चाहिए मुझे सच कहूँ

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चाहिए मुझे सच कहूँ  | Sachkahoon

देश हो या विदेश,
चाहे मैं कहीं भी रहूँ,
सुबह आँख खुलते ही,
चाहिए मुझे सच कहूँ।

जिसमें है देश-विदेश,
राजनीतिक, धार्मिक, समाजिक सरोकार,
मानव से मानव को मिलाने,
वाला है ये अखबार। सच कहूँ …

दुनिया को यह मानवता,
भलाई के कार्य सिखाता है,
हर रोज अलग-अलग,
फीचर पेज ये सामने लाता है।  सच कहूँ …

जिसमें बच्चों को आगे,
कैरियर की बात बताई जाती है,
नन्हें सम्राटों की बातों से,
फुलवारी सजाई जाती है।  सच कहूँ …

गुरमुख से निकला,
इसका प्यारा नाम है,
गुर के वचनों को लोगों तक,
पहुंचाना इसका काम है ।  सच कहूँ …

गर सच्चे प्रेमी हो तो,
सच पर तुम अडिग रहो,
दूसरे अखबारों को छोड़,
सिर्फ सच कहूँ को ‘हाँ’ कहो।

उर्मिल शर्मा (प्राध्यापिका)
शाह सतनाम जी गर्ल्ज स्कूल सिरसा

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