राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर-48, 248 और गुड़गांव-फरीदाबाद रोड पर बड़ी संख्या में वन्यजीवों की मौतें हुई हैं (Kumari Selja)
चंडीगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद कुमारी सैलजा ने आज अरावली को वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप में घोषित करने की मांग की। कांग्रेस नेता के यहां जारी बयान के अनुसार उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिख कर यह मांग की है। उन्होंने अरावली क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण, वन्य जीवों की मौत, पेड़ों की अवैध कटाई और पीएलपीए संशोधन जैसे मुद्दे उठाए हैं और अरावली में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में वन्यजीव गलियारे को अधिसूचित करने, वन्यजीवों की मृत्यु रोकने के लिए गति प्रतिबंध लगाने और गति अवरोधक स्थापित करने, वन चेकपोस्ट की संख्या बढ़ाने, ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करने और एक टास्क फोर्स का गठन करने का भी अनुरोध किया।
- सैलजा ने पत्र में लिखा है कि हरियाणा राज्य में केवल 3.5 प्रतिशत का वन क्षेत्र है।
- अन्य राज्यों की तुलना में सबसे कम है।
अन्य राज्यों के विपरीत, हरियाणा में एक भी वन्यजीव अभयारण्य नहीं है
- अरावली वन पूरे राज्य में दो प्रतिशत से भी कम है।
- फिर भी यह एनसीआर क्षेत्र को शुद्ध हवा पहुंचाने के रूप में कार्य करता है।
- यह एक महत्वपूर्ण जल पुनर्भरण क्षेत्र है ।
- कई वन्य जीवन प्रजातियों के लिए एक घर के रूप में भी कार्य करता है।
- राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर-48, 248 और गुड़गांव-फरीदाबाद रोड पर बड़ी संख्या में वन्यजीवों की मौतें हुई हैं।
- अन्य राज्यों के विपरीत, हरियाणा में एक भी वन्यजीव अभयारण्य नहीं है।
- आवश्यक है कि हरियाणा सरकार अरावली में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में वन्यजीव गलियारे को अधिसूचित करे।
- इस क्षेत्र में वन्यजीवों की मृत्यु को रोकने के लिए गति प्रतिबंध लगाने और गति अवरोधक स्थापित करने जैसे कुछ उपाय लागू किए जाएं।
- क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की अवैध कटाई और संरक्षित वन भूमि पर निर्माण की सूचना मिली है।
कुमारी सैलजा ने प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र को बचाए रखने की मांग की
उन्होंंने सरकार से अनुरोध किया कि वह पर्याप्त संख्या में वन चेक पोस्टों की संख्या बढ़ाए, प्रभावी ढंग से ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करे और नजर रखने के लिए गश्त गार्ड तैनात करे। कुमारी सैलजा के अनुसार पिछले साल 27 फरवरी को हरियाणा सरकार के लाए गए पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम (पीएलपीए) में संशोधन ने अरावली को खतरे में डाल दिया है।
इसके अलावा, अरावली क्षेत्र में पीएलपीए के 88 प्रतिशत नोटिफिकेशन, जो लैप्स हो गए थे, अभी तक फिर से अधिसूचित नहीं किए गए हैं। उन्होंने दक्षिण हरियाणा में अरावली को कानूनी अरावली क्षेत्रों के रूप में बरकरार रखते हुए और इस तरह से प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र को बचाए रखने की मांग की है। कुमारी सैलजा ने यह भी मांग की कि वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर, राज्य सरकार की तरफ से 2024 तक पांच प्रतिशत और 2030 तक दस प्रतिशत कानूनी वन कवर तक पहुंचने के लिए पांच साल का रोडमैप बनाने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया जाना चाहिए।
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