सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर द्वारा विधायकों और सांसदों को अयोग्य ठहराने की प्रक्रिया पर की सख्त टिप्पणी, कहा (Speaker’s powers’)
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सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्र संस्था बहाल करने का सुझाव दिया
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। उच्चतम न्यायलय ने संसद को मंगलवार को सलाह दी कि वह सांसदों और विधायकों को अयोग्य घोषित करने के मामले में सदन के अध्यक्ष (स्पीकर) (Speaker powers) की शक्तियों पर फिर से विचार करे। शीर्ष अदालत ने सुझाव दिया है कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की समिति को सदस्यता रद्द करने या बरकरार रखने का अधिकार दिया जाए। यह समिति या कोई न्यायाधिकरण सालों भर काम करे, जहां सदस्यता से जुड़े मसले तय किए जाएं।
स्पीकर की निष्ठा एक दल के साथ जुड़ी होती है और वह निष्पक्ष नहीं हो सकता
न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मणिपुर के वन मंत्री टी श्यामकुमार की अयोग्यता के मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी भी सांसद या विधायक की सदस्यता रद्द करने में स्पीकर की शक्तियों पर विचार करने की जरूरत है, क्योंकि स्पीकर की निष्ठा एक दल के साथ जुड़ी होती है और वह निष्पक्ष नहीं हो सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने संसद से कहा है कि इस पर विचार करके कानून बनाया जाए। न्यायालय का कहना है कि स्पीकर किसी न किसी राजनीतिक दल का होता है इसलिए वह निष्पक्ष फैसले नहीं ले सकते।
- शीर्ष अदालत ने मणिपुर विधानसभा के स्पीकर को कहा हैं।
- कि वह टी श्यामकुमर की अयोग्यता पर चार सप्ताह में निर्णय करें।
- अगर स्पीकर चार हफ्ते में फैसला नहीं लेते हैं तो याचिकाकर्ता फिर शीर्ष अदालत आ सकते हैं।
- कांग्रेस विधायक फजुर्रहीम और के. मेघचंद्र ने मंत्री टी श्यामकुमार को अयोग्य ठहराए जाने के लिए ।
- शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।
कर्नाटक के स्पीकर का 17 विधायकों पर चर्चित फैसला
कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार के दौरान जारी खींचतान में स्पीकर रमेश कुमार ने 17 विधायकों को अयोग्य करार दिया था। इनमें से 14 जेडीएस के और तीन कांग्रेस के विधायक थे, जिन्हें इस्तीफा देने पर स्पीकर ने अयोग्य ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले की समीक्षा करते हुए भी तल्ख टिप्पणी की थी।
- कोर्ट ने स्पीकर की भूमिका पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था ।
- स्पीकर एक अथॉरिटी की तरह काम करता है और उसके पास कुछ सीमित शक्तियां होती हैं।
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