जुनून: दुश्वारियों और आँसूओं की स्याही से लिखी कामयाबी की इबारत (Sunny Hindustani)
सन्नी हिंदुस्तानी बना इंडियन आईडल-11 का विजेता
सुखजीत मान/सच कहूँ बठिंडा। अमरपुरा बस्ती में जीत के ढोल बज रहे हैं। इस बस्ती में रहने वाले 21 साल के युवा सन्नी को कुछ महीने पहले आस-पड़ोस और रिश्तेदारों से अलावा कोई नहीं जानता था। (Sunny Hindustani) लेकिन जैसे ही इंडियन आईडल-11 शो में देर रात इस युवा को विजेता घोषित किया तो वह बठिंडा ही नहीं बल्कि देश भर में चर्चा का विषय बन गया। घर में शादी जैसा माहौल है। बहनें अपने भाई की इस शानदार जीत की खुशी में गद्गद् हैं। परिवार वाले कहते हैं कि सन्नी ने जो सोचा था, वो करके दिखा दिया है।
मजबूरी में हाथ से छूट गया स्कूल बैग
संजय नगर के सरकारी स्कूल में छठी कक्षा तक पढ़े सन्नी पर बचपन में ही परिवार के पालन-पोषण का बोझ पड़ गया। पिता की मौत के साथ ही किताबों का बैग हाथ से छूट गया और उसकी जगह ले ली बूट पॉलिस के थैले ने। इस मुश्किल हालात में वह अकेला बैठकर रोता, लेकिन कहीं से कोई उम्मीद नजर न आती। लेकिन दिल में बसे एक जुनून ने उसके इन आँसूओं को ही स्याही बना दिया, और इसी स्याही से उसने एक इबारत लिख दी। कभी बूट पॉलिस के लिए गलियों में आवाज लगाने वाला सन्नी आज अपनी गायकी से लोगों के दिलों पर छा गया है।
‘क्यों रौला पाया, ऐंवें डब्बी भन्नी जानै’। (Sunny Hindustani)
- सन्नी की बहन माया कहती है कि मैंने सपने में भी नहीं सोचा था
- मेरा भाई इतना बड़ा मुकाम हासिल करेगा। घरेलू हालातों की दुश्वारियों का जिक्र करते वे कहती हैं
- कई बार ऐसे मौके भी आए कि परिवार को भूखे पेट सोना पड़ा।
- सनी के बारे में वे कहती हैं कि वह बचपन में ही कहता था कि उसे सिंगर बनना है।
- पिता की मौत बाद उसे बूट पॉलिश को मजबूर हो गया।
- अरमां अधूरे थे, मुश्किलें उसकी राह रोके खड़ी रहीं, लेकिन उसने हार नहीं मानी और गाने का रियाज करता रहता।
- कहती हैं कि सन्नी घर पर डिब्बों के तबले बनाकर गाता तो परिवार वाले उसे रोकते कि ‘क्यों रौला पाया, ऐंवें डब्बी भन्नी जानै’।
- उसी में शिद्दत से अपनी खुशी ढूंढता।
- सन्नी को जब भी कोई काम-धंधा ढूंढने के लिए कहा जाता तो उसका एक ही जवाब होता कि ‘आप भरोसा रखो, मेरे दिल की जो इच्छा है, वह मैं पूरी करके दिखाऊंगा’।
सन्नी की माँ सोमा देवी ने अपने बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए गलियों में गुब्बारे बेचे
सन्नी के मामा विजय कुमार भी भांजे की उपलब्धि पर खुशी संभाली नहीं जा रही। वे कहते हैं कि मैं संगरिया मंडी में एक धार्मिक स्थान पर जाता था, जहां से कव्वालियां गाते हुए देख सन्नी के अंदर गाने की इच्छा और प्रबंल हो गई। एक मेले का जिक्र करते हुए विजय कुमार कहते हैं कि दिन-रात के मेले में सन्नी को स्टेज से सुबह 4 बजे एक गीत गाने का मौका मिला। जैसे ही उसने सुर लहरियों को छेड़ा तो वहां सोए हुए लोग भी उसे सुनने को उठकर बैठ गए। विजय कुमार ने सन्नी द्वारा बूट पालिश के लिए इस्तेमाल पेटी (बक्सा) दिखाते कहा कि मैं इसे शीशे में फ्रे म करवाकर रखूंगा।
- गुरदास मान के गीत ‘रोटी हक की खाईए जी, भावें बूट पॉलिशां करिये’ का भी जिक्र करना भी नहीं भूले।
- सन्नी के पिता भी बूट पॉलिश करने के अलावा विवाह शादियों में गाते थे।
- दादी मीरा भी गाकर भिक्षा मांगती थी।
- सन्नी की माँ सोमा देवी ने अपने बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए गलियों में गुब्बारे बेचे।
25 लाख रूपये व गाड़ी मिली ईनाम में
इंडियन आईडल-11 के विजेता बने सन्नी को 25 लाख रूपये, टी-सीरीज कंपनी के साथ गीत गाने के समझौते के अलावा टाटा कंपनी की नई कार मिली है। सन्नी ऐसा पहला प्रतिभागी गायक बन गया है, जिसने शो में अपना लोहा मनवाने के साथ-साथ इसी वक्त में तीन फिल्मों के लिए गीत भी गाए।
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