह परिवार के मुखिया के बुजुर्ग होने पर उसको घर से नहीं निकाला जा सकता बल्कि उसका सत्कार किया जाता है। ठीक ऐसा ही व्यवहार उपयोगी पशुओं के साथ भी होना चाहिए। जहां तक पंजाब का संबंध है, यह वह धरती है जहां बैल के मर जाने पर उसको पूरी इज्जत के साथ चादर से ढक कर जमीन में दबाया जाता था। ऐसी विरासत के होते हुए किसी जानवर को बूचड़खाने भेजना गलत है। यूं भी आवारा पशुओं को यदि ढंग से संभाल लिया जाए तो यह समाज के लिए कोई खतरा नहीं है। यह तो समाज एवं प्रशासनिक नाकामियों का नतीजा है कि पशु आवारा होकर सड़कों पर घूमते हैं। समाज की गलती का खामियाजा पशुओं को भुगतना पड़ रहा है।
हजारों वर्षों से मानव के लिए उपयोगी रहे पशुओं पर जुल्म क्यों? अच्छा हो सरकार आवारा पशुओं के हल के लिए गऊशालाओं का निर्माण करवाए तथा पहले चल रही गऊशालाओं की कमियां दूर करे ताकि किसानों व राहगीरों की मुश्किलें दूर हों। किसानों को भी चाहिए कि वे फसलों की रखवाली के लिए कांटों वाली तार पर खर्चा करने की बजाय आवारा पशुओं को पंचायती स्तर पर बांट कर उन्हें संभालें, इस मामले में सरकार को किसानों की मदद करनी चाहिए। यह भी जरूरी है पशु पालन के क्षेत्र में और भी रिसर्च किए जाएं ताकि पशु लंबे समय तक उपयोगी बने रहें।
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